आरबीआई ने 5 दिसंबर को रेपो रेट 0.25 फीसदी घटा दिया। इससे रेपो रेट अब 5.25 फीसदी पर आ गया है। रिजर्व बैंक के मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक 3 दिसंबर को शुरू हुई थी। एमपीसी के सभी 6 सदस्यों ने रेपो रेट में एक-चौथाई फीसदी की कमी के प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया। सवाल है कि क्या इसका असर आपके बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर पड़ेगा?
एफडी के इंटरेस्ट रेट पर मीडियम टर्म में पड़ सकता है असर
एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई के इंटरेस्ट रेट घटाने का असर तुरंत बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर नहीं पड़ेगा। लेकिन, मीडियम टर्म में इसका असर दिख सकता है। बैंकबाजार के सीईओ आदिल शेट्टी ने कहा, " पिछली कुछ तिमाहियों में बैंकों ने अलग-अलग अवधि के एफडी के इंटरेस्ट रेट में कमी की है। सबसे ज्यादा बदलाव दो साल के एफडी के इंटरेस्ट रेट्स में हुआ है। कुछ खास अवधि के एफडी पर ही रिटर्न अट्रैक्टिव रह गया है।"
फरवरी से अब तक एक फीसदी तक घट चुका है एफडी पर इंटरेस्ट
इस साल फरवरी में आरबीआई ने पहली बार इंटरेस्ट रेट में कमी की थी। तब से बैंकों ने एफडी के इंटरेस्ट रेट में काफी कमी की है। फरवरी से अब तक इंटरेस्ट रेट्स में आधा से एक फीसदी की कमी आ चुकी है। स्टेबल मनी के को-फाउंडर एवं सीईओ सौरभ जैन ने कहा, "एसबीआई की अमृत वृष्टि स्कीम में रेगुलर डिपॉजिटर्स के लिए इंटरेस्ट रेट 7.1 फीसदी से घटकर 6.6 फीसदी पर आ गई है। एचडीएफसी बैंक का भी पीक (सबसे ज्यादा) इंटरेस्ट रेट 7.1 फीसदी से घटकर 6.6 फीसदी पर आ गया है।"
इनवेस्टर्स अपनी इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी में कर सकते हैं बदलाव
कई मिड-साइज और स्मॉल फाइनेंस बैंकों ने तो कुछ एफडी पर इंटरेस्ट रेट में 1.5 से 2.25 फीसदी तक कमी की है। जैन ने कहा, "इससे यह संकेत मिलता है कि एफडी के इंटरेस्ट रेट्स पर न सिर्फ रेपो रेट में बदलाव का असर पड़ा है बल्कि इस पर सिस्टम में लिक्विडिटी, डिपॉजिट के लिए कॉम्प्टिशन और क्रेडिट डिमांड का भी असर पड़ा है। " आरबीआई के 5 दिसंबर को इंटरेस्ट रेट घटाने से इकोनॉमी की ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा। इनवेस्टर्स को इंटरेस्ट रेट में बदलाव के माहौल में अपनी इनवेस्टमेंट स्ट्रेटेजी में बदलाव करना पड़ सकता है।
रिटारयर्ड लोग लंबी अवधि के एफडी पर कर सकते हैं विचार
इनवेस्टर्स एफडी पर इंटरेस्ट रेट में कमी के रिस्क को देखते हुए अपने इनवेस्टमेंट को अलग-अलग अवधि के एफडी में बांट सकते हैं। इससे उन्हें लिक्विडिटी के मामले में किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। साथ ही इंटरेस्ट रेट में कमी का उन्हें कम नुकसान उठाना पड़ेगा। शेट्टी ने कहा, "रिटायर्ड लोग लंबी अवधि के एफडी पर विचार कर सकते हैं। सीनियर सिटीजंस को पहले से 0.50 फीसदी ज्यादा इंटरेस्ट रेट मिलता है।" एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनवेस्टर्स एफडी के विकल्प जैसे कॉर्पोरेट एफडी, डेट म्यूचुअल फंड्स और सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश करने के बारे में भी सोच सकते हैं।