Gold vs Real Estate: वैश्विक अस्थिरता 2025 में सोना और रियल एस्टेट दो प्रमुख निवेश विकल्प बनकर उभरे हैं। भू-राजनीतिक तनाव ने सोने की मांग और भाव को आसमान पर पहुंचा दिया है। वहीं, RBI की ओर से ब्याज दरों में लगातार तीन बार कटौती से रियल एस्टेट काफी लुभावना सेक्टर बन गया है।
लेकिन, निवेश के लिहाज से सोना और रियल एस्टेट में से कौन-सा विकल्प बेहतर है? आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि दोनों एसेट क्लास की क्या खासियत है और निवेशकों को किसमें पैसा लगाना चाहिए।
सोना सुरक्षित निवेश, लेकिन दिक्कत भी
सोने की कीमतों में इस साल यानी 2025 में अब तक लगभग 30% की तेजी आई है। इसकी प्रमुख वजह रही है वैश्विक अनिश्चितता, करेंसी उतार-चढ़ाव और सेंट्रल बैंकों द्वारा लगातार सोने की खरीद।
BASIC Home Loan के CEO अतुल मोंगा कहते हैं, “सोना मौजूदा अस्थिरता में सुरक्षित सहारा बना हुआ है। डिजिटल गोल्ड और ETF जैसे विकल्पों ने इसे और भी सुलभ बना दिया है।” हालांकि, सोना कोई नियमित रिटर्न नहीं देता। वहीं, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी का कहना है, “सोना एक निष्क्रिय एसेट है। न तो इससे किराया मिलता है, न ही डिविडेंड। इसे बेचे बिना मुनाफा नहीं होता।”
इसके अलावा, भौतिक सोना रखने में स्टोरेज, बीमा और ज्वेलरी पर मेकिंग चार्ज जैसे अतिरिक्त खर्च भी जुड़े होते हैं।
रियल एस्टेट निवेश के लिए कितना सही?
रियल एस्टेट बाजार को हाल ही में RBI से बड़ा सहारा मिला है। RBI ने जून MPC में रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट घटाकर 5.5% और CRR को 100 बेसिस प्वाइंट घटाकर 3% कर दिया है। इसका असर होम लोन दरों पर पड़ा है, जिससे अर्बन हाउसिंग की मांग में बढ़ोतरी देखी गई है।
अतुल मोंगा बताते हैं, “रियल एस्टेट लंबी अवधि में पूंजी वृद्धि और किराये की आय दोनों देता है। अगर आपकी आमदनी स्थिर है और निवेश का नजरिया लॉन्ग टर्म है, तो यह संपत्ति बनाने का मजबूत जरिया हो सकता है।”
हालांकि, प्रॉपर्टी में निवेश की लागत अधिक होती है। इसमें लिक्विडिटी की भी कमी होती है यानी आप घर को जब मर्जी, बेचकर पैसा नहीं जुटा सकते। आदिल शेट्टी कहते हैं, “प्रॉपर्टी को बेचना आसान नहीं होता। आप सोने की तरह थोड़ा-थोड़ करके बिक्री नहीं कर सकते। कानूनी प्रक्रिया पूरा करने में भी वक्त लगता है।”
एक्सपर्ट का मानना है कि गोल्ड या रियल एस्टेट में निवेश का सही विकल्प पूरी तरह आपके फाइनेंशियल गोल, रिस्क प्रोफाइल और अवधि पर निर्भर करता है।
अगर आपका मकसद लिक्विडिटी और पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन है, तो सोना बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन अगर आप लॉन्ग टर्म में वेल्थ क्रिएशन और स्टेबल रिटर्न चाहते हैं, तो रियल एस्टेट पर विचार करना चाहिए।
दोनों एसेट क्लास के बीच संतुलन भी अच्छा नजरिया हो सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, शॉर्ट टर्म में सोना और लॉन्ग टर्म में रियल एस्टेट- वित्तीय स्थिरता और ग्रोथ के लिए आदर्श स्ट्रैटेजी हो सकती है।