Tax Free Countries: ब्रिटेन छोड़ दुबई में बस रहे लक्ष्मी मित्तल, आखिर इनकम टैक्स क्यों नहीं लेते UAE-कतर जैसे देश?

Tax Free Countries: ब्रिटेन में बढ़ते वेल्थ और एग्जिट टैक्स के चलते लक्ष्मी मित्तल जैसे अरबपति दुबई और बाकी देशों का रुख कर रहे हैं। जानिए टैक्स-फ्री देश इनकम टैक्स न लेने के बावजूद अपना खर्च कैसे चलाते हैं और वहां रहने में क्या जोखिम हैं।

अपडेटेड Nov 24, 2025 पर 4:31 PM
Story continues below Advertisement
UAE यानी दुबई और अबूधाबी जैसे शहर टैक्स-फ्री इनकम और बिजनेस-फ्रेंडली माहौल के लिए जाने जाते हैं, लेकिन यहां रहना बेहद महंगा है।

Tax Free Countries: भारतीय मूल के ब्रिटिश अरबपति लक्ष्मी मित्तल अब ब्रिटेन छोड़ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्टील कंपनी आर्सेलर मित्तल के मालिक लक्ष्मी मित्तल अब दुबई या स्विट्जरलैंड में बसने वाले हैं। द संडे टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लेबर पार्टी की नई सरकार अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की तैयारी कर रही है।

इसी प्रस्तावित वेल्थ टैक्स के चलते मित्तल ने ब्रिटेन छोड़ने का फैसला लिया है। यह टैक्स 'सुपर रिच' लोगों पर लगाया जाने वाला है। इसका मकसद ब्रिटेन की गिरती अर्थव्यवस्था को संभालना है। भारतवंशी मित्तल की कुल संपत्ति लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपये है। वे ब्रिटेन के आठवें सबसे धनी व्यक्ति माने जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कई अन्य ब्रिटिश धनकुबेर भी कम टैक्स वाले देशों का रुख कर सकते हैं।

कई देशों में कोई पर्सनल इनकम टैक्स नहीं लगता। खासकर, UAE और कतर जैसे मिडिल ईस्ट देश। इसका मतलब है कि वहां रहने वाले लोग अपनी पूरी सैलरी खुद रख सकते हैं। इस वजह से ये देश ‘टैक्स-फ्री’ कहे जाते हैं और दुनिया भर के प्रोफेशनल्स को लुभाते करते हैं। आइए जानते हैं कि ब्रिटेन के अमीर कारोबारी देश क्यों छोड़ रहे हैं। साथ ही, कम टैक्स वाले देश अपना खर्च कैसे चलाते हैं।


सुपर-रिच टैक्स से पहले ब्रिटेन छोड़ दुबई पहुंचे स्टील टायकून लक्ष्मी मित्तल, आखिर क्यों लिया ये फैसला?

‘एग्जिट टैक्स’ लगाने की तैयारी

ब्रिटेन की लेबर सरकार अब 20% तक का ‘एग्जिट टैक्स’ लगाने की तैयारी में है। नई वित्त मंत्री रेचल रीव्स देश की कमज़ोर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लगभग 20 अरब पाउंड (करीब 2.3 लाख करोड़ रुपये) जुटाने का लक्ष्य रखती हैं।

26 नवंबर को उनका पहला बजट पेश होना है, और उम्मीद है कि इसमें हाई-नेटवर्थ व्यक्तियों पर एग्जिट टैक्स का ऐलान किया जा सकता है। इससे पहले सरकार ने कैपिटल गेन टैक्स में भी बड़ा बदलाव किया था। अप्रैल 2025 से इसे 10% से बढ़ाकर 14% कर दिया गया। 2026 में इसे 18% तक ले जाने की योजना है।

