नॉन-रेजिडेंट इंडियन को पीपीएफ अकाउंट ओपन करने की इजाजत नहीं है। लेकिन, कई एनआरआई पीपीएफ में इनवेस्ट करते हैं। इसकी वजह यह है कि अगर किसी रेजिडेंट ने पीपीएफ अकाउंट ओपन किया है और उसके बाद वह एनआरआई बन जाता है तो उसे अपना पीपीएफ अकाउंट जारी रखने का अधिकार है। कई भारतीय एनआरआई बनने के बाद भी पीपीएफ में निवेश जारी रखते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह इसका अट्रैक्टिव इंटरेस्ट रेट है।
पीपीएफ अकाउंट 15 साल में मैच्योर कर जाता है
Public Provident Fund (PPF) का इंटरेस्ट रेट 7.1 फीसदी है। यह कई बैंकों के एफडी के इंटरेस्ट रेट्स से ज्यादा है। चूंकि पीपीएफ एक लंबी अवधि का इनवेस्टमेंट प्लान है, जिससे इसमें निवेश करने से बड़ा फंड तैयार हो जाता है। पीपीएफ का अकाउंट 15 साल में मैच्योर कर जाता है। कई लोग रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए पीपीएफ में निवेश करते हैं। अगर कोई व्यक्ति पीपीएफ अकाउंट ओपन करने के बाद एनआरआई बन जाता है तो उसके लिए कुछ खास नियम हैं।
पीपीएफ नियम में पिछले साल बदलाव हुए थे
सरकार ने एनआरआई के लिए पीपीएफ अकाउंट के नियमों में कुछ बदलाव किए थे। ये नियम 1 अक्टूबर, 2024 से लागू हो गए हैं। इसमें कहा गया है कि अगर किसी एनआरआई के पीपीएफ अकाउंट को अनियमित तरीके से एक्सटेंड किया गया है तो उस पर 30 सितंबर, 2024 के बाद इंटरेस्ट मिलना बंद हो जाएगा। अगर किसी एनआरआई का पीपीएफ अकाउंट है तो उसे रेजिडेंसी स्टेटस में बदलाव के बारे में उस बैंक या पोस्ट ऑफिस को बताना होगा, जहां उसका पीपीएफ अकाउंट है। अगर किसी एनआरआई ने अपने रेजिडेंसी स्टेट्स में बदलाव के बारे में जानकारी नहीं दी है तो उसके अकाउं में जमा पैसे पर पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट के इंटरेस्ट रेट जितना इंटरेस्ट मिलेगा। यह अभी 4 फीसदी है।
एनआरआई बनने के बाद पीपीएफ अकाउंट जारी रह सकता है
अगर कोई व्यक्ति इंडिया में पीपीएफ अकाउंट ओपन करने के बाद नौकरी, बिजनेस या कामकाज की वजह से एनआरआई हो जाता है तो उसे अपना पीपीएफ अकाउंट बंद करने की जरूरत नहीं है। वह अकाउंट की मैच्योरिटी यानी 15 साल तक निवेश जारी रख सकता है। अकाउंट के मैच्योर करने के बाद उसे पूरा पैसा मिल जाएगा। अगर किसी व्यक्ति के रेजिडेंसी स्टेटस में बदलाव होता है तो वह अपने पीपीएफ अकाउंट को बंद कर सकता है।