मौत हार्ट अटैक से, फिर भी इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट! कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये गलती

क्या बीमा लेते समय जानकारी छुपाना भारी पड़ सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि शराब पीने की आदत छिपाने से इंश्योरेंस क्लेम रद्द हो सकता है, भले ही मौत का कारण अलग हो। इस मामले से बीमाधारक को क्या सबक लेना चाहिए?

अपडेटेड Mar 26, 2025 पर 5:28 PM
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शराब पीने की आदत छुपाने से बीमा क्लेम रद्द हो सकता है

Insurance Claims: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इंश्योरेंस से जुड़ा एक काफी अहम फैसला दिया। इसमें स्पष्ट कर दिया कि अगर बीमाधारक कोई जानकारी छिपाता है, तो उसका क्लेम खारिज किया जा सकता है। खासतौर पर, शराब पीने की आदत छुपाने से बीमा क्लेम रद्द हो सकता है, भले ही मौत का कारण शराब से जुड़ा न हो।

क्या है इंश्योरेंस क्लेम का पूरा मामला

यह मामला 2013 में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) से 'जीवन आरोग्य' पॉलिसी खरीदने वाले एक व्यक्ति से जुड़ा है। आवेदन भरते समय उसने यह नहीं बताया कि वह लंबे समय से शराब काफी ज्यादा शराब पी रहा है। बीमा खरीदने के एक साल के अंदर उसे हरियाणा के झज्जर में पेट दर्द की गंभीर समस्या के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक महीने के इलाज के बाद उसे दिल का दौरा पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।


उनकी पत्नी ने इलाज के खर्च के लिए इंश्योरेंस क्लेम फाइल किया, लेकिन LIC ने इसे यह कहकर खारिज कर दिया कि मृतक ने अपनी शराब की आदत की जानकारी छुपाई थी। बीमा कंपनी की दलील थी कि उनकी पॉलिसी स्पष्ट रूप से किसी शख्स की अपनी आदतों, व्यवहार या लापरवाही के कारण होने वाली बीमारियों को कवर नहीं करती। इसमें शराब के अत्यधिक सेवन से होने वाली बीमारी भी शामिल है।

कंज्यूमर फोरम में पत्नी के पक्ष में आया फैसला

शुरुआत में जिला उपभोक्ता फोरम ने मृतक की पत्नी के हक में फैसला सुनाया। उसने LIC को 5.21 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। राज्य और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोगों ने भी यह कहते हुए यह फैसला बरकरार रखा कि मौत हार्ट अटैक से हुई थी, न कि किसी लिवर संबंधित बीमारी से। हालांकि, LIC ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट ने LIC के पक्ष में सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने उपभोक्ता आयोगों के फैसलों को पलट दिया और LIC के पक्ष में फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि यह कोई साधारण बीमा पॉलिसी नहीं थी, बल्कि एक स्पेशलाइज्ड हेल्थ इंश्योरेंस प्लान था, जिसके कड़े नियम थे।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि "शराब से होने वाली बीमारियां एक दिन में नहीं होतीं।" मृतक लंबे समय से शराब का सेवन कर रहा था, और उसने इस तथ्य को छिपाकर गलत जानकारी दी थी। यही कारण था कि LIC का क्लेम खारिज करना उचित था।

हालांकि, कोर्ट ने विधवा की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उसे पहले से मिले 3 लाख रुपये लौटाने का आदेश नहीं दिया।

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