आरबीआई ने 6 अगस्त को मॉनेटरी पॉलिसी में रिटेल इनवेस्टर्स के लिए एक बड़ा ऐलान किया। उसने कहा कि केंद्रीय बैंक अपने रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म का दायरा बढ़ाएगा। इससे रिटेल इनवेस्टर्स सिप के जरिए ट्रेजरी बिल्स (टी-बिल्स) में इनवेस्ट कर सकेंगे। इसका मकसद गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में रिटेल इनवेस्टर्स के निवेश की प्रक्रिया को आसान बनाना है।
ट्रेजरी बिल्स में म्यूचुअल फंड्स की तरह कर सकेंगे निवेश
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म (Retail Direct Platform) का दायरा बढ़ाने का ऐलान किया। इसके तहत केंद्रीय बैंक नए टूल्स पेश करेगा। इसकी मदद से इनवेस्टर्स अपने इनवेस्टमेंट को आसानी से मैनेज कर सकेंगे। साथ ही वे म्यूचुअल फंड्स में जिस तरह सिप से निवेश करते हैं, उसी तरह ट्रेजरी बिल्स में सिप से निवश कर सकेंगे। एक्सपर्ट्स ने आरबीआई के इस ऐलान का स्वागत किया है।
ट्रेजरी बिल एक सिक्योरिटी है, जिसके जरिए सरकार छोटी अवधि के लिए पैसे जुटाती है। ट्रेजरी बिल की अवधि एक साल तक की होती है। इस पर किसी तरह का इंटरेस्ट नहीं मिलता है। इन्हें सरकार डिस्काउंट पर इश्यू करती है। मैच्योरिटी पर इसे तय वैल्यू पर रिडीम कराया जाता है। अभी रिटेल इनवेस्टर्स ट्रेजरी बिल्स में इनवेस्ट नहीं कर सकते। हालांकि, वे म्यूचुअल फंड की लिक्विड स्कीम के जरिए ट्रेजरी बिल में इनडायरेक्ट रूप से इनवेस्ट कर सकते हैं।
2021 में हुई थी रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म की शुरुआत
आरबीआई ने रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म की शुरुआत 2021 में की थी। इस प्लेटफॉर्म के जरिए रिटेल इनवेस्टर्स प्राइमरी ऑक्शंस में गवर्नमेंट सिक्योरिटीज खरीद सकते हैं। साथ ही वे सेकेंडरी मार्केट्स में भी गवर्नमेंट सिक्योरिटीज खरीद और बेच सकते हैं। इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने के लिए रिटेल इनवेस्टर्स को गिल्ट अकाउंट ओपन करना पड़ता है।
ट्रेजरी बिल्स में इनवेस्ट और री-इनवेस्ट दोनों की सुविधा
आरबीआई गवर्नर ने 6 अगस्त को कहा कि सरकार की तरफ जारी होने वाले टी बिल्स में निवेश को आसान बनाया जाएगा। रिटेल इनवेस्टर्स सिस्टमैटिक रूप से अपने इनवेस्टमेंट को प्लान कर सकेंगे। इसके लिए ऑटो-बिडिंग फैसिलिटी शुरू की जाएगी। इसके तहत टी-बिल्स में इनवेस्टमेंट और री-इनवेस्टमेंट दोनों की सुविधा होगी। इसके तहत रिटेल इनवेस्टर्स को टी-बिल्स के प्राइमरी ऑक्शन में बिड के ऑटोमैटिक प्लेसमेंट की सुविधा मिलेगी।