स्कूल की कैंटीन और बस सेवाएं GST के दायरे में नहीं आती हैं। महाराष्ट्र अथॉरिटी फॉर एडवान्स रूलिंग (AAR) ने यह फैसला दिया है। इस फैसले से देशभर के स्कूलों को राहत मिलेगी। एएआर को इस पर फैसला देना था कि स्कूल की तरफ से दी जा रही कैंटीन और बस सेवाएं जीएसटी के दायरे में आती हैं नहीं। अंग्रेजी बिजनेस न्यूज वेबसाइट इकोनॉमिक टाइम्स ने यह खबर दी है।
इस बारे में एएआर ने 25 को फैसला दिया है। इसमें कहा गया है, "फीस के एवज में स्टूडेंट्स को प्री-स्कूल एजुकेशन की सप्लाई, प्री-स्कूल स्टूडेंट्स को ट्रांसपोर्टेशन की सप्लाई और कैंटीन सर्विसेज टू स्टाफ और फैकल्टी पर टैक्स रेट निल है।"
इस फैसले में कहा गया है कि अगर स्कूल स्कूल फीस के साथ पैसा चार्ज कर रहा है तो इन सेवाओं को कंपोजिट सप्लाई नहीं माना जा सकता। इससे पहले स्कूलों को एंप्लॉयीज को दी जा रही कैंटीन सेवाओं पर जीएसट चुकाने को कहा गया था।
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई स्कूल और दूसरी शैक्षणिक संस्थाओं के सामने इन सेवाओं पर जीसटी चुकाने का सवाल रहा है। अंग्रेजी बिजनेस न्यूज वेबसाइट इकोनॉमिक टाइम्स को केपीएमजी के पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा कि इस फैसले में कंपोजिट सप्लाई का सही मतलब निकाला गया है।
उन्होंने कहा कि एएआर के फैसले में स्पष्ट किया गया है कि चूंकि प्री-स्कूल एजुकेशन को जीएसटी से छूट है, जिससे इसके साथ होने वाली अन्य गुड्स की सप्लाई को कंपोजिट सप्लाई माना जाएगा और इस पर टैक्स का निल रेट लागू होगा। जीएसटी फ्रेमवर्क के तहत ऐसे आइटम्स की सप्लाई को कंपोजिट सप्लाई या मिक्स्ड सप्लाई के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।