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अपने ही घर का सपना बना ‘हाउसिंग हॉरर’, क्या आप भी फंसे हैं पजेशन तक No EMI स्कीम में?

भारतीय मिडिल क्लास का सबसे बड़ा सपना होता है अपना खुद का घर खरीदना। लेकिन अब यही सपना कई परिवारों के लिए डरावना सपना बन गया है। दरअसल, ‘नो ईएमआई टिल पजेशन’ जैसी स्कीमें असल में होमबायर्स के लिए जाल साबित हो रही हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Aug 20, 2025 पर 4:54 PM
अपने ही घर का सपना बना ‘हाउसिंग हॉरर’, क्या आप भी फंसे हैं पजेशन तक No EMI स्कीम में?
भारतीय मिडिल क्लास का सबसे बड़ा सपना होता है अपना खुद का घर खरीदना।

भारतीय मिडिल क्लास का सबसे बड़ा सपना होता है अपना खुद का घर खरीदना। लेकिन अब यही सपना कई परिवारों के लिए डरावना सपना बन गया है। दरअसल, ‘नो ईएमआई टिल पजेशन’ जैसी स्कीमें असल में होमबायर्स के लिए जाल साबित हो रही हैं। वह घर के किराये के साथ होमलोन EMI भी चुका रहे हैं लेकिन घर नहीं मिल रहा है। चार्टर्ड अकाउंटेंट मीनल गोयल ने हाल ही में एक लिंक्डइन पोस्ट में दावा किया कि देशभर में 4.3 लाख से ज्यादा होमबायर्स ऐसी स्थिति में फंसे हैं जहां वे भारी-भरकम EMI चुका रहे हैं, लेकिन उनका घर अब तक बना ही नहीं है। गोयल ने अपनी पोस्ट का टाइटल रखा अपना सपना खरीदना अब एक सपना नहीं, बुरा सपना बना गया है।

कैसे फंसते हैं खरीदार?

इन स्कीमों में खरीदार को सिर्फ 10% रकम एडवांस देना होता है। बाकी का लगभग 80% बैंक से लोन के रूप में बिल्डर को मिल जाता है। बिल्डर वादा करता है कि 2-3 साल तक EMI वही भरेगा। लेकिन जेसे ही बिल्डर पेमेंट करना बंद करता है, पूरा बोझ खरीदार पर आ जाता है। गोयल ने एक उदाहरण देते हुए लिखा कि उनकी एक दोस्त हर महीने 45,000 रुपये किराया और 32,000 रुपये EMI भर रही है। उस घर के लिए जो शायद कभी पूरा ही न हो।

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