RBI ने 10 अगस्त को मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान सुबह 10 बजे किया। केंद्रीय बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया। यह 6.5 फीसदी पर बना रहेगा। आरबीआई ने लगातार अपनी तीसरी मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। मॉनेटरी पॉलिसी का ऐलान आरबीआई के गवर्नर शक्तिदास ने किया। उन्होंने कहा कि रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बनाए रखने का फैसला लिया गया है। इसका मतलब है कि होम लोन की आपकी किस्त फिलहाल बढ़ने नहीं जा रही है।
रेपो रेट 2.5% बढ़ने से मुश्किल में होम लोन के ग्राहक
होम लोन लेने वाले लोग पिछले पांच-छह तिमाहियों में रेपो रेट बढ़ने से बहुत परेशान है। पिछले साल मई से अब तक रेपो रेट 2.5 फीसदी बढ़ चुका है। इसके चलते उनके होम लोन की EMI बढ़ गई है। केंद्रीय बैंक ने महंगाई दर यानी इनफ्लेशन को काबू में करने के लिए रेपो रेट बढ़ाया था। अब इनफ्लेशन हाई लेवल से काफी नीचे आ गया है। लेकिन, केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह इसे 4 फीसदी तक लाने की अपनी कोशिश जारी रखेगा।
बढ़ती महंगाई के चलते फिलहाल रेपे रेट में कमी की उम्मीद नहीं
एक्सपर्ट्स का कहना है कि RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस फाइनेंशियल ईयर में रिटेल इनफ्लेशन के अपने अनुमान को बढ़ा दिया है। इससे अगले कुछ तिमाहियों में रेपो रेट घटने की उम्मीद नहीं रह गई है। अगर इस साल के अंत तक रिटेल इनफ्लेशन आरबीआई के टारगेट तक आता है तो केंद्रीय बैंक अगले फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही से पहले रेपो रेट में कमी नहीं करेगा। इसका मतलब है कि तब तक आपकी EMI मौजूदा स्तर पर बनी रहेगी।
रेपो रेट में कमी के लिए रिटेल इनफ्लेशन में कमी जरूरी
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मई में रिटेल इनफ्लेशन घटकर 4.31 फीसदी पर आ गया था। लेकिन, जून में यह फिर से बढ़कर 4.81 फीसदी पर चला गया। माना जा रहा है कि जुलाई में इनफ्लेशन में उछाल देखने को मिलेगा। इसकी वजह यह है कि फल-सब्जियों के दाम में उछाल आया है। टमाटर सहित कई सब्जियों के दाम रिकॉर्ड उंचाई पर पहुंच गए हैं। उधर, क्रूड ऑयल लगातार चढ़ रहा है। यह 87 डॉलर प्रति डॉलर तक पहुंच गया है। इसलिए अभी हालात ऐसे है, जिनमें रेपो रेट में कमी की उम्मीद नहीं दिख रहा है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस साल के अंत या साल 2024 की शुरुआत तक ही इंडिया सहित दूसरे देशों में इंटरेस्ट रेट में कमी का सिलिसिला शुरू होने की उम्मीद है। इसलिए अगर आप होम लोन की ज्यादा EMI से परेशान हैं तो आप ऐसे दूसरे बैंक में अपने होम लोन को ट्रांसफर करने के बारे में सोच सकते हैं, जो आपको कम इंटरेस्ट रेट ऑफर करने के लिए तैयार है। लेकिन, सिर्फ 0.25 या 0.5 फीसदी की रियायत मिलने पर आपको होम लोन ट्रांसफर करने का फैसला नहीं करना चाहिए। अगर आपको कम से कम 1 से 1.5 फीसदी कम इंटरेस्ट रेट का ऑफर मिले तभी आपको होम लोन ट्रांसफर कराने का फैसला लेना चाहिए।
अगर आपको कंपनी की तरफ से बोनस मिला है तो उसका इस्तेमाल आप होम लोन का कुछ हिस्से का रिपेमेंट करने के लिए कर सकते हैं। इससे इंटरेस्ट के रूप में होने वाला आपका कुल खर्च कम हो जाएगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बैंक आम तौर पर EMI बढ़ाने की जगह लोन की अवधि बढ़ा देते हैं। ज्यादातर ग्राहक को यह सुविधाजनक लगता है। लेकिन, इसमें इंटरेस्ट पर होने वाला आपका खर्च बढ़ जाता है। इसलिए अगर आपको कंपनी से इंक्रीमेंट मिला है तो आप बैंक को लोन की अवधि की जगह अपनी EMI बढ़ाने को कह सकते हैं। इससे इंटरेस्ट पर होने वाला आपका खर्च नहीं बढ़ेगा।