Sovereign Gold Bonds: इस सीरीज के लिए RBI ने तय की अंतिम रिडेम्प्शन प्राइस, निवेशकों को मिला 316% का बंपर रिटर्न
Sovereign Gold Bonds: RBI ने SGB 2017-18 Series-VI की अंतिम रिडेम्प्शन प्राइस घोषित कर दी है, और निवेशकों को मिला है 316% से ज्यादा का शानदार रिटर्न। जानिए कैसे ₹2,895 का बॉन्ड आज ₹12,066 का हो गया और किस आधार पर तय हुई यह कीमत।
SGB पर मिलने वाला 2.5% सालाना ब्याज इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्सेबल होता है।
Sovereign Gold Bonds: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGB) 2017-18 Series-VI की अंतिम रिडेम्प्शन प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह बॉन्ड 6 नवंबर 2017 को जारी हुआ था। इसकी मैच्योरिटी के आठ साल पूरे होने पर 6 नवंबर 2025 को रिडेम्प्शन अनुमति दी गई है।
RBI ने रिडेम्प्शन प्राइस ₹12,066 प्रति यूनिट तय किया है। यह इसकी जारी कीमत ₹2,895 पर लगभग 316.78% रिटर्न है। इसमें निवेश के दौरान मिला 2.5% वार्षिक ब्याज शामिल नहीं है।
ऑनलाइन पेमेंट पर छूट और बढ़ा रिटर्न
जब यह बॉन्ड जारी हुआ था, तब ऑनलाइन पेमेंट करने पर निवेशकों को ₹50 की छूट मिलती थी। इससे वास्तविक इश्यू प्राइस ₹2,845 हो जाती थी। इस हिसाब से SGB ने निवेशकों को लगभग 324.11% रिटर्न दिया है। सोने की लगातार बढ़ती कीमतों का फायदा इस पूरी अवधि में निवेशकों को मिला।
RBI ने रिडेम्प्शन प्राइस कैसे तय किया?
RBI ने अपने बयान में कहा कि SGB की मैच्योरिटी जारी होने के आठ साल बाद पूरी होती है। इसलिए Series-VI का अंतिम रिडेम्प्शन 6 नवंबर 2025 तय किया गया है। रिडेम्प्शन प्राइस तय करने के लिए इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) द्वारा प्रकाशित सोने के क्लोजिंग प्राइस का तीन बिजनेस दिनों- 31 अक्टूबर, 3 नवंबर और 4 नवंबर 2025 का औसत लिया गया है।
SGB में समय से पहले रिडेम्प्शन का नियम
SGB स्कीम के नियमों के मुताबिक, बॉन्ड पांच साल पूरे होने के बाद किसी भी इंटरेस्ट पेमेंट डेट पर समय से पहले रिडीम किए जा सकते हैं। लेकिन मैच्योरिटी पर कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स-फ्री रहता है, इसलिए कई निवेशक इसे पूरी अवधि तक होल्ड करते हैं।
SGB में टैक्स कैसे लगता है?
SGB पर मिलने वाला 2.5% सालाना ब्याज इनकम टैक्स एक्ट के तहत टैक्सेबल होता है। लेकिन मैच्योरिटी के समय होने वाला कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स-फ्री है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति बॉन्ड बेचता है, तो लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन का लाभ मिलता है, जिससे टैक्स का बोझ कम हो जाता है।
SGB पर ब्याज और इसका फायदा
SGB पर हर साल 2.5% का फिक्स्ड ब्याज मिलता है, जो हर छह महीने में निवेशक के बैंक खाते में जमा होता है। यह ब्याज सोने की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से अलग होता है और निवेशकों को एक निश्चित इनकम देता है।
SGB स्कीम क्या है और क्यों शुरू की गई थी?
Sovereign Gold Bond स्कीम नवंबर 2015 में लॉन्च की गई थी। इसका मकसद लोगों को फिजिकल गोल्ड खरीदने के बजाय एक सुरक्षित और आसान वित्तीय विकल्प देना था। इन बॉन्ड्स को RBI भारत सरकार की ओर से जारी करता है और यह ग्राम-आधारित होते हैं।
निवेशकों को इसमें दोहरा फायदा मिलता है। एक तो सोने की बढ़ती कीमतों से कैपिटल गेन और दूसरा 2.5% का निश्चित ब्याज। स्कीम का मुख्य लक्ष्य भारत में सोने के आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू बचतों को वित्तीय निवेश में लाना था।
SGB स्कीम को बंद क्यों किया गया?
सरकार ने अक्टूबर 2023 में SGB की नई किस्तें जारी करना बंद कर दीं। इसका कारण यह था कि स्कीम काफी हद तक अपने मकसद पूरे कर चुकी थी। साथ ही, बॉन्ड को मैनेज और सर्विस करने की लागत काफी बढ़ गई थी। इसके अलावा Gold ETF और डिजिटल गोल्ड जैसे विकल्प ज्यादा लोकप्रिय हो गए थे।
हालांकि, पहले से जारी सभी SGB पूरी तरह वैध हैं और निवेशक उन्हें मैच्योरिटी तक होल्ड कर सकते हैं या नियमों के तहत समय से पहले रिडीम कर सकते हैं। इसे अब सिर्फ एक्सचेंज से खरीदा जा सकता है।