Credit Cards

क्या होती है Tax Harvesting, जिससे निवेशकों को टैक्स बचाने में मिलती है मदद

Tax harvesting का इस्तेमाल अमेरिका समेत कई सारे देशों में निवेशक करते हैं। भारत में निवेशक इस तरीके से टैक्स बचाते हैं। आइए जानते हैं कि टैक्स हॉर्वेस्टिंग क्या होती है, जिससे आपकी टैक्स देनदारी कम हो जाती है। साथ ही, इसका फायदा कब और कैसे उठाया जा सकता है।

अपडेटेड Mar 22, 2025 पर 3:33 PM
Story continues below Advertisement
निवेशक को कैपिटल लॉस दिखाने के लिए अपने अंडरपरफॉर्मिंग स्टॉक्स या फंड को बेचना होता है।

Tax Loss Harvesting: टैक्स हार्वेस्टिंग (Tax harvesting) निवेशकों के लिए अपनी टैक्स देनदारी को कम करने का काफी कारगर तरीका है। इसे अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में अक्सर निवेशक अपनाते हैं। भारत में भी इसका फायदा उठाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि टैक्स हार्वेस्टिंग क्या होती है और निवेशक इसका इस्तेमाल क्यों और कैसे करते हैं?

टैक्स हार्वेस्टिंग क्या होती है?

अगर आप कोई स्टॉक बेचते हैं, तो उससे होने वाले मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। लेकिन, अगर आप किसी शेयर या म्यूचुअल फंड में लॉस में चल रहे हैं, तो उसकी मदद से आप टैक्स बचा सकते हैं। इसके लिए आपको उसी वित्त वर्ष में लॉस बुक करना होगा। ऐसे में कई लोग टैक्स बचाने के लिए अपनी लॉस पोजिशन को 31 मार्च, 2025 से पहले बेच रहे हैं, ताकि उनकी टैक्स देनदारी कम हो जाए।


Elever के Co-Founder और CIO करण अग्रवाल इसे बारीकी से समझाते हैं। उनका कहना है, 'अमेरिका में निवेशकों के लिए वित्त वर्ष के आखिर में लॉस बुक करना काफी अहम बात है। इससे उनकी टैक्स देनदारी कम हो जाती है। उनके लिए टैक्स भी एक असेट बन जाता है। इसी स्ट्रैटजी को टैक्स लॉस हार्वेस्टिंग कहते हैं, जिसका फायदा भारतीय निवेशक भी उठा सकते हैं।'

टैक्स हॉर्वेस्टिंग काम कैसे करती है?

निवेशक को कैपिटल लॉस दिखाने के लिए अपने अंडरपरफॉर्मिंग स्टॉक्स या फंड को बेचना होता है।

इस लॉस को आप इक्विटी या रियल एस्टेट समेत अन्य निवेश के कैपिटल गेन से ऑफसेट कर सकते हैं।

अगर ऑफसेट करने के लिए कोई कैपिटल गेन नहीं है, तो इस लॉस को अगले 8 साल तक कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है।

इसका मतलब कि आगे जब भी आपको मुनाफा होगा, तो उसमें से आपकी टैक्स देनदारी घट जाएगी।अगर आप निवेश जारी रखना चाहते हैं, तो उसकी असेट को दो दिन बाद दोबारा भी खरीद सकते हैं।

इन बातों का रखें ख्याल

  • आप लॉस को सैलरी इनकम के बदले ऑफसेट नहीं कर सकते।
  • मतलब कि लॉस दिखाकर सैलरी इनक पर टैक्स छूट नहीं मिलेगी।
  • यह सिर्फ इक्विटी, रियल एस्टेट और अन्य कैपिटल असेट के लिए है।
  • डेरिवेटिव गेन में लॉस को कैरी फॉरवर्ड करने की रियायत नहीं मिलती।

अगर म्यूचुअल फंड या ETF की बात करें, तो टैक्स हॉर्वेस्टिंग काफी आसान है। उन्हें कोई फंड बेचना होता है और उसी कैटेगरी में दूसरा खरीदना होता है। वहीं, स्टॉक इन्वेस्टर्स या तो उसी इंडस्ट्री के किसी प्रतिस्पर्धी कंपनी का स्टॉक खरीद सकते हैं या फिर उन्हें वही स्टॉक दोबारा खरीदने के लिए दो दिन का इंतजार करना होगा।

यह भी पढ़ें : फॉर्म 16 नहीं होने पर भी क्लेम कर सकते हैं LTA, यहां जानिए पूरा प्रोसेस

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।