Tax guru : टैक्स से जुड़ी हर उलझनों को दूर करने के लिए हाजिर सीएनबीसी-आवाजड का पसंदीदा शो टैक्स गुरु। यहां आपको नियमों के दायरे में रहकर टैक्स बचाने के एक से बढ़कर एक तरीके बताए जाते। यह तरीके बताने के लिए सीएनबीसी-आवाज़ के साथ इस बार हैं जानी-मानी टैक्स एक्सपर्ट गौरी चड्ढा। सबसे पहले नजर डालते है आज क्या है खास। आज हम सबसे पहले ये जानने की कोशिश करेंगे कि नौकरीपेशा लोग के लिए नए TDS नियम कैसे हैं फायदेमंद, क्या रेंट से हुए आमदनी पर देना होगा ज्यादा टैक्स? और विरासत में मिली संपत्ति पर इंडेक्सेशन के कैल्कुलेशन का क्या है गणित।
नौकरीपेशा लोगों के लिए TDS-TCS के नए नियम
बता दें कि टेक होम सैलरी बढ़ाने के लिए TDS-TCS का नया नियम लाया गया है। TCS जमा होने पर कैपिटल ब्लॉक होता है। नई गाड़ी खरीदने या विदेश यात्रा में किए गए खर्चों पर TCS जमा होता है। असेसमेंट ईयर में रिटर्न फाइल करने के बाद रिटर्न प्रोसेस होने पर TCS का रिफंड मिलता था। सरकार ने कर्मचारियों की सैलरी पर काटे जाने वाले TDS में TCS का क्रेडिट देने का प्रस्ताव रखा है। अब कंपनियों को TCS को मान्यता देनी होगी। एंप्लॉयर को TCS की जानकारी देने पर TDS में राहत मिलेगी जिससे टेक-होम-सैलरी बढ़ेगी। अभी तक कंपनियां TCS को स्वीकार नहीं करती थी। ITR भरते समय टैक्सपेयर्स को TCS क्लेम करना होता था। TDS में TCS से जुड़ी राहत पाने के लिए एम्प्लॉयर को वैध दस्तावेज देने होंगे। इस साल के बजट में नौकरीपेशा लोगों के लिए TDS नियम बदले गए हैं।
नए TDS नियम से फायदा होगा या नुकसान?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस बार जो बजट (Budget 2024) पेश किया है उसमें लोगों के लिए कई फायदे वाली बातें हैं. इनमें से ही एक है टीसीएस यानी टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स। वित्त मंत्री ने इस बजट में नौकरीपेशा लोगों को एक बड़ी राहत ये दी है कि अब वह टीसीएस (TCS) के जरिए टीडीएस (TDS) में फायदा पा सकते हैं। वेद जैन एंड एसोसिएट्स (Ved Jain & Associates) के सीए अंकित जैन ने इसे आसान करते हुए समझाया।
उन्होंने कहा कि क्या आपने इसी साल कोई कार खरीदी है? या विदेश का कोई टूर किया है? अगर इनमें से आपमें कुछ किया है तो आपको सिर्फ उसका टीसीएस सर्टिफिकेट हासिल करना है और उसे अपने एंप्लॉयर को देना है। इतना करने के बाद आपका मंथली TDS घट जाएगा। बजट की घोषणा के अनुसार अब एंप्लॉयर अपने कर्मचारी की तरफ से चुकाए गए टीसीएस को टीडीएस के बदले एडजस्ट कर सकते हैं। इससे कर्मचारियों को बड़ा फायदा होगा।
विरासत में मिली प्रॉपर्टी पर टैक्स देनदारी, 2001 से पहले खरीदी गई प्रॉपर्टी पर नियम
अब आइए समझते हैं विरासत में मिली प्रॉपर्टी पर टैक्स देनदारी के क्या हैं नियम फिर इससे जुड़े एक सवाल का भी जवाब जानते हैं। पटियाला, पंजाब से ललित मोहन गुप्ता का सवाल है कि एक रेसिडेंशियल जमीन 1925 में 225 रुपए में खरीदी गई थी जो 2003 में विरासत में मिली और 2024 में बेच दी गई, तो क्या इंडेक्सेशन 2024 तक कैल्कुलेट की जाएगी या 2001 तक और क्या कॉस्ट ऑफ पर्चेज 2001 के वैल्यू असेसमेंट के अनुसार कैल्कुलेट की जाएगी और इस कीमत पर इंडेक्सेशन किया जाएगा या नहीं? अगर कोई प्रॉपर्टी विरासत में मिली है तो क्या ये सच है कि कॉस्ट ऑफ पर्चेज को ओरिजनल कॉस्ट ऑफ पर्चेज के तौर पर लिया जाएगा क्योंकि इस मामले में ये 225 रुपये है?
