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Loan Agreement को बिना समझे साइन करना हो सकता है महंगा, जानें जरूरी बातें

Loan Agreement एक कानूनी दस्तावेज होता है जो लोन लेने वाले और देने वाले के बीच नियम और शर्तें निर्धारित करता है। इसमें ब्याज दर, पुनर्भुगतान की अवधि, फीस, डिफॉल्ट क्लॉज और प्रीपेमेंट नियम शामिल होते हैं, जिन्हें समझे बिना साइन करना भविष्य में आर्थिक नुकसान और कानूनी विवाद का कारण बन सकता है।

MoneyControl Newsअपडेटेड Nov 01, 2025 पर 11:23 PM
Loan Agreement को बिना समझे साइन करना हो सकता है महंगा, जानें जरूरी बातें

लोन लेते समय अधिकांश लोग केवल ब्याज दर और EMI पर ध्यान देते हैं, लेकिन लोन एग्रीमेंट में छुपे नियम और शर्तें आपके वित्तीय भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए, बिना पूरी तरह समझे लोन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करना आपके लिए भारी पड़ सकता है।

ब्याज दर और चार्जिंग की प्रक्रिया

लोन एग्रीमेंट में ब्याज दर फिक्स्ड या फ्लोटिंग हो सकती है। फिक्स्ड ब्याज दर तय समय तक स्थिर रहती है जबकि फ्लोटिंग ब्याज बाजार के हिसाब से बदलती रहती है। इसके अतिरिक्त ब्याज की गणना रोज, महीने या सालाना आधार पर हो सकती है, जो आपकी ईएमआई को प्रभावित करती है।

प्रीपेमेंट और फोरक्लोजर नियम

अधिकांश बैंक लोन प्रीपेमेंट पर शुल्क लेते हैं। एग्रीमेंट में यह स्पष्ट होता है कि जल्दी लोन चुकाने पर आपको कितना फायदा या नुकसान होगा। इसलिए प्रीपेमेंट संबंधी नियमों को ध्यान से पढ़ना आवश्यक है।

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