सरकार ने फरवरी 2024 के बाद से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) की नई किस्त जारी नहीं की है। तब से इनवेस्टर्स एसजीबी की नई किस्त का इंतजार कर रहे हैं। सरकार ने औपचारिक रूप से इस स्कीम को बंद करने का भी ऐलान नहीं किया है। इससे इनवेस्टर्स के बीच भ्रम की स्थिति रही है। अब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को एसजीबी को लेकर सरकार के प्लान के बारे में बताया है।
सरकार ने एसजीबी के बारे में क्या कहा है
चौधरी ने कहा है, "डेट मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी के तहत सरकार को यह देखना पड़ता है कि वह जो कर्ज लेती है उसकी कॉस्ट को कैसे कम से कम रखा जाए।" उन्होंने कहा कि सरकार कर्ज लेने के लिए कई तरह के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स पर विचार करती है। इनमें गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, ट्रेजरी बिल और एसजीबी शामिल हैं। इनमें से हर इंस्ट्रूमेंट की अलग-अलग कॉस्ट होती है। उस कॉस्ट को ध्यान में रख सरकार यह तय करती है कि उसे कर्ज जुटाने के लिए किस इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल करना है।
फरवरी 2024 से गोल्ड की कीमतें 70 फीसदी चढ़ चुकी हैं
SGB की नई किस्त जारी नहीं करने के सरकार के फैसले की वजह गोल्ड की कीमतों में आई तेजी हो सकती है। पिछले साल फरवरी के बाद से गोल्ड की कीमतें 70 फीसदी से ज्यादा चढ़ चुकी हैं। इस वजह से कर्ज जुटाने के लिए एसजीबी का इस्तेमाल सरकार के लिए घाटे का सौदा हो गया है। पिछले कुछ सालों में जियोपॉलिटिकल टेंशन बढ़ने से गोल्ड की कीमतों में उछाल आया है। जब कभी दुनिया में उथलपुथल बढ़ती है, सोने की डिमांड बढ़ जाती है। इससे इसकी कीमतें भी बढ़ती हैं। इसकी वजह यह है कि सोने को निवेश का सबसे सुरक्षित माध्यम माना जाता है।
2015 में एसजीबी स्कीम की हुई थी शुरुआत
सरकार ने 2015 में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की शुरुआत की थी। तब से अब तक सरकार ने इस स्कीम से 72,275 करोड़ रुपये जुटाए हैं। अब तक सरकार इस स्कीम की 67 किस्ते जारी कर चुकी है। इस स्कीम में RBI सरकार की तरफ से गोल्ड बॉन्ड्स जारी करता है। ये बॉन्ड्स 8 साल में मैच्योर हो जाते हैं। मैच्योरिटी पर सरकार गोल्ड की चल रही कीमत के आधार पर गोल्ड बॉन्ड्स को रीडीम करती है। इसका अलावा इनवेस्टर्स को अपने निवेश पर सालाना 2.5 फीसदी इंटरेस्ट भी मिलता है।
फिलहाल एसजीबी की नई किस्त आने की उम्मीद नहीं
एसजीबी में इनवेस्टर्स ने अच्छी दिलचस्पी दिखाई थी। उधर, एसजीबी से सरकार के दो मकसद पूरे होते थे। पहला, इनवेस्टर्स के फिजिकल गोल्ड में निवेश करने की जगह एसजीबी में निवेश करने से सरकार को गोल्ड का ज्यादा नहीं करना पड़ता था। दूसरा, सरकार को कम कॉस्ट पर कर्ज मिलता था। लेकिन, पिछले कुछ सालों में गोल्ड की कीमतों में आई जबर्दस्त तेजी की वजह से एसजीबी सरकार के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा था। उधर, एसजीबी के निवेशकों को सोने की कीमतों में आई तेजी का खूब फायदा मिला है। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा को जो जानकारी दी है, उससे लगता है कि फिलहाल सरकार के एसजीबी की नई किस्त पेश करने की कोई उम्मीद नहीं है।