बिहार सरकार ने जमीन रजिस्ट्री की प्रक्रिया को और अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य में जमीन की खरीद-बिक्री पूरी तरह से पेपरलेस की जाएगी। जिससे आम लोगों को रजिस्ट्री में होने वाली दिक्कतों से छुटकारा मिलेगा। वहीं बिहार में रजिस्ट्री करवाने के लिए लगातार रजिस्ट्री कचहरी का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। इतना ही नहीं आने वाले दिनों में अब केवाला की अहमियत भी काफी हद तक कम हो जाएगी। बिहार के आरा, शेखपुरा, पटना के फतुहा और मोतिहारी के केसरिया में ऑनलाइन रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू हो गई है।
दरअसल, बिहार में रजिस्ट्री के नियमों को बदलाव किया गया है। अब इस पूरी प्रक्रिया को पेपरलेस बना दिया गया है। बाकी चीजों की तरह रजिस्ट्री को भी ऑनलाइन कर दिया गया है। ऐसे में लोग अब बिना किसी झंझट के जमीन की खरीद बिक्री कर सकते हैं।
ऑनलाइन प्रक्रिया से समय की होगी बचत
1 अप्रैल 2025 से राज्य के सभी 137 रजिस्ट्री कार्यालयों में पेपरलेस रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इससे पूरे राज्य में रजिस्ट्री प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया जाएगा। इसके साथ ही इससे फर्जीवाड़े पर लगाम कसने में मदद मिलेगी। सूबे में इस बदलाव के बाद लोगों को रजिस्ट्री कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। जिससे समय की बचत होगी। इसके साथ ही आम आदमी को राहत मिलेगी। लोगों को सरल तरीके से अपनी जमीन की रजिस्ट्री करने का मौका मिलेगा। इतना ही नहीं इस इस नए बदलाव से कातिब और स्टांप वेंडर की बेरोजगारी की चिंता भी खत्म हो जाएगी। मैनुअल काम के बजाय, वे अब ऑनलाइन काम कर सकेंगे। इससे उनकी आजीविका भी बनी रहेगी और वे डिजिटल प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगे।
ऑनलाइन रजिस्ट्री से भ्रष्टाचार में आएगी कमी
कहा जा रहा है कि सरकार के इस कदम से सरकारी दफ्तरों में पारदर्शिता आएगी। इसके साथ ही भ्रष्टाचार को कम करने में मदद मिलेगी।
नई व्यवस्था के कई फायदे होंगे। इससे विक्रेता का रकबा तुरंत घटेगा। रजिस्ट्री के साथ ही विक्रेता के हिस्से की जमीन कम हो जाएगी। खरीदार के नाम पर मालिकाना जमाबंदी तैयार हो जाएगी। नई व्यवस्था से फर्जीवाड़ा पर रोक लगेगी। विक्रेता एक ही जमीन को दोबारा किसी और को नहीं बेच सकेगा। साथ ही जमीन विवाद से जुड़े मामले कम होंगे।