Gold Loan Default: गोल्ड लोन नहीं चुकाने पर नीलाम हो सकता है आपका सोना, क्या हैं आपके कानूनी अधिकार?
Gold Loan Default: गोल्ड लोन सबसे आसान और सुरक्षित लोन माना जाता है। लेकिन, गोल्ड लोन डिफॉल्ट करने पर बैंक कई तरह के सख्त कदम उठा सकते हैं। इसमें सोने की नीलामी भी शामिल है। आपका क्रेडिट स्कोर भी प्रभावित हो सकता है।
गोल्ड लोन डिफॉल्ट का असर लंबे समय तक बना रह सकता है।
Gold Loan Default: गोल्ड लोन भारतीय बाजार में सबसे आसान और सुरक्षित लोन विकल्पों में से एक है। इसमें ग्राहक अपनी सोने की ज्वेलरी या सिक्कों को गिरवी रखकर तत्काल कर्ज ले सकते हैं। हालांकि, इस सुविधा के साथ एक अहम शर्त जुड़ी होती है- समय पर भुगतान। अगर उधारकर्ता समय पर किस्तें नहीं चुकाता या लोन का सेटलमेंट तय अवधि में नहीं करता, तो इसके गंभीर वित्तीय और कानूनी परिणाम हो सकते हैं।
आइए जानते हैं कि गोल्ड लोन पर डिफॉल्ट करने पर क्या होता है, बैंक किस तरह का एक्शन ले सकते हैं और डिफॉल्ट से बचने के लिए क्या किया जा सकता है।
क्या है गोल्ड लोन डिफॉल्ट?
जब कोई उधारकर्ता तय शेड्यूल के अनुसार गोल्ड लोन की EMI, ब्याज या मूलधन का भुगतान नहीं करता, तो इसे गोल्ड लोन डिफॉल्ट कहा जाता है। भले ही आपका सोना बतौर गिरवी बैंक के पास मौजूद हो, लेकिन भुगतान में देरी से ग्राहक की क्रेडिट प्रोफाइल और वित्तीय स्थिति पर असर पड़ता है।
लोन डिफॉल्ट पर क्या होता है?
गोल्ड लोन पर डिफॉल्ट की स्थिति में सबसे पहले बैंक बकाया रकम पर लेट फीस और पेनल्टी ब्याज जोड़ता है। समय के साथ यह राशि बढ़ती जाती है, जिससे लोन चुकाना और कठिन हो जाता है। साथ ही, यह डिफॉल्ट क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट किया जाता है। इसके चलते ग्राहक का क्रेडिट स्कोर गिर जाता है और भविष्य में किसी भी तरह का लोन या क्रेडिट कार्ड लेना मुश्किल हो सकता है।
कब होती है नीलामी और कानूनी कार्रवाई?
अगर लोन की किस्त का भुगतान 30 से 90 दिनों के भीतर भी नहीं होता, तो बैंक वसूली की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। इसके तरह बैंक कुछ खास कदम उठा सकता है:
सोने की नीलामी: लोन वसूली के लिए बैंक सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से गिरवी रखे गए गहनों को बेच सकता है।
स्वामित्व समाप्त: नीलामी के बाद ग्राहक उस सोने पर अपना हक खो देता है। अगर नीलामी की रकम लोन से कम पड़ी, तो ग्राहक को शेष राशि का भुगतान करना पड़ सकता है।
कानूनी दावा: अगर गिरवी रखे सोने की वैल्यू काफी कम है और बकाया ज्यादा है, तो बैंक कोर्ट के जरिए वसूली का दावा कर सकता है।
लोन डिफॉल्ट का क्या असर होगा?
गोल्ड लोन डिफॉल्ट का असर लंबे समय तक बना रह सकता है। भले ही ग्राहक बाद में लोन चुका दे, उसकी क्रेडिट हिस्ट्री में देरी की छाप बनी रहती है। यह अमूमन 7 साल तक आपकी क्रेडिट हिस्ट्री में दर्ज रहता है। इससे भविष्य में पर्सनल लोन, होम लोन या क्रेडिट कार्ड लेने में दिक्कत आ सकती है। कई मामलों में बैंक ऐसे ग्राहकों को ज्यादा ब्याज दर पर लोन देते हैं।
आपके कानूनी अधिकार क्या हैं?
गोल्ड लोन डिफॉल्ट की स्थिति में बैंक आपके गिरवी रखे गए सोने की नीलामी कर सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया एक तय कानूनी ढांचे के तहत होती है। बैंक ग्राहक को पहले नोटिस भेजता है और उसे भुगतान का अवसर देता है। अगर फिर भी लोन नहीं चुकाया गया, तो सार्वजनिक नीलामी की जाती है।
ग्राहक का अधिकार होता है कि वह नीलामी से पहले बकाया चुका कर अपना सोना वापस ले सकता है। नीलामी से अधिक रकम मिलने पर अतिरिक्त रकम ग्राहक को लौटाई जाती है, लेकिन रकम कम हो तो शेष भुगतान की जिम्मेदारी ग्राहक की होती है।
गोल्ड लोन डिफॉल्ट से कैसे बचें?
लोन उतना ही लें जितना चुकाना व्यावहारिक हो।
EMI चुकाने के लिए समय से पहले बजट बनाएं।
ड्यू डेट्स को लेकर सतर्क रहें।
अचानक संकट के लिए गोल्ड लोन इंश्योरेंस का विकल्प चुनें।
समाधान के रास्ते क्या हैं?
अगर गोल्ड लोन लेने के बाद आर्थिक हालात तंग हो जाते हैं, तो सबसे पहले बैंक से बात करना सही रहता है। आप बैंक से संपर्क कर लोन रिस्ट्रक्चरिंग का अनुरोध कर सकते हैं। इसमें कई बैंक आंशिक भुगतान या लोन की अवधि जैसी सुविधाएं देते हैं। एक विकल्प यह भी हो सकता है कि ग्राहक लोन को किसी अन्य बैंक में ट्रांसफर करवा ले जहां शर्तें अनुकूल हों।
असल में गोल्ड लोन डिफॉल्ट सिर्फ आभूषण खोने तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसी प्रक्रिया की शुरुआत करता है जो आपके वित्तीय भविष्य को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, गोल्ड लोन लेने से पहले पूरी समझदारी से फैसले लें और भुगतान में किसी भी कठिनाई की स्थिति में लेंडर से समय रहते संपर्क करें। साथ ही, कुछ इमरजेंसी फंड बनाकर रखें, ताकि ऐसी नौबत ही न आने पाए।