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Indian Overseas Bank: OFS के बाद सरकार का हिस्सा 2.17% घटा, अभी भी SEBI के नियम से ज्यादा

Indian Overseas Bank का OFS 16 दिसंबर को खुला था और 18 दिसंबर को बंद हुआ। इससे पहले भारत सरकार के पास इस बैंक में 94.61 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। SEBI का नियम है कि सभी लिस्टेड कंपनियों में मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 प्रतिशत होनी चाहिए

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Dec 21, 2025 पर 9:38 AM
Indian Overseas Bank: OFS के बाद सरकार का हिस्सा 2.17% घटा, अभी भी SEBI के नियम से ज्यादा
IOB में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 92.44 प्रतिशत हो गई।

पब्लिक सेक्टर के इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) में सरकार की हिस्सेदारी ऑफर-फॉर-सेल (OFS) के बाद 2.17 प्रतिशत घटकर 92.44 प्रतिशत रह गई है। सरकार 16 दिसंबर 2025 को 38.51 करोड़ (38,51,31,796) शेयरों के बेस ऑफर साइज के साथ OFS लाई थी। इसमें अतिरिक्त 19.25 करोड़ (19,25,65,898) शेयर बेचने का विकल्प भी था और इसका इस्तेमाल किया गया। OFS 18 दिसंबर को बंद हुआ।

ग्रीन-शू विकल्प को 0.17 प्रतिशत सब्सक्राइब किया गया। बैंक ने शनिवार को एक रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा कि OFS बंद होने के बाद 2.17 प्रतिशत हिस्सेदारी कम होने से IOB में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 92.44 प्रतिशत हो गई। इससे पहले भारत सरकार के पास इस बैंक में 94.61 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।

सरकार ने क्यों बेची हिस्सेदारी

कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI का नियम है कि सभी लिस्टेड कंपनियों में मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 प्रतिशत होनी चाहिए। फिर चाहे कंपनी सरकारी हो या प्राइवेट। हालांकि सेबी ने केंद्र सरकार के तहत आने वाली कंपनियों और सरकारी वित्तीय संस्थानों को अगस्त 2026 तक छूट दी है। इंडियन ओवरसीज बैंक के अलावा पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में भी सरकार की हिस्सेदारी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग थ्रेसहोल्ड से ज्यादा है। सरकार के पास पंजाब एंड सिंध बैंक में 93.9 प्रतिशत, यूको बैंक में 91 प्रतिशत और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 89.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

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