भारत में सोमवार, 22 सितंबर से सभी इंडिविजुअल लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज GST-मुक्त हो गई हैं। इसका मतलब है कि अब इन बीमा प्रीमियम पर पहले लागू 18% GST नहीं लगेगा। इससे पॉलिसीधारकों का खर्च कम होगा और बीमा अपनाने का चलन बढ़ेगा।
भारत में सोमवार, 22 सितंबर से सभी इंडिविजुअल लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज GST-मुक्त हो गई हैं। इसका मतलब है कि अब इन बीमा प्रीमियम पर पहले लागू 18% GST नहीं लगेगा। इससे पॉलिसीधारकों का खर्च कम होगा और बीमा अपनाने का चलन बढ़ेगा।
कौन-कौन सी पॉलिसीज को छूट?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि किसी भी इंडिविजुअल हेल्थ पॉलिसीज पर GST नहीं लगेगी। चाहे वो फैमिली फ्लोटर प्लान, सीनियर सिटीजंस पॉलिसीज या फिर रीइंश्योरेंस हो। इसी तरह, इंडिविजुअल लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसीज भी अब GST-मुक्त होंगी। जैसे कि टर्म लाइफ, ULIPs, एंडोमेंट प्लान और उनका रीइंश्योरेंस।
GST छूट से कितनी होगी बचत?
जुलाई 2017 में GST लागू होने के बाद इन बीमा प्रोडक्ट्स के प्रीमियम पर 18% टैक्स लगता था। अब की छूट से परिवार अपने सालाना प्रीमियम पर बचत कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की कीमत ₹15,000 (GST सहित) थी, तो अब यह लगभग ₹12,800 हो जाएगी। इससे करीब ₹2,200 की बचत होगी।
किसे सबसे ज्यादा फायदा होगा?
RenewBuy के को-फाउंडर और CEO बालचंदर शेखर का कहना है कि इस छूट से परिवारों, खासकर वरिष्ठ नागरिकों के लिए बीमा खर्च कम होगा और इसे अपनाना आसान होगा। पहली बार खरीदार और मध्यम आय वाले परिवार भी लाभ उठाएंगे।
Carepal Secure के CEO पंकज नवानी के मुताबिक, एक परिवार जो पहले ₹25,000 सालाना स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम देता था, उसे 18% GST के रूप में अतिरिक्त ₹4,500 चुकाने पड़ते थे। अब यह रकम उनकी जेब में रहेगी। वे इसे स्वास्थ्य या अन्य जरूरी खर्चों में इस्तेमाल कर सकते हैं।

GST छूट से तेज होगी बीमा पहुंच
Bajaj Allianz Life Insurance के MD और CEO तरुण चुघ का कहना है कि जीवन बीमा प्रीमियम पर GST छूट एक बड़ा कदम है। इससे सुरक्षा अधिक किफायती होगी और देश में बीमा की पहुंच तेज होगी।
Medi Assist के CBO निखिल चोपड़ा कहते हैं कि यह छूट करोड़ों भारतीयों के लिए गुणवत्तापूर्ण व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा सस्ते में उपलब्ध कराएगी। हालांकि, ग्रुप मेडिकल कवरेज (GMC) पर 18% GST जारी रहने से छोटे बिजनेस पर दबाव रहेगा। बीमाकर्ता और TPAs मिश्रित मॉडल अपनाकर रिटेल और ग्रुप योजनाओं को प्रभावी रूप से बढ़ा सकते हैं।
बीमा कंपनियों पर क्या असर होगा
इस छूट से उपभोक्ताओं का फायदा होंगे, लेकिन बीमा कंपनियों को संचालन और अनुपालन में चुनौती होगी। केवल रीइंश्योरेंस सर्विसेज GST से मुक्त हैं, जबकि कमीशन और ब्रोकरेज टैक्सेबल रहेंगे।
अब बीमाकर्ताओं की आउटपुट सप्लाई (प्रीमियम) GST-मुक्त है, इसलिए वे इन इनपुट्स पर Input Tax Credit (ITC) दावा नहीं कर सकते और पहले से दावा किए गए ITC को उलटना होगा।
पंकज नवानी कहते हैं कि दशकों तक हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पर 18% GST परिवारों के लिए बाधा रहा। यह सुधार खर्च कम करता है। लेकिन, बीमा कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि लाभ सीधे ग्राहकों तक पहुंचे। साथ ही, ITC उलटने और अनुपालन जिम्मेदारियों को सही तरीके से संभाला जाए।
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