सबसे बड़ी चिंता इनहेरिटेंस टैक्स

लक्ष्मी मित्तल के परिवार से जुड़े एक सलाहकार के मुताबिक, अमीर निवेशकों की सबसे बड़ी चिंता इनहेरिटेंस टैक्स है। उनका कहना है कि ज्यादातर विदेशी अमीर लोग यह समझ नहीं पाते कि उनकी दुनिया भर की संपत्तियों पर ब्रिटेन 40% तक इनहेरिटेंस टैक्स क्यों लगाए। यही वजह है कि कई धनी परिवार ब्रिटेन छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं।

ब्रिटेन में इनहेरिटेंस टैक्स 40% तक है, जबकि दुबई जैसे देशों में यह शून्य है। इसी साल अप्रैल में सरकार ने Non-Dom (Non-Domiciled) Status भी खत्म कर दिया, जो लगभग 200 साल पुराना सिस्टम था और जिसमें अमीर लोगों को सिर्फ ब्रिटेन में कमाई पर टैक्स देना पड़ता था। इस बदलाव के बाद कई हाई-नेटवर्थ व्यक्तियों ने यूके छोड़ने का फैसला तेज कर दिया है।

Property tax : Tax Guru शरद कोहली से जानें प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्स बचाने का आसान फॉर्मूला - property tax learn from tax guru sharad kohli the easy formula to save tax

कई अमीर कारोबारी छोड़ रहे ब्रिटेन

मित्तल का यह कदम ऐसे समय पर सामने आया है जब ब्रिटेन से कई बड़े उद्योगपति और निवेशक तेजी से बाहर जा रहे हैं। इसकी बड़ी वजह है वहां की नीतियों में स्थिरता की कमी और आने वाले समय में टैक्स बढ़ने की आशंका, जिससे हाई-नेटवर्थ व्यक्तियों में असुरक्षा बढ़ी है।

रिपोर्ट के अनुसार, Revolut के को-फाउंडर Nik Storonsky पहले ही UAE शिफ्ट हो चुके हैं, ताकि उन्हें भारी-भरकम कैपिटल गेन टैक्स न चुकाना पड़े। वहीं, भारत में जन्मे हरमन नरुला (Herman Narula) भी ब्रिटेन छोड़कर दुबई जा रहे हैं। वह दो साल की उम्र से ब्रिटेन में ही रह रहे थे। नरुला AI कंपनी Improbable AI के फाउंडर हैं।

प्राकृतिक संसाधनों से चलता खर्च

UAE समेत कई खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा तेल और गैस के भंडारों से आता है। इन संसाधनों के निर्यात से जो मोटा रेवेन्यू मिलता है, उसी से सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर बनाती है, सब्सिडी देती है और खर्च चलाती है। इसलिए वहां के नागरिकों से इनकम टैक्स लेने की जरूरत नहीं पड़ती।

Dubai welcomes over 9.88 million visitors in first half of 2025, cements status as global tourism hub

टैक्स-फ्री, लेकिन पूरी तरह नहीं

हालांकि ये देश पूरी तरह टैक्स-फ्री नहीं हैं। वे अप्रत्यक्ष रूप से Value Added Tax (VAT), कॉर्पोरेट टैक्स और एक्साइज ड्यूटी से रेवेन्यू जुटाते हैं। मतलब यहां कंपनियों और वस्तुओं पर टैक्स तो लगता है, लेकिन लोगों की सैलरी पर नहीं।

इस मॉडल से ये देश विदेशी निवेश और प्रोफेशनल्स के लिए बेहद आकर्षक बन गए हैं। टैक्स कम होने से रियल एस्टेट, टूरिज्म और सर्विस सेक्टर में भी तेजी से ग्रोथ हुई है।

दुबई में टैक्स नहीं, लेकिन खर्च बहुत ज्यादा

UAE यानी दुबई और अबूधाबी जैसे शहर टैक्स-फ्री इनकम और बिजनेस-फ्रेंडली माहौल के लिए जाने जाते हैं, लेकिन यहां रहना बेहद महंगा है। चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ने एक्स पर लिखा कि दुबई में 1BHK फ्लैट का किराया ₹1.5 से ₹3 लाख महीना है। वहीं, भारत में यही घर ₹40,000 से ₹70,000 में मिल जाता है। दूध ₹120 लीटर, मेट्रो पास ₹8,500 महीने का पड़ता है। मुंबई में आपका काम ₹350 में चल जाएगा। यानी टैक्स बचत का फायदा महंगी लाइफस्टाइल में खत्म हो जाता है।

