Personal loan: पर्सनल लोन में ब्याज के साथ होते हैं कई हिडेन चार्ज, नहीं जानने पर बढ़ जाएगी परेशानी

Personal loan hidden charges: पर्सनल लोन लेते वक्त ज्यादातर लोग सिर्फ ब्याज दर देखते हैं, लेकिन असली खर्च उसके पीछे छिपे चार्ज में होता है। प्रोसेसिंग फीस, पेनाल्टी और लेट फीस जैसे हिडेन कॉस्ट लोन को महंगा बना देते हैं। जानिए कैसे बचें इनसे।

अपडेटेड Nov 14, 2025 पर 1:55 PM
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पर्सनल लोन लेने से पहले सिर्फ ब्याज दर नहीं, बल्कि Annual Percentage Rate (APR) देखें।

Personal loan hidden charges: जब आप पर्सनल लोन लेते हैं, तो सबसे पहले आपकी नजर ब्याज दर (Interest Rate) पर जाती है- 10%, 11% या 13%। आपको लगता है, बस यही तय करेगा कि लोन सस्ता है या महंगा। लेकिन सच्चाई इससे कहीं गहरी है।

असली खर्च उस ब्याज दर के पीछे छिपा होता है, जो अक्सर बारीक अक्षरों में लिखी होती हैं। यही वो बातें हैं, जो तय करती हैं कि आपका लोन आपके लिए राहत बनेगा या सिरदर्द। आइए जानते हैं कि पर्सनल लोन लेने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि वो आपके लिए सिरदर्द न बने।

ब्याज में मामूली बढ़ोतरी से बड़ा बोझ


अगर आप ₹5 लाख का लोन 11% ब्याज पर 3 साल के लिए लेते हैं, तो आपको करीब ₹89,296 ब्याज देना होगा। लेकिन, अगर ब्याज दर 13% हो जाए, तो यह ब्याज ₹1,06,491 तक पहुंच जाएगा। यानी सिर्फ 2% ज्यादा ब्याज के कारण ₹17,195 का अतिरिक्त बोझ।

इसके अलावा, बैंक और NBFC प्रोसेसिंग चार्ज, प्रीपेमेंट फीस, और आपके क्रेडिट स्कोर, नौकरी प्रोफाइल, और टेन्योर के आधार पर भी अलग-अलग दरें तय करते हैं।

क्रेडिट प्रोफाइल और टेन्योर की अहमियत

लोन देने वाले संस्थान यानी बैंक और NBFC यह देखते हैं कि आप उनके लिए कितने भरोसेमंद या जोखिमभरे ग्राहक हैं। अगर आपकी सैलरी अच्छी है, नौकरी स्थिर है और क्रेडिट हिस्ट्री मजबूत है, तो आपको लोन पर कम ब्याज दर मिल सकती है।

हालांकि, अगर आप लोन की अवधि (Tenure) बढ़ाते हैं, तो आपकी EMI तो घटेगी, लेकिन पूरे लोन की कुल ब्याज लागत बढ़ जाएगी। इसलिए यह जरूरी है कि आप आज की अपनी मासिक क्षमता और भविष्य की कुल लागत के बीच सही संतुलन बनाएं।

हिडेन चार्ज, जो अक्सर हो जाते हैं नजरअंदाज

पर्सनल लोन में ब्याज के अलावा भी कई तरह के हिडेन चार्ज यानी अतिरिक्त खर्चे छिपे रहते हैं। इनके बारे में जानना जरूरी है, नहीं तो आपकी मुश्किल बढ़ सकती है।

  • प्रोसेसिंग फीस: लोन अमाउंट का 1-3% तक।
  • प्रीपेमेंट या पार्ट पेमेंट चार्ज: लोन जल्दी चुकाने पर लगने वाली पेनाल्टी।
  • लेट पेमेंट चार्ज: समय पर EMI न देने पर भारी जुर्माना।

ये सारे खर्च लोन की असली लागत को काफी बढ़ा देते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग सिर्फ ब्याज दर देखकर फैसला कर लेते हैं और इन खर्चों को नजरअंदाज कर देते हैं। इससे उन्हें बाद में परेशानी होती है।

लोन लेने से पहले ये चीजें जरूर जांचें

  • पर्सनल लोन लेने से पहले सिर्फ ब्याज दर नहीं, बल्कि Annual Percentage Rate (APR) देखें। इसमें ब्याज के साथ प्रोसेसिंग और अन्य चार्ज भी शामिल होते हैं।
  • EMI कैलकुलेटर का इस्तेमाल करें ताकि हर महीने का खर्च और पूरी अवधि में कुल भुगतान का अंदाजा पहले से रहे।
  • सुनिश्चित करें कि EMI आपके बजट में आसानी से फिट बैठती हो, ताकि किसी आपात स्थिति में दबाव न बढ़े।
  • यह भी जांचें कि प्रीपेमेंट की सुविधा बिना भारी चार्ज के उपलब्ध है या नहीं, ताकि आगे चलकर ब्याज बचाया जा सके।

समझदारी से लें कर्ज का फैसला

पर्सनल लोन एक काम का फाइनेंशियल टूल हो सकता है, लेकिन तभी जब आप इसे जिम्मेदारी के साथ संभालें। इसे जल्दी पैसे पाने का आसान रास्ता मानना गलती होगी। लोन लेने से पहले उसकी पूरी लागत समझें, अपनी जरूरत और क्षमता का सही आकलन करें और फिर तुलना करके सबसे बेहतर ऑफर चुनें। यही तरीका आपको अनचाही परेशानियों और कर्ज के जाल से बचा सकता है।

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