क्या आपने रिटायरमेंट प्लानिंग की है? अगर नहीं की है तो इसे जल्द करना समझदारी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आप रिटायरमेंट के लिए इनवेस्टमेंट की शुरुआत जितना जल्द करेंगे, आपके पैसे को बढ़ने के लिए उतना ज्यादा समय मिलेगा। निवेश से बड़ा फंड तभी तैयार होता है, जब हम पैसे को बढ़ने के लिए पर्याप्त समय देते हैं। यह समय जितना ज्यादा होगा, आपके पैसे के बढ़ने की संभावना उतनी ज्यादा होगी। एक्सपर्ट्स रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए मुख्य रूप से तीन स्कीम में निवेश की सलाह देते हैं। इनमें एनपीएस, पीपीएफ और ईपीएफ शामिल हैं।
EPF प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले लोगों के लिए है। एंप्लॉयी की सैलरी (बेसिक प्लस डीए) का एक हिस्सा हर महीने उसके ईपीएफ अकाउंट में जमा होता है। उतना ही पैसा एंप्लॉयर (कंपनी) एंप्लॉयी के ईपीएफ अकाउंट में हर महीने कंट्रिब्यूट करता है। ईपीएफ में जमा पैसा पर हर साल इंटरेस्ट मिलता है। सरकार यह इंटरेस्ट रेट तय करती है। फाइनेंशियर ईयर 2024-25 के लिए ईपीएफ का इंटरेस्ट रेट 8.25 फीसदी है। यह दूसरी किसी फिक्स्ड रिटर्न वाली स्कीम के इंटरेस्ट रेट से ज्यादा है।
PPF ऐसी स्कीम है, जिसमें कोई इनवेस्ट कर सकता है। यह लंबी अवधि की स्कीम है, जो 15 साल में मैच्योर होती है। इस स्कीम की खासियत यह है कि यह टैक्स के लिहाज से काफी अट्रैक्टिव है। इनवेस्टर हर महीने अपने पीपीएफ अकाउंट में पैसे जमा कर सकता है। 15 साल तक लगातार निवेश करने से एक बड़ा फंड तैयार हो जाता है। सरकार समय-समय पर पीपीएफ के इंटरेस्ट रेट को रिव्यू करती है। अभी पीपीएफ का इंटरेस्ट रेट 7.1 फीसदी है। यह स्कीम उन लोगों के लिए अच्छी है, जो रिटर्न की गारंटी चाहते हैं यानी रिस्क नहीं लेना चाहते।
NPS भी एक स्वैच्छिक पेंशन स्कीम है। इसका मतलब है कि कोई व्यक्ति इस स्कीम में निवेश कर सकता है। इनवेस्टर के 60 साल के होने पर यह स्कीम मैच्योर कर जाती है। फिर उसे एकमुश्त एक बड़ा अमाउंट मिलता है। इसके अलावा हर महीने उसे पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। इसलिए रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए यह स्कीम काफी अच्छी है। इस स्कीम की खास बात यह है कि इसका रिटर्न मार्केट (शेयर बाजार-बॉन्ड बाजार) से लिंक्ड होता है। जो लोग रिस्क ले सकते हैं, उनके लिए इस स्कीम में निवेश से ज्यादा रिटर्न हासिल करने का मौका है।
दो स्कीमों में रिटर्न की गारंटी
इन तीनों में से दो स्कीमों-ईपीएफ और पीपीएफ में रिटर्न की गारंटी होती है। एनपीएस इनवेस्टर के कुछ पैसे का निवेश मार्केट (शेयर और बॉन्ड) में करता है, जिससे इस स्कीम में रिटर्न कम या ज्यादा हो सकता है। इसका मतलब है कि यह उन इनवेस्टर्स के लिए बेहतर है, जो थोड़ा रिस्क ले सकते हैं। लंबी अवधि में इसमें बहुत अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना होती है।
तीनों स्कीमों में टैक्स बेनेफिट्स
टैक्स के लिहाज से ये तीनों स्कीम अच्छी हैं। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत इन तीनों स्कीम में निवेश कर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। डिडक्शन की सीमा एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये है। एनपीएस में सेक्शन 80CCD(1बी) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपये तक का डिडक्शन मिलता है। लेकिन, यह ध्यान में रखना जरूरी है कि यह डिडक्शन इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में मिलता है।
मैच्योरिटी से पहले विड्रॉल की सुविधा
ईपीएफ में कुछ खास स्थितियों में इनवेस्टर को पैसे निकालने की इजाजत है। इनमें इलाज कराने, एजुकेशन, शिक्षा और घर खरीदना शामिल हैं। पूरा पैसा व्यक्ति के रिटायरमेंट पर मिलता है। पांच फाइनेंशियल ईयर्स के बाद सब्सक्राइबर्स कुछ पैसा निकाल सकता है। एनपीएस में पूरा पैसा 60 साल की उम्र पूरी होने पर मिलता है। हालांकि, तीन साल के बाद सब्स्क्राइबर अपने कंट्रिब्यूशन का 25 फीसदी तक पैसा निकाल सकता है।
आपको किसमें निवेश करना चाहिए?
अगर आप प्राइवेट नौकरी करते हैं और लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार करना चाहते हैं तो ईपीएफ आपके लिए काफी अच्छा है। अगर आप ईपीएफ के अलावा भी बड़ा फंड तैयार करना चाहते हैं तो आप पीपीएफ में इनवेस्ट कर सकते हैं। यह स्कीम 15 साल तक इनवेस्टर करना बहुत अच्छा रिटर्न देती है। अगर आप रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त फंड के साथ ही हर महीने पेंशन चाहते हैं तो एनपीएस आपके लिए बेस्ट रहेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग इन तीनों स्कीमों में निवेश कर सकते हैं।