RBI का बड़ा फैसला: समय से पहले लोन चुकाने पर नहीं लगेगा चार्ज, जानिए कब से लागू होगा नया नियम

RBI prepayment charges: आरबीआई ने ऐलान किया है कि 1 जनवरी 2026 से फ्लोटिंग रेट लोन पर प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगेगा। इससे होम लोन या दूसरी तरह के लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। जानिए आरबीआई ने फैसला क्यों लिया और इससे ग्राहकों को कैसे फायदा होगा।

अपडेटेड Jul 03, 2025 पर 7:08 PM
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RBI ने स्पष्ट किया कि यह राहत लोन चुकाने के स्रोत पर निर्भर नहीं होगी।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लोन लेने वालों को राहत देते हुए फ्लोटिंग रेट लोन पर प्री-पेमेंट चार्ज खत्म करने का फैसला किया है। यह चार्ज लोन को समय से पहले थोड़ा या पूरा चुकाने पर लिया जाता था। नया नियम 1 जनवरी 2026 से लागू होगा। यह सभी बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) समेत रेगुलेटेड संस्थाओं के लिए अनिवार्य रहेगा। इससे करोड़ों लोन लेने वालों, खासकर होम लोन और एमएसई (MSE) उधारकर्ताओं को सीधा फायदा मिलेगा।

RBI के फैसले से किसे मिलेगा लाभ?

इस फैसले से उन व्यक्तियों को फायदा मिलेगा, जिन्होंने गैर-व्यावसायिक काम से फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है। चाहे अकेले या को-ऑब्लिगेंट के साथ। ऐसे सभी लोन पर कोई भी बैंक या NBFC प्री-पेमेंट चार्ज नहीं वसूल सकेगा।


इसके अलावा, अगर लोन का मकसद व्यवसाय है और इसे इंडिविजुअल या सूक्ष्म एवं लघु उद्यम (MSE) ने लिया है, तो भी व्यावसायिक बैंक (Commercial Banks) प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगाएंगे। हालांकि, यह छूट कुछ खास श्रेणी की संस्थाओं पर लागू नहीं होगी।

किन संस्थानों को नहीं मिलेगा छूट का लाभ?

  • स्मॉल फाइनेंस बैंक
  • रीजनल रूरल बैंक
  • लोकल एरिया बैंक
  • टियर-4 अर्बन कोऑपरेटिव बैंक
  • NBFC–Upper Layer (NBFC-UL)
  • ऑल इंडिया फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन
  • ₹50 लाख तक के लोन पर भी राहत

अगर किसी व्यक्ति या MSE को ऊपर दी गई संस्थाओं से ₹50 लाख तक का लोन मिला है, तो उस पर भी प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगाया जा सकेगा। इसमें टियर-3 अर्बन कोऑपरेटिव बैंक, स्टेट और सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक, और NBFC–Middle Layer (NBFC-ML) शामिल हैं।

RBI ने यह फैसला क्यों लिया?

RBI ने बताया कि उसकी निगरानी में यह बात सामने आई कि कई रेगुलेटेड संस्थाएं प्री-पेमेंट चार्ज को लेकर अलग-अलग नीति अपना रही थीं। इससे ग्राहकों में भ्रम और विवाद की स्थिति बन रही थी। इसके अलावा, कुछ संस्थाएं लोन एग्रीमेंट में ऐसे प्रतिबंधात्मक क्लॉज शामिल कर रही थीं जिससे ग्राहक कम ब्याज दर वाले विकल्पों पर स्विच न कर सकें।

प्री-पेमेंट के स्रोत से कोई फर्क नहीं

RBI ने स्पष्ट किया कि यह राहत लोन चुकाने के स्रोत पर निर्भर नहीं होगी। यानी चाहे रकम आंशिक रूप से दी जाए या पूरी, और चाहे फंड कहां से आए हों, कोई चार्ज नहीं लगेगा। साथ ही किसी भी तरह का लॉक-इन पीरियड अनिवार्य नहीं होगा।

फिक्स्ड टर्म लोन और ओवरड्राफ्ट पर क्या होगा?

नए नियमों के मुताबिक, फिक्स्ड टर्म लोन में अगर प्री-पेमेंट चार्ज लगाया भी जाता है, तो वह सिर्फ प्री-पे की गई रकम पर आधारित होना चाहिए। वहीं, ओवरड्राफ्ट या कैश क्रेडिट के मामलों में नियम थोड़ा अलग है। अगर उधारकर्ता समय से पहले रिन्यूएबल न करने की सूचना देता है और तय तारीख पर लोन बंद कर देता है, तो कोई प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगाया जाएगा।

KFS में स्पष्ट जानकारी जरूरी

RBI ने यह भी निर्देश दिया है कि प्री-पेमेंट चार्ज संबंधित सभी नियमों की जानकारी लोन स्वीकृति पत्र, अनुबंध और Key Facts Statement (KFS) में स्पष्ट रूप से दर्ज होनी चाहिए। अगर KFS में कोई चार्ज पहले से दर्ज नहीं है, तो बाद में उसे वसूल नहीं किया जा सकता। यह फैसला ग्राहकों की पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धी बैंकिंग सेवाओं की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जा रहा है।

ग्राहकों के लिए फैसले का मतलब

इस फैसले का मतलब ये है कि अगर आपने फ्लोटिंग रेट पर लोन (जैसे होम लोन) लिया है और आप उसे थोड़ा या पूरा तय समय से पहले चुकाना चाहते हैं, तो बैंक या फाइनेंशियल कंपनी आपसे कोई प्री-पेमेंट पेनल्टी नहीं ले पाएगी। बशर्ते लोन 1 जनवरी 2026 या उसके बाद मंजूर या रिन्यू हुआ हो।

अब तक बैंक लोग जब-तब यह चार्ज लगाते थे ताकि ग्राहक किसी और बैंक के सस्ते लोन पर स्विच न कर सके या जल्दी भुगतान न करे। इससे उन्हें पूरा ब्याज कमाने का मौका मिलता था। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा।

RBI का यह फैसला ट्रांसपेरेंसी और ग्राहक के अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है। खासकर उन लोगों के लिए जो ब्याज दरों में गिरावट का फायदा उठाना चाहते हैं।

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Suneel Kumar

Suneel Kumar

First Published: Jul 03, 2025 6:59 PM

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