Silver Purity Test: कहीं नकली चांदी तो नहीं खरीद रहे आप? जानिए पहचान के आसान तरीके

Silver Purity Test: चांदी की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर है, ऐसे में नकली चांदी बिकने का खतरा भी बढ़ गया है। इससे बचने के लिए शुद्धता की जांच बेहद जरूरी हो गई है। 999, 925 जैसी ग्रेड क्या बताती हैं, असली और नकली चांदी में फर्क कैसे करें और खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें, जानिए पूरी डिटेल।

अपडेटेड Dec 23, 2025 पर 2:52 PM
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चांदी की ग्रेड यह बताती है कि किसी गहने या आइटम में असली चांदी कितनी मात्रा में है।

Silver Purity Test: चांदी का भाव इस आसमान पर है। MCX पर चांदी (Silver price today) 2.15 लाख रुपये प्रति किलो के पार पहुंच गई है। चांदी लोग अलग-अलग जरूरतों के लिए खरीदते हैं। कोई निवेश के लिए लेता है, कोई शादी-ब्याह या त्योहार पर गिफ्ट के लिए और कोई रोज पहनने वाले गहनों के तौर पर।

लेकिन इन सभी मामलों में सबसे अहम सवाल होता है- चांदी कितनी शुद्ध है। कई बार सस्ती डील के चक्कर में लोग कम शुद्ध या सिर्फ सिल्वर-प्लेटेड चांदी खरीद लेते हैं। इसी वजह से चांदी की शुद्धता और ग्रेड को समझना बहुत जरूरी हो जाता है।

चांदी की ग्रेड का मतलब क्या होता है?


चांदी की ग्रेड यह बताती है कि किसी गहने या आइटम में असली चांदी कितनी मात्रा में है। पूरी तरह शुद्ध चांदी बहुत नरम होती है, इसलिए उसमें मजबूती के लिए तांबा जैसी दूसरी धातुएं मिलाई जाती हैं।

शुद्धता को आमतौर पर 1000 के पैमाने पर मापा जाता है। जैसे 999 या 925। नंबर जितना बड़ा होगा, चांदी उतनी ही ज्यादा शुद्ध मानी जाएगी।

Silver Purity Test

भारत में मिलने वाली चांदी की आम ग्रेड

  • 999 फाइन सिल्वर को लगभग शुद्ध चांदी कहा जाता है। इसमें 99.9 प्रतिशत चांदी होती है। यह बहुत चमकदार होती है लेकिन नरम भी होती है। इसलिए निवेश, सिक्कों, बर्तनों और पूजा के सामान में ज्यादा इस्तेमाल होती है।
  • 925 स्टर्लिंग सिल्वर सबसे ज्यादा गहनों में इस्तेमाल की जाती है। इसमें 92.5 प्रतिशत चांदी होती है। यह मजबूत भी होती है और लंबे समय तक टिकती भी है।
  • 958 सिल्वर, जिसे ब्रिटानिया सिल्वर भी कहते हैं, में 95.8 प्रतिशत चांदी होती है। यह ज्यादा शुद्ध लेकिन थोड़ी नरम होती है और भारत में कम देखने को मिलती है।
  • 900 कॉइन सिल्वर में 90 प्रतिशत चांदी होती है। पुराने जमाने में सिक्कों के लिए इसका इस्तेमाल होता था। यह मजबूत तो होती है, लेकिन जल्दी काली पड़ सकती है।
  • 800 से 850 सिल्वर में 80 से 85 प्रतिशत चांदी होती है। यह कुछ पारंपरिक या यूरोपीय डिजाइन में मिलती है, लेकिन भारतीय बाजार में बहुत आम नहीं है।

चांदी की शुद्धता जानना क्यों जरूरी है

अगर शुद्धता की जानकारी न हो, तो ग्राहक कम क्वालिटी की चांदी के लिए ज्यादा पैसे चुका सकता है। कई बार लोग गलती से सिल्वर-प्लेटेड सामान को असली चांदी समझ लेते हैं। शुद्धता समझने से सही कीमत मिलती है, धोखाधड़ी से बचाव होता है और निवेश या गिफ्ट के लिए सही फैसला लिया जा सकता है।

खरीदते समय चांदी की पहचान कैसे करें

असली चांदी पर आमतौर पर 999, 925 या 800 जैसे नंबर लिखे होते हैं। कई बार हॉलमार्क, ज्वेलर का निशान या जांच एजेंसी की मुहर भी लगी होती है। अगर कोई स्टैम्प न दिखे, तो खरीदने से पहले सवाल जरूर करें।

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क्या घर पर चांदी की जांच हो सकती है

घर पर कुछ आसान तरीके अपनाए जा सकते हैं। असली चांदी मैग्नेट से नहीं चिपकती। यह गर्मी की अच्छी चालक होती है, इसलिए इस पर रखा बर्फ जल्दी पिघलता है। समय के साथ असली चांदी काली भी पड़ सकती है। पूरी तरह पक्की जांच के लिए ज्वेलर एसिड टेस्ट या मशीन से जांच करते हैं।

सिल्वर-प्लेटेड और असली चांदी में फर्क

सिल्वर-प्लेटेड सामान में ऊपर से सिर्फ चांदी की पतली परत होती है। समय के साथ यह परत उतर जाती है और इसकी निवेश वैल्यू नहीं होती। लंबे समय के लिए हमेशा सॉलिड सिल्वर बेहतर माना जाता है।

खरीदारी से पहले इस बात का रखें ध्यान

  • चांदी पर 999, 925 या 900 जैसे स्टैम्प देखें। 999 निवेश और सिक्कों के लिए बेहतर होती है, जबकि 925 गहनों के लिए ज्यादा टिकाऊ मानी जाती है। बिना स्टैम्प वाली चांदी लेने से बचें।
  • जहां संभव हो, हॉलमार्क या ज्वेलर की मुहर जरूर देखें। इससे यह भरोसा मिलता है कि चांदी की शुद्धता की जांच हुई है और बाद में विवाद की गुंजाइश कम रहती है।
  • चांदी की कीमत हमेशा वजन के हिसाब से होती है। मेकिंग चार्ज, टैक्स और डिजाइन का खर्च अलग से जुड़ता है। बिल में वजन और रेट साफ-साफ लिखा हो, यह जरूर चेक करें।
  • सिल्वर-प्लेटेड आइटम में ऊपर सिर्फ चांदी की परत होती है, जिसकी निवेश वैल्यू नहीं होती। लंबे समय के लिए या निवेश के मकसद से हमेशा सॉलिड सिल्वर ही लें।
  • अगर निवेश के लिए खरीद रहे हैं, तो 999 फाइन सिल्वर बेहतर है। गहनों के लिए 925 सही रहती है। पूजा या गिफ्ट के लिए भी इस्तेमाल के हिसाब से ग्रेड चुनें, ताकि बाद में पछताना न पड़े।

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