Tax Refund: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की डेडलाइन 15 सितंबर नजदीक है। सरकार ने पहले ही 31 जुलाई की डेडलाइन को बढ़ाकर 15 सितंबर किया था। एक्सपर्ट के मुताबिक, अब इसके आगे बढ़ने की ज्यादा संभावना नहीं है। हालांकि, कई टैक्सपेयर्स पहले ही रिटर्न फाइल कर चुके हैं और उनकी चिंता रिफंड को लेकर है।
टैक्स रिफंड में नौ महीने तक का समय
टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक, अधिकांश रिफंड 4–6 हफ्तों में मिल जाते हैं, लेकिन आयकर विभाग के पास कानूनी तौर पर नौ महीने का समय होता है। यह समय वित्त वर्ष के खत्म होने से गिना जाता है।आपको रिफंड कितने दिन में मिलेगा, यह रिटर्न की जटिलता और उसमें गलतियों पर काफी हद तक निर्भर करता है।
कौन-से रिटर्न जल्दी प्रोसेस होते हैं?
एक्सपर्ट का कहना है कि ITR-1 आम तौर पर तेजी से निपट जाता है। वहीं ITR-2, ITR-3 और ITR-4 जैसे जटिल रिटर्न को प्रोसेस करने में ज्यादा समय लगता है। हाल के वर्षों में प्रोसेसिंग की स्पीड बेहतर हुई है, लेकिन बिजनेस इनकम से जुड़े मामलों में देरी अब भी देखी जाती है।
TDS मिसमैच बनता है बड़ी समस्या
रिफंड में देरी की सबसे आम वजह TDS मिसमैच है। कई बार Form 26AS में दिखाए गए TDS और ITR में दी गई जानकारी मेल नहीं खाती। ऐसी स्थिति में रिफंड देर से मिलता है और टैक्सपेयर्स को आयकर विभाग से नोटिस भी मिल सकता है।
धारा 143(1) में क्या होता है?
आयकर विभाग सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) के जरिए धारा 143(1) के तहत रिटर्न की जांच करता है। इसमें गणना की त्रुटियां, टैक्स कैलकुलेशन और टैक्स पेमेंट की सटीकता की पुष्टि की जाती है। अगर रिफंड से जुड़ा इंटिमेशन मिलता है तो पोर्टल पर लॉगिन करके रेक्टिफिकेशन फाइल करना होता है।
रिफंड मिलने में देरी हो, तो क्या करें?
अगर आपका इनकम टैक्स रिफंड समय पर नहीं मिला है, तो सबसे पहले इनकम टैक्स पोर्टल पर जाकर अपने रिटर्न की स्टेटस चेक करें। अगर वहां 'प्रोसेसिंग' दिख रहा है तो इंतजार करना पड़ेगा।
लेकिन अगर कोई गलती या मिसमैच है, तो सेक्शन 143(1) के तहत मिले इंटिमेशन को ध्यान से पढ़कर सुधार यानी रेक्टिफिकेशन फाइल करें। जरूरत पड़ने पर आप ऑनलाइन ग्रिवांस दर्ज कर सकते हैं या हेल्पलाइन से संपर्क भी कर सकते हैं।