पर्सनल लोन लेना ग्राहक के लिए काफी आसान है। इसमें ज्यादा पेपरवर्क की जरूरत नहीं पड़ती है। आजकल तो रोजाना फोन पर पर्सनल लोन ऑफर के कई मैसेज आते रहते हैं। इनमें कुछ ऑफर बड़े बैंकों के भी होते हैं। बाकी एनबीएफसी के होते हैं। आपको आंख बंदकर किसी ऑफर का इस्तेमाल नही करना चाहिए। इससे बाद में आपको मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। पर्सनल लोन लेने से पहले कुछ बातों को ठीक तरह से जान और समझ लेना जरूरी है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
पर्सनल लोन लेने में इंटरेस्ट रेट के बारे में जानना सबसे जरूरी है। इससे यह तय होता है कि आप लोन के लिए कितनी कीमत चुकाएंगे। लोन का इंटरेस्ट रेट जितना कम होगा, उतना ज्यादा फायदा ग्राहक को होगा। इसलिए लोन के किसी ऑफर को हां कहने से पहले यह जरूर जान लें कि उसका इंटरेस्ट रेट कितना है। अगर आपको इंटरेस्ट रेट ज्यादा लग रहा है तो उस ऑफर को ठुकरा दे। आपको इंटरनेट पर पर्सनल लोन पर चल रहे इंटरेस्ट रेट के बारे में जानकारी मिल जाएगी।
ऐसे बैंक या एनबीएफसी से लोन लेना ठीक रहता है, जिसमें ऑनलाइन अप्लिकेशन की सुविधा है। अगर आप ऐसे बैंक से लोन ले रहे हैं, जिसमें आपका पहले से अकाउंट है तो आपको नया अप्लिकेशन भरने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बैंक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री देखकर आपका लोन जल्द एप्रूव कर सकता है। बैंक या एनबीएफसी के कॉल सेंटर से भी ग्राहक की मदद की जाती है।
लोन लेने में इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि उसकी अवधि क्या होगी। इसका मतलब है कि आप उस लोन को कितने समय में चुका देंगे। लोन की अवधि के हिसाब से आपकी EMI बैंक तय करता है। लोन की अवधि लंबा होने पर EMI कम आती है, लेकिन इंटरेस्ट पर होने वाला खर्च बढ़ जाता है। इसलिए आप हर महीने लोन चुकाने पर कितना अमाउंट खर्च कर सकते हैं, यह देखने के बाद ही आपको लोन की अवधि तय करनी चाहिए।
बैंक और एनबीएफसी के लिए यह जरूरी है कि वह लोन देने से पहले ग्राहक को उससे जुड़े हर चार्ज के बारे में बताएगा। लेकिन, कई एनबीएफसी ऐसा नहीं करते हैं। ग्राहक भी ध्यान नहीं देता है। इससे बाद में दिक्कत आती है। बैंक या एनबीएफसी के चार्ज को देखकर ग्राहक को ऐसा लगता है कि उसे इस बारे में पता नहीं था।
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बैंक या एनबीएफस का बैकग्राउंड
कई बार एनबीएफसी लोन देने में तो बहुत जल्दबाजी दिखाते हैं, लेकिन EMI पेमेंट में देर होने पर ग्राहक के साथ खराब व्यहवार करते हैं। कई बार ग्राहक के सामने ऐसी मजबूरी आ जाती है, जिससे वह समय पर ईएमआई नहीं चुका पाता है। बैंक का फर्ज है कि वह ग्राहक की मजबूरी को समझते हुए उसे लोन चुकाने के लिए अतिरिक्त समय दे सकता है। किसी भी स्थिति में ग्राहक के साथ बदतमीजी करने की इजाजत बैंक या एनबीएफसी को नहीं है।