GST 2.0 : GST काउंसिल की बैठक शुरू, ग्रीन हाइड्रोजन और बैटरी स्टोरेज पर टैक्स छूट मिलने की संभावना

GST Reform : जीएसटी काउंसिल सौर पैनलों और पवन चक्की में लगने वाले कलपुर्जों के टैक्स को 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने पर भी विचार करेगी। इस बैठक में ग्रीन हाइड्रोजन और बैटरी स्टोरेज पर टैक्स छूट मिलने की भी संभावना है

अपडेटेड Sep 03, 2025 पर 5:07 PM
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बैटरी स्टोरेज पर लागू जीएसटी को भी घटाकर 5 प्रतिशत किए जाने की संभावना है। वर्तमान में, बैटरियों के कर ढांचे में असमानता है

GST 2.0 : ग्रीन हाइड्रोजन, इलेक्ट्रोलाइजर और बैटरी एनर्जी स्टोरेज प्रणालियां सस्ती होने की संभावना है। 3 सितंबर को नई दिल्ली में दो दिवसीय जीएसटी काउंसिल की बैठक शुरू हो रही है, जिसमें जीएसटी सिस्टम में व्यापक बदलाव की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हो रही जीएसटी काउंसिल की बैठक में सभी राज्यों का मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधित्व है। इस बैठक में जीएसटी के 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत स्लैब को समाप्त करने तथा इनमें शामिल वस्तुओं को 5, 18 और 40 प्रतिशत स्लैब में शिफ्ट करने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।

दो सरकारी अधिकारियों ने मनीकंट्रोल को बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइजर पर 18 प्रतिशत कर लगता है, जिसे संभवतः घटाकर 5 प्रतिशत किया जा सकता है। इनमें से एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,"जून में जीएसटी फिटमेंट कमिटी ने इसकी सिफारिश की थी, जीएसटी काउंसिल अपनी मौजूदा बैठक में इसे मंजूरी दे सकती है।"

इसके अलावा, बैटरी स्टोरेज पर लागू जीएसटी को भी घटाकर 5 प्रतिशत किए जाने की संभावना है। वर्तमान में, बैटरियों के कर ढांचे में असमानता है। लिथियम-आयन बैटरियों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगत है। जबकि लेड-एसिड, सोडियम और फ्लो बैटरियों जैसी अन्य बैटरियों पर 28 प्रतिशत टैक्स लगता है।


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दूसरी ओर,इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों पर लगने वाली जीएसटी पहले से ही 5 प्रतिशत है। जनवरी 2023 में कैबिनेट द्वारा नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) को मंजूरी दिए जाने के बाद से,ग्रीन हाइड्रोजन, इसके डेरीवेटिव प्रोडक्ट्स और उपकरणों पर लगने वाले कर में कटौती इंडस्ट्री की लंबे समय से चली आ रही मांग रही है।

ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव में निवेश करने वाली एक बड़ी निजी फर्म के एक सीनियर एक्जीक्यूटिव ने कहा कि "जीएसटी में कमी से भारत में ग्रीन हाइड्रोजन की लागत ग्लोबल स्तर पर सबसे काफी कम हो जाएगी। इससे केंद्र सरकार के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा मिलेगा, जिसमें अब तक ऊंची लागत के कारण काफी सुस्त ग्रोथ देखने को मिली है।"

MoneyControl News

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First Published: Sep 03, 2025 4:56 PM

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