
आजकल पर्सनल लोन लेना आसान हो गया है, लेकिन कई लोग एक साथ दो या उससे ज़्यादा लोन ले लेते हैं। पहली नजर में यह जरूरत पूरी करने का तरीका लगता है, लेकिन असलियत में यह आपके वित्तीय स्वास्थ्य को कमजोर कर सकता है।
पर्सनल लोन क्यों बढ़ रहे हैं?
बढ़ती महंगाई और अचानक आने वाले खर्चों के कारण लोग पर्सनल लोन को सबसे आसान विकल्प मानते हैं। बैंक और NBFC भी बिना ज्यादा डॉक्यूमेंटेशन के लोन दे देते हैं। यही वजह है कि लोग कई बार एक से ज्यादा लोन ले लेते हैं।
DTI रेशियो पर असर
DTI यानी Debt-to-Income Ratio यह बताता है कि आपकी आय का कितना हिस्सा EMI चुकाने में जा रहा है। अगर आपके पास एक से ज्यादा पर्सनल लोन हैं, तो DTI रेशियो बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, अगर आपकी सैलरी ₹50,000 है और EMI ₹25,000 तक पहुंच गई है, तो इसका मतलब है कि आपकी आधी आय कर्ज़ में जा रही है। यह स्थिति बैंकों और क्रेडिट एजेंसियों के लिए रिस्की मानी जाती है।
क्रेडिट स्कोर पर दबाव
क्रेडिट स्कोर आपकी वित्तीय पहचान है। जब EMI का बोझ बढ़ता है और समय पर भुगतान नहीं हो पाता, तो स्कोर गिरने लगता है। कम क्रेडिट स्कोर का मतलब है कि भविष्य में आपको लोन लेने में मुश्किल होगी या ब्याज दरें ज्यादा चुकानी पड़ेंगी।
EMI और मानसिक दबाव
एक से ज़्यादा EMI चुकाना न सिर्फ आर्थिक बोझ बढ़ाता है बल्कि मानसिक तनाव भी देता है। हर महीने कई तारीखों पर EMI भरना पड़ता है और अगर कहीं चूक हो जाए तो पेनल्टी और लेट फीस अलग से जुड़ जाती है।
फाइनेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर जरूरत हो तो एक ही पर्सनल लोन लें और उसे समय पर चुकाने की कोशिश करें। अगर पहले से लोन चल रहा है तो नया लोन लेने से पहले अपनी आय और खर्चों का संतुलन जरूर देखें।
हिंदी में शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट न्यूज़, बिजनेस न्यूज़, पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App डाउनलोड करें।