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Sibling Co-Ownership: भाई-बहन साथ मिलकर खरीद रहे हैं घर, EMI के बोझ को बांटने का यह तरीका कितना फायदेमंद?

आज के महंगे रियल एस्टेट में बहुत से भाई-बहन साथ मिलकर घर खरीद रहे हैं। इससे EMI का बोझ बांटना आसान होता है, क्रेडिट मजबूत होता है और होम लोन में सहूलियत मिलती है। लेकिन, कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, ताकि बाद में विवाद की कोई गुंजाइश न रहे।

Edited By: Suneel Kumarअपडेटेड Aug 27, 2025 पर 11:29 PM
Sibling Co-Ownership: भाई-बहन साथ मिलकर खरीद रहे हैं घर, EMI के बोझ को बांटने का यह तरीका कितना फायदेमंद?
भाई-बहन अक्सर मान लेते हैं कि मौखिक समझ ही पर्याप्त है। लेकिन, यह बाद में विवाद की वजह बन सकता है।

Sibling Co-Ownership: आज के महंगाई के जमाने में घर खरीदना काफी मुश्किल हो रहा है। कई बार होम लोन लेने के बाद भी बात नहीं बनती, क्योंकि EMI और डाउन पेमेंट सैलरी के हिसाब से फिट नहीं बैठती। ऐसे में कई भाई या बहन साथ मिलकर घर खरीदने का विकल्प आजमा रहे हैं।

अब मान लीजिए कि दो भाई-बहन, अपराजिता और अजीत ने 30 के दशक की उम्र में अपनी बचत मिलाकर हैदराबाद में एक अपार्टमेंट खरीदने का फैसला लिया। यह सिर्फ वित्तीय लेन-देन नहीं है; यह भरोसे, उम्मीद और साझा जिम्मेदारी का ठोस प्रतीक है। आपसी सहयोग ने उन्हें अफोर्डेबिलिटी की महंगाई की अड़चन पार करने में मदद की। उन्हें भावनात्मक जुड़ाव के साथ घर का मालिकाना हक हासिल करने का भरोसा दिया।

आज की बदलती आर्थिक और रियल एस्टेट सेनेरियो में सिब्लिंग को-ओनरशिप (Sibling Co-Ownership) धीरे-धीरे एक रणनीतिक विकल्प बनती जा रही है। यह दिखाती है कि अब लोग घर खरीदने के नजरिए को कैसे नया आकार दे रहे हैं।

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