स्विगी और जोमैटो जैसे फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म अब जेब पर पहले से ज्यादा भारी पड़ रहे हैं। नए GST नियमों और लगातार बढ़ते प्लेटफॉर्म चार्जेस के कारण लोगों का बिल कई बार खाने की कीमत से भी ज्यादा हो जाता है। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर ग्राहक अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। नए-नए तरीके खोज रहे हैं ताकि मनपसंद खाना भी खा सकें और जेब पर ज्यादा बोझ भी न पड़े।
महिला का स्मार्ट हैक: बिना स्विगी-जमैटो के खाना घर तक
ऐसा ही एक जुगाड़ हाल ही में एक महिला ने शेयर किया, जो तेजी से वायरल हो रहा है। उसने बताया कि उसने स्विगी और जोमैटो का इस्तेमाल पूरी तरह छोड़ दिया है। अब वह सीधे अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट में कॉल करके खाना पैक करवा लेती है और उसे घर तक मंगाने के लिए Uber Courier या Rapido जैसी सर्विस का इस्तेमाल करती है।
उन्होंने लिखा कि अब Zomato या Swiggy यूज नहीं करती। अपने रेगुलर रेस्टोरेंट्स से कॉल पर खाना पैक करवाती हूं और Uber या Rapido से घर बुला लेती हूं। महिला के मुताबिक, इन सर्विस से डिलीवरी चार्ज 50 से 100 रुपये तक आता है। लेकिन यह स्विगी-जमैटो के कमीशन, प्लेटफॉर्म फीस और GST मिलाकर लगने वाले भारी-भरकम चार्ज से कहीं सस्ता है।
इंटरनेट पर मिला जबरदस्त सपोर्ट
इस पोस्ट को अब तक 3 लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है। लोग महिला की इस तरकीब की तारीफ कर रहे हैं और इसे स्मार्ट तरीका बता रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा कि बिल्कुल सही, Zomato और Swiggy पर 40–50% मार्कअप होता है। अगर 300 रुपये का ऑर्डर है, तो असली कीमत 40–50% कम होगी। ऐसे में Rapido या Porter से मंगाना कहीं सस्ता है। दूसरे ने कहा कि ये तरीका आजमाया और वाकई खर्च काफी कम हुआ। किसी ने मजाकिया लहजे में लिखा कि आपने तो अपनी खुद की फूड डिलीवरी ऐप बना ली, वो भी सस्ती।
दरअसल, फूड डिलीवरी ऐप्स पर खाने का बिल इतना ज्यादा इसलिए आता है क्योंकि इसमें रेस्टोरेंट GST, पैकेजिंग चार्ज, प्लेटफॉर्म फीस और अलग-अलग तरह के डिलीवरी चार्ज शामिल होते हैं। हाल ही में एक ग्राहक ने सोशल मीडिया पर अपना बिल शेयर किया जिसमें 14.75 रुपये रेस्टोरेंट GST, 25 रुपये रेन फी और उस पर भी 4.50 रुपये GST), 20 रुपये पैकेजिंग और 14.99 रुपये प्लेटफॉर्म फीस शामिल था। यानी अगर खाना 200 रुपये का हो, तो अंतिम बिल 300 रुपये तक पहुंच सकता है।