Silver: फेस्टिवल सीजन की रौनक के बीच बाजारों में सोने-चांदी की खरीदारी काफी हो रही है। देश में धनतेरस और दिवाली जैसे शुभ मौकों पर चांदी के सिक्के, ज्वेलरी और बार की मांग में तेजी देखी जा रही है। ऐसे में बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि 999 और 925 सिल्वर में फर्क क्या है। साथ ही कौनसी चांदी खरीदना ज्यादा फायदेमंद होता है। साथ ही खरीदारी करते समय जीएसटी (GST) कितना देना होता है।
999 सिल्वर यानी 99.9% शुद्ध चांदी, जिसमें 1000 में से 999 हिस्से असली सिल्वर का होता है। इसे Pure Silver या Fine Silver भी कहा जाता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी इसकी चमक और शुद्धता है, लेकिन यह बहुत मुलायम होती है, इसलिए इससे बनी गहने, बर्तन, मूर्तियां, कॉइन रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए टिकाऊ नहीं होते। यही कारण है कि 999 सिल्वर का इस्तेमाल आमतौर पर सिल्वर कॉइन, बार या इन्वेस्टमेंट और प्रीमियम गिफ्टिंग आइटम के लिए किया जाता है।
925 सिल्वर में 92.5% असली चांदी और बाकी 7.5% अन्य मेटल जैसे कॉपर मिलाई जाती हैं। इसे Sterling Silver कहा जाता है। इसमें कॉपर मिलाने से यह ज्यादा मजबूत, टिकाऊ और रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए उपयुक्त बन जाती है। इसलिए ज्वेलरी बनाने में 925 सिल्वर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसकी चमक लंबे समय तक बनी रहती है और इसे साफ-सुथरा रखना भी आसान होता है।
चांदी खरीदने पर कितना देना होता है GST
चांदी की खरीद पर 3% जीएसटी देना होता है। ऑनलाइन या ज्वेलरी शॉप कहीं से भी खरीदने पर 3 फीसदी जीएसटी देना होता है। इसमें 1.5% केंद्रीय जीएसटी (CGST) और 1.5% राज्य जीएसटी (SGST) शामिल होता है। अगर आप सिल्वर ज्वेलरी खरीद रहे हैं, तो उस पर मेकिंग चार्ज पर एक्स्ट्रा 5% जीएसटी अलग से देना पड़ता है।
फेस्टिव सीजन में रिकॉर्ड तेजी
इस साल त्योहारी सीजन के साथ चांदी की कीमतों में भी भारी उछाल देखने को मिल रहा है। 14 अक्टूबर को स्पॉट मार्केट में चांदी का भाव 1,85,000 प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया। मौजूदा बढ़त का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इंडस्ट्रियल डिमांड का बढ़ना और निवेशकों का सोने-चांदी की ओर रुख करना बताया जा रहा है।