23 जुलाई, 2024 से पहले बेची गई प्रॉपर्टी पर 20 फीसदी LTCG के साथ इंडेक्सेशन लागू होगा। 23 जुलाई, 2024 के बाद बेची गई प्रॉपर्टी पर 2 विकल्प हैं। पहला विकल्प है बगैर इंडेक्सेशन 12.5 फीसदी LTCG। दूसरा विकल्प है 20 फीसदी LTCG के साथ इंडेक्सेशन। दोनों रिजीम का फायदा ले सकते हैं, कैल्कुलेट करने के बाद जिसमें कम टैक्स बने उसपर टैक्स भरें। विरासत में मिली प्रॉपर्टी पर पिछले मालिक के कॉस्ट प्राइस को कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन माना जाएगा। प्रॉपर्टी की साल 2001 की वैल्यूएशन करवानी होगी। 2001 के वैल्यूएशन रिपोर्ट के अमाउंट को इस फाइनेंशियल ईयर तक इंडेक्स करना होगा, फिर कैपिटल गेन्स टैक्स कैल्कुलेट करें। इसमें 2001 को पर्चेज ईयर माना जाएगा। प्रॉपर्टी बेचते समय सेल प्राइस के हिसाब से इंडेक्शसेशन कैल्कुलेट करके टैक्स देना होगा।
रेंटल इनकम पर नया प्रावधान, PG, गेस्ट हाउस, Airbnb प्रॉपर्टी पर नए नियम
बता दें कि पहले हाउसिंग प्रॉपर्टी पर कमाई गई आय पर हुए खर्चों को घटा कर टैक्स देना होता था। इन खर्चों में स्टाफ की सैलरी, बिजली बिल, कम्यूट और मेंटेनेंस शामिल था नए नियम के तहत रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी पर रेंटल इनकम दिखाने का प्रावधान है। अब हाउसिंग प्रॉपर्टी से मिले रेंट को रेंटल इनकम के तौर पर दिखाना होगा। रेंटल इनकम को अब 'इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी' का दर्जा दिया गया है। रेंटल इनकम पर फ्लैट 30 फीसदी डिडक्शन का प्रावधान है। रेंटल इनकम को कई बार बिजनेस इनकम दिखा कर टैक्स बचाया जाता था। रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी पर अब बिजनेस नहीं बल्कि रेंटल इनकम दिखाने का प्रावधान है। अगर प्रॉपर्टी पर बिजनेस इनकम जेनेरेट हुई है तो उसे साबित करना होगा। बिजनेस इनकम साबित करने के लिए वैलिड बिजली बिल, लाइसेंस और GST नंबर जरूरी है। बिजनेस इनकम साबित नहीं कर पाने पर पेनल्टी लगेगी।
विदेशी इक्विटी ट्रेडिंग में लॉस का सेट ऑफ, विदेशी इक्विटी पर टैक्स कैल्कुलेशन
इससे जुड़ा एक सवाल कर्नाटक से संजय का है। उन्हों ने पूछा है कि क्या IT नियमों के तहत क्या विदेशी इक्विटी/इंडेक्स के ट्रेडिंग में हुए लॉस को अपने ग्रॉस इनकम से सेट ऑफ कर सकता हूं? ये ट्रेडिंग एक एक्स प्रोमार्केट्स ऑनलाइन ट्रेडिंग के जरिए की गई थी।
संजय को सलाह कि इक्विटी के टैक्स नियम सिर्फ भारतीय शेयर्स पर लागू होते हैं। विदेशी इक्विटी को देश में इक्विटी नहीं डेट की मान्यता मिलती है। विदेशी इक्विटी के लॉस/गेन पर डेट के टैक्स नियम लागू होंगे।
ITR में डबल पेमेंट, कैसे करें सुधार? या सेक्शन, AY में हुई गलती को ऐसे सही करें
इससे जुड़ा एक सवाल गाजियाबाद के चरणजीत लाल गेरा का है। उन्होंने कहा कि AY 2024-25 के लिए 18210 रुपये ऑनलाइन जमा करते समय उन्होंने गलती से AYn2024-25 की जगह पर माइनर कोड - 107 के तहत AY 2025-26 भर दिया है। इसके बाद उन्होंने AY 2024-25 के लिए अलग सेल्फ चालान जमा किया और ITR भरा फिर 2025-26 के लिए ITR में गलत तरीके से भरे गए चालान का दावा नहीं किया। क्या IT उनकी काटी गई दोगुना इनकम टैक्स अमाउंट वापस कर देगा?
चरणजीत लाल गेरा को सलाह है कि 31 दिसंबर, 2024 तक रिटर्न रिवाइज करने का मौका है। ITR के पोर्टल पर जाकर गलती सुधार सकते हैं। अगले साल रिटर्न भरते समय इसे दिखाकर रिफंड ले सकते हैं। गलत भरे गए असेसमेंट ईयर में हुए नुकसान को इस फाइनेशियल ईयर में TDS कॉलम में एडजस्ट करके दिखा सकते हैं।
NRI के MF बिक्री पर टैक्स नियम
दिल्ली से एस एल अग्रवाल का सवाल है कि दुबई से NRI द्वारा म्यूचुअल फंड की बिक्री की गई है। NRE अकाउंट के जरिए निवेश पर टैक्स देनदारी क्या होगी?
एस एल अग्रवाल को सलाह है कि NRI के पास दो अकाउंट ऑप्शन होते हैं- NRE, NRO। NRE और NRO अकाउंट से निवेश किए गए रकम को रिडीम करने पर भारत में टैक्स की देनदारी बनेगी।