स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) का यूपीआई ट्रांजेक्शन फेल्यर दूसरे बैंकों के मुकाबले काफी ज्यादा है। इसका असर यूनिफायड पेमेंट्स इंटरफेश (यूपीआई) के सक्सेस रेट रेशियो पर पड़ रहा है। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेट ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के डेटा से यह जानकारी मिली है। एनपीसीआई यूपीआई को ऑपरेट करती है। ज्यादातर बड़े बैंकों का टेक्निकल डेक्लाइन (टीडी) 0.1 फीसदी से कम है, जबकि एसबीआई का टीडी मार्च में 0.9 फीसदी तक पहुंच गया। जनवरी में यह 0.84 फीसदी और फरवरी में 0.34 फीसदी था।
टेक्निकल डेक्लाइन का मतलब
SBI देश का सबसे बड़ा बैंक है। यह सरकारी बैंक है। यूपीआई ट्रांजेक्शन के लिहाज से यह दूसरे बैंकों से काफी आगे है। टेक्निकल डेक्लाइन (TD) का मतलब ऐसे ट्रांजेक्शन से है जो फेल कर जाता है। इसका मतलब है कि यूजर का पैसा टारगेट अकाउंट में ट्रांसफर नहीं होता है। ऐसा तब होता है जब बैंक का सर्वर डाउन होता है या वह कोई रिस्पॉन्स नहीं देता है। NPCI का 'अपटाइम'आम तौर पर 100 फीसदी है। इसका मतलब यह है कि ट्रांजेक्शन पूरा होने में आने वाली दिक्कत के लिए ज्यादातर वह बैंक जिम्मेदार है, जिसके जरिए पेमेंट होता है।
इन बैंकों का फेल्यर रेट काफी कम
इस बारे में मनीकंट्रोल के सवालों का जवाब एसबीआई ने नहीं दिया। HDFC Bank, ICICI Bank, Kotak Mahindra Bank और Axis Bank के टीडी रेट्स 0.02 से 0.13 फीसदी के बीच हैं। कुछ सरकारी बैंकों के टीडी रेट्स काफी कम हैं। इनमें Union Bank of India और Bank of Baroda शामिल हैं। लेकिन, Canara Bank, PNB और बैंक ऑफ इंडिया के टीडी रेट्स ज्यादा हैं। कई बार तो यह एसबीआई से भी ज्यादा रहते हैं।
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ट्रांजेक्शन की संख्या के लिहाह से एसबीआई सबसे आगे
एसबीआई ने मार्च में 5 अरब ट्रांजेक्शन रजिस्टर किया। इसके मुकाबले एचडीएफसी बैंक का ट्राजंकेशन 1.5 अरब रहा। UPI देश में होने वाली 85 फीसदी ट्रांजेक्शन में मदद करता है। बाताया जाता है कि एसबीआई के ज्यादा टीडी रेट्स की वजह से थर्ड पार्टी यूपीआई ऐप के प्रदर्शन पर भी असर पड़ता है। इनमे गूगल पे और पेटीएम जैसे ऐप शामिल हैं।