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RD vs SIP: अपनी मासिक बचत को कहां लगाएं, कौन देगा सेफ्टी के साथ तगड़ा रिटर्न?

RD vs SIP: अपनी हर महीने की बचत को RD में निवेश करना सही है या SIP में। जानिए कौन सा विकल्प आपके पैसों को बढ़ाने में असली मदद करेगा और कैसे दोनों का संतुलन सही हो सकता है।

अपडेटेड Oct 06, 2025 पर 2:58 PM
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RD vs SIP: RD पर औसतन 4-7% रिटर्न मिलता है। SIP ने कई बार 15-20% तक रिटर्न दिए हैं।

RD vs SIP: भारतीय परिवारों में हर महीने एक तय रकम बचाना काफी पुरानी आदत है। पहले इसका सबसे आसान और सुरक्षित तरीका था रिकरिंग डिपॉजिट (RD)। इसमें पैसा सुरक्षित रहता था और रिटर्न तय होता था। लेकिन अब म्यूचुअल फंड्स के SIP आम हो गए हैं। ऐसे में सवाल ये है कि हर महीने निवेश कहां किया जाए, SIP या RD?

RD vs SIP: दोनों में क्या अंतर है?

RD (Recurring Deposit) एक ऐसा निवेश है जिसमें आप हर महीने तय रकम बैंक या पोस्ट ऑफिस में जमा करते हैं। इसकी ब्याज दर तय होती है, इसलिए इसमें जोखिम नहीं होता। तय समय पूरा होने पर आपको आपकी जमा राशि और उस पर मिला ब्याज, दोनों मिलते हैं।


SIP (Systematic Investment Plan) म्यूचुअल फंड में धीरे-धीरे निवेश करने का तरीका है। इसमें आप हर महीने एक निश्चित रकम लगाते हैं जो शेयर बाजार में निवेश होती है। इसमें कुछ जोखिम जरूर होता है, लेकिन लंबे समय में रिटर्न RD से ज्यादा मिल सकते हैं।

RD vs SIP: कैसे चुनें सही विकल्प?

अगर आपका लक्ष्य छोटा है, जैसे तीन साल से कम का, तो RD बेहतर है क्योंकि इसमें सुरक्षा और अनुमानित रिटर्न मिलता है। लेकिन अगर आप लंबे समय का सोच रहे हैं, तो SIP फायदेमंद है। जैसे कि पांच साल, दस साल या इससे ज्यादा। इसका कारण है इक्विटी से मिलने वाला ग्रोथ और कंपाउंडिंग का असर।

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फाइनेंशियल एक्सपर्ट के मुताबिक, RD दरअसल SIP ही है, फर्क बस इतना है कि यह फिक्स्ड डिपॉजिट में होता है। इसमें गारंटी तो है, लेकिन महंगाई को हराना मुश्किल है। SIP आपके पैसे को लंबे समय में कहीं तेजी से बढ़ने का मौका देती है।

RD vs SIP:  दोनों में बड़े अंतर

पॉइंट RD
SIP 
निवेश का माध्यम बैंक या पोस्ट ऑफिस म्यूचुअल फंड्स
रिटर्न का प्रकार फिक्स्ड और गारंटीड
मार्केट पर निर्भर, वैरिएबल
जोखिम स्तर बहुत कम मध्यम से उच्च
लॉक-इन अवधि तय अवधि (6 माह से 10 साल तक)
कोई फिक्स अवधि नहीं (फ्लेक्सिबल)
रिटर्न रेंज 6% से 7.5% सालाना
10% से 15% (लॉन्ग टर्म में औसतन)
टैक्स लाभ ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है
इक्विटी SIP पर 1 साल बाद LTCG टैक्स लागू
उपयुक्त निवेशक सुरक्षित और निश्चित रिटर्न चाहने वाले
लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न चाहने वाले
निकासी मैच्योरिटी से पहले पेनल्टी के साथ
आंशिक या पूरी निकासी संभव