नौकरी की सुरक्षा बड़ी चुनौती

कौशिक ने बताया कि दुबई में नौकरी छूटने का मतलब वीजा खत्म होना है। अगर किसी को नौकरी से निकाला जाए, तो उसके पास सिर्फ 30 से 60 दिन का समय होता है नई नौकरी ढूंढने या देश छोड़ने के लिए। कई कंपनियां बिना नोटिस पूरी टीम निकाल देती हैं और भारत जैसी कानूनी सुरक्षा वहां नहीं है। उन्होंने कहा, ' छंटनी (Layoffs) होते ही पूरे डिपार्टमेंट्स को एक झटके में निकाल दिया जाता है, बिना किसी सेवरेंस या लीगल प्रोटेक्शन के।'

टैक्स-फ्री अमीरों के लिए, गरीबों के लिए मुश्किल

अमीरों के लिए ये टैक्स-फ्री सिस्टम बेशक फायदेमंद है, लेकिन गरीब तबका इसे कम वेतन के रूप में टैक्स चुकाता है। Reddit पर एक यूजर ने लिखा, 'UAE में टैक्स नहीं है, लेकिन गरीब लोग इसे कम सैलरी के जरिए चुकाते हैं।' वहां मजदूरों की सैलरी बहुत कम है, जबकि काम के घंटे लंबे हैं और ओवरटाइम का भुगतान भी नहीं मिलता। कई सेक्टरों में हफ्ते में छह दिन काम होता है और वर्क-लाइफ बैलेंस न के बराबर है।

Income Tax: आपको 2025 में इनकम टैक्स के नियमों में हुए इन 5 बदलावों के बारे में जरूर जानना चाहिए - income tax you must know about these five changes in income

हर किसी के लिए नहीं है ‘दुबई ड्रीम’

नितिन कौशिक का कहना है कि दुबई में रहना गलत नहीं, लेकिन यह हर किसी के लिए नहीं है। अगर किसी के पास अच्छी स्किल्स, मजबूत नेटवर्क और कुछ सेविंग्स हैं, तो वहां करियर और ग्रोथ के अच्छे मौके मिल सकते हैं। उन्होंने कहा, 'बस ‘Dubai Dream’ के पीछे भागिए मत। रिस्क समझिए, तैयारी कीजिए, फिर कदम बढ़ाइए।'

बाकी टैक्स-फ्री देशों में भी यही हाल

Monaco, Bermuda और Bahamas जैसे कई देशों में भी इनकम टैक्स नहीं है, लेकिन ये दुनिया के सबसे महंगे देशों में गिने जाते हैं। Monaco में रियल एस्टेट की कीमतें इतनी ऊंची हैं कि आम लोगों के लिए वहां रहना लगभग नामुमकिन है।

कुल मिलाकर, टैक्स-फ्री देश बाहर से जितने आकर्षक दिखते हैं, उतनी आसानी से उनमें रहना मुमकिन नहीं होता। वहां टैक्स बचता जरूर है, लेकिन खर्च कई गुना बढ़ जाता है। इसलिए अगर आप भी किसी टैक्स-हेवन देश में बसने का सोच रहे हैं, तो पहले खर्च, नौकरी की सुरक्षा और अपनी स्किल्स का आकलन कर लें। वरना टैक्स बचाने के चक्कर में 'लाइफस्टाइल टैक्स' देना पड़ सकता है।

यह भी पढ़ें : Home buying guide: पहली बार खरीद रहे सपनों का घर? इन 12 गलतियों से बचें, वरना होगी बड़ी परेशानी

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।