सेबी ने म्यूचुअल फंड के बेस एक्सपेंस रेशियो को घटा दिया है। इससे रिटेल इनवेस्टर्स के लिए निवेश करना सस्ता हो गया है। इनवेस्टमेंट में पारदर्शिता भी बढ़ी है। पहली नजर में यह कटौती छोटी दिख सकती है। लेकिन, इससे अब पहले के मुकाबले आपका ज्यादा पैसा निवेश में जाएगा। लंबी अवधि में इसका बड़ा फर्क दिखेगा।
17 दिसंबर को सेबी के बोर्ड ने दी मंजूरी
सेबी के बोर्ड की 17 दिसंबर को हुई मीटिंग में एक्सपेंस रेशियो को 15 बेसिस प्वाइंट्स तक घटाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई। ज्यादा एसेट्स स्लैब्स में 10 बेसिस प्वाइंट की कमी की गई है। 500 करोड़ रुपये से कम एसेट्स वाले ओपन-एंडेड इक्विटी फंड्स के लिए मैक्सिमम चार्ज को 2.25 फीसदी से घटाकर 2.10 फीसदी कर दिया गया है। इसी कैटेगरी के डेट फंड्स में चार्ज के लिए 1.85 फीसदी की लिमिट तय की गई है।
एक्सपेंस रेशियो बदलाव से पहले और बाद
इंडेक्स फंड्स/ईटीएफ के लिए अभी एक्सपेंस रेशियो (स्टेचुटेरी लेवीज सहित) 1.00 फीसदी है। इसे घटाकर 0.90 फीसदी (स्टेचुटेरी लेवीज छोड़कर) कर दिया गया है। लिक्विड स्कीम/इंडेक्स फंड्स/ईटीएफ में फंड ऑफ फंड्स के निवेश के लिए अभी एक्सपेंस रेशियो (स्टेचुटेरी लेवीज सहित) 1 फीसदी है। इसे घटाकर 0.90 फीसदी (स्टेचुटेरी लेवीज छोड़कर) कर दिया गया है। अपने एयूएम का 65 फीसदी या इससे ज्यादा इक्विटी-ओरिएंटेड स्कीम में निवेश करने वाले फंड्स के लिए अभी एक्सपेंस रेशियो (स्टेचुटेरी लेवीज सहित) 2.25 फीसदी है। इसे घटाकर 2.10 फीसदी (स्टेचुटेरी लेवीज छोड़कर) कर दिया गया है।
अब कोर एक्सपेंसेज बीआईआर में शामिल होंगे
सेबी ने इन चार्जेज को इनवेस्टर्स को दिखाने के तरीके में भी बदलाव किया है। टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) को अब बेस एक्सपेंस रेशियो (BER) कहा जाएगा। वेल्दी डॉट इन की निहारिका त्रिपाठी ने कहा, "पहले इनवेस्टर्स टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) के जरिए कॉस्ट को ट्रैक करते थे। इसमें कई तरह के एक्सपेंसेज शामिल होते थे। BER के जरिए कोर फंड एक्सपेंसेज को स्टेचुटेरी लेवीज से अलग कर दिया गया है। इससे इनवेस्टर्स के लिए कॉस्ट स्ट्रक्चर को समझना आसान हो गया है।"
बीईआर में सिर्फ फंड चलाने की कॉस्ट होगी
BER में अब सिर्फ फंड चलाने पर आने वाली कॉस्ट शामिल होगी। इसका मतलब है कि इसमें फंड मैनेजमेंट फीस, डिस्ट्रिब्यूटर कमीशन और रिजस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट (RTA) चार्जेज शामिल होंगे। जीएसटी, स्टैंप ड्यूटी, एसटीटी, सीटीटी और रेगुलेटर या एक्सचेंज फीस बीईआर में शामिल नहीं होंगे। उन्हें अलग से दिखाया जाएगा। आसान शब्दों में कहा जाए तो BER का मतलब उस फीस से होगा जो फंड हाउस चार्ज करता है, जबकि TER का मतलब उस फाइनल कॉस्ट से होगा जो इनवेस्टर चुकाता है। इसमें टैक्सेज और स्टेचुटेरी लेवीज शामिल होंगे।
लंबी अवधि में रिटर्न पर बड़ा असर पड़ेगा
एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक्सपेंस रेशियो में 10-20 बेसिस प्वाइंट्स की कटोती का लंबी अवधि में इनवेस्टर के रिटर्न पर बड़ा असर पड़ेगा। हम फौजी एनिशिएटिव के सीईओ कर्नल संजीव गोविला (रिटायर्ड) ने कहा, "ऊपर से देखने पर यह फर्क ज्यादा नहीं लगता है। लेकिन इनवेस्टमेंट लंबी रेस की तरह है। जब कॉस्ट घटती है तो आपका ज्यादा पैसा निवेश में बना रहता है, जिससे कंपाउंडिंग का ज्यादा फायदा मिलता है।"
10 लाख के निवेश पर रिटर्न करीब 3 लाख बढ़ जाएगा
इसे हम एक उदाहरण की मदद से समझ सकते हैं। मान लीजिए आपने एकमुश्त 10 लाख रुपये का निवेश किया है। यह पैसा 12 फीसदी सीएजीआर (एक्सपेंसेज से पहले) से बढ़ता है। ऐसे में एक्सपेंस रेशियो में 20 बेसिस प्वाइंट्स की कमी से 10 लाख के एकमुश्त निवेश से 20 साल बाद आपके लिए अतिरिक्त करीब 2.95 लाख रुपये का वेल्थ क्रिएट होगा। यह पैसा इनवेस्टर्स के लिए शुद्ध फायदा है। यह सिर्फ कॉस्ट में कमी की वजह से हो रहा है।