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क्या स्थायी रूप से इंडिया छोड़ने के लिए आपको इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का टैक्स क्लियरेंस लेना जरूरी है?

सरकार ने 23 जुलाई को पेश यूनियन बजट में इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 230(1ए) में संशोधन के प्रस्ताव का एलान किया। उसके बाद से टैक्सपेयर्स और विदेश जाने वाले लोगों के बीच में इसकी काफी चर्चा है। कई लोग यह समझ रहे हैं कि विदेश जाने के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का टैक्स क्लियरेंस सर्टिफिकेट जरूरी है

अपडेटेड Aug 27, 2024 पर 11:51 AM
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सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने इनकम टैक्स क्लियरेंस सर्टिफिकेट (ITCC) के बारे में उलझन की स्थिति दूर करने की कोशिश की है। उसने 20 अगस्त, 2024 को इस बारे में एक स्पष्टीकरण पेश किया है।

क्या सेटल होने के लिए विदेश जाने वाले हर व्यक्ति के लिए टैक्स क्लियरेंस सर्टिफिकेट जरूरी है? यह सवाल उन सभी लोगों के मन में है, जो अलग-अलग वजहों से इंडिया छोड़ने का प्लान बना रहे हैं। इनमें पढ़ाई, नौकरी और बिजनेस के साथ ही पारिवारिक स्थितियों की वजह से विदेश जाने वाले लोग शामिल हैं। यह सवाल 23 जुलाई को पेश यूनियन बजट में इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 230(1ए) में प्रस्तावित संशोधन के बाद पूछा जा रहा है। इस संशोधन के कई तरह के मतलब निकाले जा रहे हैं। खासकर टैक्सपेयर्स और विदेश जाने वाले लोगों के बीच में इसकी ज्यादा चर्चा है। इससे टैक्स के इस नियम को लेकर काफी उलझन की स्थिति बन गई है।

सीबीडीटी ने स्पष्टीकरण पेश किया

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने इनकम टैक्स क्लियरेंस सर्टिफिकेट (ITCC) के बारे में उलझन की स्थिति दूर करने की कोशिश की है। उसने 20 अगस्त, 2024 को इस बारे में एक स्पष्टीकरण पेश किया है। ऑफिशियल प्रेस रिलीज के मुताबिक, सेक्शन 230(1ए) में किए गए संशोधन का संबंध ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और टैक्स एक्ट, 2015 (ब्लैक मनी एक्ट) से है। यह संशोधन सुनिश्चित करता है कि ब्लैक मनी एक्ट के तहत लायबिलिटी को सेक्शन 230(1ए) के लिए उसी तरह से माना जाना चाहिए जैसा इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत माना जाता है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि देश छोड़ने वाले सभी नागरिकों को आईटीसीसी जरूरी है।


किसके लिए आईटीसीसी जरूरी है?

आईटीसीसी का नियम नया नहीं है। इसे 2003 में लागू किया गया था। तब सिर्फ कुछ लोगों के लिए इस सर्टिफिकेट को लेना जरूरी था। खास तौर पर आईटीसीसी की जरूरत दुर्लभा मामलों में पड़ती है जिसमें:

-एक व्यक्ति गंभीर वित्तीय अनियमितता में शामिल है, और इनकम टैक्स एक्ट या वेल्थ टैक्स एक्ट के तहत जांच के लिए उसकी मौजूदगी जरूरी है और जहां ऐसी संभावना है कि उसे टैक्स डिमांड भेजा जाएगा।

-एक व्यक्ति पर 10 लाख रुपये से ज्यादा टैक्स बकाया है, जिस पर किसी अथॉरिटी की तरफ से रोक नहीं लगाई गई है।

इसके अलावा इन मामलों में भी प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स या चीफ कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स से एप्रूवल हासिल करने और इस तरह के रिक्वेस्ट की रिकॉर्डिंग करने के बाद ही ITCC की डिमांड की जा सकती है।

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सीबीडीटी की तरफ से आए इस स्पष्टीकरण से इस बात की पुष्टि हो गई है कि आईटीसीसी की जरूरत सिर्फ खास स्थितियों में है, जिसके बारे में ऊपर बताया गया है और यह आम लोगों के लिए जरूरी नहीं है। इस मसले पर सरकार का रुख साफ है-सिर्फ ऐसे व्यक्ति जो उपर्युक्त शर्तें पूरी करते हैं उनके लिए ITCC लेना जरूरी है। इसके बाद इसे लेकर आम लोगों का डर खत्म हो जाना चाहिए। हमेशा कोई कदम उठाने से पहले तथ्यों की जांच कर लेना और सही जानकारी हासिल करना फायदेमंद होता है। टैक्स से जुड़े मामलों में यह और भी जरूरी हो जाता है।

(लेखक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। वह पर्सनल फाइनेंस खासकर इनकम टैक्स के मामलों के एक्सपर्ट हैं)

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