भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने हाल ही में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट (bps) की कटौती की है। । इसका सीधा असर फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर पड़ेगा यानी FD पर मिलने वाला ब्याज अब घटेगा। ऐसे में उन सीनियर सिटिजन के लिए दिक्कत हो सकती है, जो इन पर नियमित आय के लिए निर्भर रहते हैं।
इसी दिशा में बढ़ते हुए, बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी 400 दिनों वाली विशेष FD योजना (जिस पर 7.3% ब्याज मिल रहा था) 15 अप्रैल से बंद करने की घोषणा कर दी है। इसने कई अन्य अवधि की FD दरों में भी कटौती की है। वहीं HDFC बैंक ने सेविंग अकाउंट पर ब्याज दर को 3% से घटाकर 2.75% कर दिया है।
अब क्या करें सीनियर सिटिजन?
सीनियर सिटिजन के पास अब भी निवेश के कई विकल्प हैं। अपनाधन फाइनेंशियल सर्विसेज की फाउंडर और SEBI रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार प्रीति जेंडे कहती हैं, 'सीनियर सिटिजन अब छोटी बचत योजनाओं में निवेश करना चाहिए, क्योंकि अभी यहां की दरें FD से ज्यादा हैं।'
जेंडे के मुताबिक, 'कुछ बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड वाली कंपनियों की AAA-रेटेड कॉर्पोरेट FD पर भी विचार किया जा सकता है। ये बैंक FD से ज्यादा ब्याज दे सकती हैं और इनमें मंथली पेमेंट का विकल्प भी होता है।'
लंबी अवधि वाली FD भी अच्छा विकल्प
प्लानअहेड फाइनेंशियल प्लानर्स के फाउंडर विशाल धवन का कहना है, 'अभी जब ब्याज दरें और गिरने की उम्मीद है, तो सीनियर सिटिजन को छोटी अवधि की बजाय लंबी अवधि की FD में निवेश करना चाहिए।'
उनका मानना है कि भारत में ब्याज दर का एक चक्र आमतौर पर 2-3 साल चलता है, और अभी हम कम ब्याज के उस चक्र में हैं। यानी आने वाले वर्षों में ब्याज दरें और भी ज्यादा गिर सकती हैं।
इक्विटी मार्केट में निवेश करना भी सही
वित्तीय सलाहकारों का मानना है कि बाजार की मौजूदा अस्थिरता के बावजूद सीनियर सिटिजन को अपने पोर्टफोलियो का एक हिस्सा इक्विटी में भी लगाना चाहिए।
जेंडे कहती हैं, 'सीधे शेयरों में न जाएं, बल्कि हाइब्रिड म्यूचुअल फंड या बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स में निवेश करें। वे अपनी कुल पूंजी का 10-20% इस ओर मोड़ सकते हैं, अगर वे थोड़ा जोखिम ले सकें।' धवन भी यही राय रखते हैं और लार्ज-कैप फंड और इंडेक्स फंड्स जैसे विकल्पों की सलाह देते हैं।
ब्याज दरों में गिरावट से घबराने की जरूरत नहीं
धवन का कहना है कि ब्याज दरों में गिरावट को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। महंगाई में गिरावट भी इसी नीति के पीछे का कारण है, और इससे सीनियर सिटिजन के रोजमर्रा के खर्च भी सीमित रहेंगे।
उनका कहना है, 'घबराने या हड़बड़ी में फैसले लेने की बजाय, योजनाबद्ध तरीके से निवेश को रीबैलेंस करना ही सही रास्ता है। इससे सीनियर सिटिजन को अपने निवेश की अच्छी वैल्यू मिलेगी।'