RD vs SIP: रिटर्न में स्थिरता बनाम ग्रोथ

RD पर आज औसतन 4-7% रिटर्न मिलता है, जो महंगाई के बराबर ही रहता है। वहीं SIP का खेल अलग है। अच्छे इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 5-10 साल तक SIP करने पर 10-15% तक की कंपाउंडेड ग्रोथ मिलती रही है।

पिछले दशक में SIP ने कई बार 15-20% तक रिटर्न दिए हैं। स्थिर रूप से भी 10-12% मिल सकता है। यानी RD आपकी बचत को सुरक्षित रखते हैं, जबकि SIP आपके पैसों को असली मायनों में बढ़ाते हैं। हालांकि, इसके लिए सही फंड और स्कीम चुनना जरूरी है।

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टैक्सेशन में बड़ा फर्क

निवेश से कमाई एक बात है, लेकिन टैक्स के बाद आपके पास क्या बचता है, यह असली मायने रखता है। RD पर मिलने वाला ब्याज हर साल पूरी तरह टैक्सेबल होता है। यहां तक कि अगर RD मैच्योर नहीं भी हुआ, तब भी उस पर हर साल टैक्स देना पड़ता है।

इसके उलट, SIP पर टैक्स केवल रिडेम्पशन के समय लगता है। एक साल से ज्यादा समय तक SIP में पैसा रखा तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स सिर्फ 12.5% है, और हर साल 1.25 लाख रुपये तक के कैपिटल गेन पर छूट भी मिलती है। ELSS फंड्स में SIP करने पर तो सेक्शन 80C के तहत टैक्स में भी राहत मिलती है।

जोखिम सहने की क्षमता अहम

निवेश का चुनाव आपकी पर्सनैलिटी पर भी निर्भर करता है। अगर आप मार्केट के उतार-चढ़ाव से घबरा जाते हैं, तो RD आपके लिए बेहतर हैं क्योंकि इसमें पूंजी सुरक्षित रहती है। लेकिन अगर आप थोड़े जोखिम को सह सकते हैं और लंबे समय तक निवेशित रह सकते हैं, तो SIP बेहतर विकल्प है।

जब बाजार अस्थिर होता है तो RD सुकून देता है। लेकिन SIP में अगर धैर्य रखें, तो यह समृद्धि देता है। ऐसे में फैसला अपनी जोखिम लेने की क्षमता के हिसाब से ही करना चाहिए।

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RD vs SIP: लक्ष्यों के हिसाब से चुनें

अगर आपका लक्ष्य कार खरीदना, शादी करना या इमरजेंसी फंड बनाना है, तो RD बेहतर है क्योंकि यह सुरक्षित और निश्चित है। बुजुर्गों के लिए भी RD ज्यादा उपयोगी है क्योंकि उन्हें स्थिरता चाहिए।

लेकिन बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट प्लानिंग या लंबी अवधि में संपत्ति बनाने के लिए SIP बेहतरीन हैं। पांच से सात साल या उससे ज्यादा के लिए SIP में निवेश करने पर कंपाउंडिंग का पूरा असर दिखता है।

दोनों का तालमेल सबसे सही

एक्सपर्ट का मानना है कि एक को दूसरे पर पूरी तरह चुनना सही नहीं है। आप ‘कोर और सैटेलाइट’ रणनीति अपना सकते हैं। RD को कोर यानी आधार बनाइए, जो शॉर्ट-टर्म लक्ष्यों और इमरजेंसी के लिए सुरक्षा देगा। SIP को सैटेलाइट मानिए, जो लंबी अवधि में धीरे-धीरे संपत्ति बनाएगा।

अगर दोनों का संतुलन रखकर निवेश करें, तो निवेश यात्रा सुरक्षित भी होगी और फलदायी भी। अगर सुरक्षा चाहिए तो RD चुनें, ग्रोथ चाहिए तो SIP का रुख करें। अगर दोनों चाहिए तो मिलाकर निवेश करें।

Disclaimer: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें। मनीकंट्रोल की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है।

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