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क्या है म्यूचुअल फंड की पैसिव स्कीम, इसमें निवेश के क्या फायदे हैं?

म्यूचुअल फंड की पैसिव स्कीमोंं में निवेशक दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इस साल पैसिव स्कीम के 63 न्यू फंड ऑफर लॉन्च किए गए हैं। यह पिछले साल लॉन्च 51 पैसिव फंडों से ज्यादा हैं। डेटा से पता चलता है कि लंबी अवधि में पैसिव फंडों का रिटर्न ज्यादातर एक्विट फंडों से ज्यादा होता है

अपडेटेड Sep 06, 2024 पर 5:01 PM
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पैसिव फंड का मतलब ऐसे फंड से है, जो अपने पैसे का निवेश बेंचमार्क इंडेक्स के मुताबिक करता है। इसलिए इस फंड को मैनेज करने के लिए किसी फंड मैनेजर की जरूरत नहीं पड़ती है।

इस साल म्यूचुअल फंड की पैसिव स्कीमों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। इस दौरान म्यूचुअल फंडों के कुल 106 न्यू फंड ऑफर लॉन्च हुए हैं। इनमें से 63 पैसिव स्कीमे हैं। साल 2023 में 51 पैसिव फंड्स लॉन्च हुए थे। यह जानकारी एस इक्विटी एमएफ के डेटा पर आधारित है। पैसिव फंडों की बढ़ती संख्या की वजह इनमें निवेशकों की दिलचस्पी है। डेटा से पता चलता है कि लंबी अवधि में पैसिव फंडों का रिटर्न ज्यादातर एक्विट फंडों से ज्यादा होता है।

पैसिव फंड का मतलब क्या है?

पैसिव फंड (Passive Fund) का मतलब ऐसे फंड से है, जो अपने पैसे का निवेश बेंचमार्क इंडेक्स के मुताबिक करता है। इसलिए इस फंड को मैनेज करने के लिए किसी फंड मैनेजर की जरूरत नहीं पड़ती है। उदाहरण के लिए अगर किसी पैसिव फंड का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 है तो वह फंड सिर्फ निफ्टी 50 में शामिल कंपनियों के शेयरों में निवेश करेगा। यह निवेश निफ्टी 50 में हर कंपनी के वेटेज के हिसाब से होता है। चूंकि इस फंड का प्रबंधन फंड मैनेजर नहीं करता है, जिससे इसका एक्सपेंस रेशियो भी कम होता है।


बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न का प्रेशर नहीं

सैंक्टम वेल्थ के हेड (इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स) अलख यादव ने कहा, "पैसिव फंडों की ज्यादा ग्रोथ की एक वजह यह है कि इन पर एक्टिव फंडों की तरह बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न देने का प्रेशर नहीं होता है। खासकर लार्जकैप फंडों के मामले में ऐसा देखने को मिलता है।" दूसरा, पैसिव फंड को समझना आसान होता है और इसका कॉस्ट स्ट्रक्चर भी ऐसा होता है कि इन पर कम खर्च आता है। इससे यह रिटेल और पुराने दोनों तरह के इनवेस्टर्स के लिए निवेश का अच्छा विकल्प बन जाता है।

लंबी अवधि में ेएक्विट फंडों से बेहतर प्रदर्शन

क्रेडिट डॉट पीई के फाउंडर और सीईओ प्रशांत कुमार ने कहा कि पैसिव फंडों का प्रदर्शन अक्सर इकोनॉमी की स्थिति पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, "इंडिया जैसी इकोनॉमी में पैसिव फंडों का प्रदर्शन एक्टिविली मैनेज्ड फंडों के मुकाबले बेहतर होता है, क्योंकि इनका एक्सपोजर ज्यादा होता है और उतारचढ़ाव कम होता है।" उन्होंने कहा कि 10 साल की अवधि में पैसिव फंडों ने 90 फीसदी एक्टिवली मैनेज्ड फंडों से अच्छा प्रदर्शन किया है। इसलिए ये फंड लंबी अवधि के निवेश के लिए सुरक्षित लगते हैं।

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डायवर्सिफिकेशन के लिहाज से बेहतर

पैसिव फंडों का एक फायदा यह है कि पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन के लिहाज से ये बेहतर हैं। खासकर रिटेल इनवेस्टर्स के लिए ये फायदेमंद हैं, क्योंकि वे निवेश करने के बाद किसी तरह का दबाव नहीं लेना चाहते। जर्मिनेट इनवेस्टर सर्विसेज एलएलपी के सीईओ और फाउंडर संतोष जोसफ ने कहा कि पैसिव फंड ऐसे निवेशकों के लिए सही हैं, जो एक्टिव मैनेजमेंट नहीं चाहते।

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