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E-Commerce कंपनियों के COD चार्ज को लेकर सरकार की सख्ती, ग्राहकों की जेब पर बढ़ रहा अनदेखा बोझ

E-Commerce कंपनियों के COD चार्ज को लेकर सरकार ने जांच शुरू की है क्योंकि ये एक्स्ट्रा फीस “डार्क पैटर्न” का हिस्सा मानी गई है, जो ग्राहकों को भ्रामक तरीके से ज्यादा भुगतान करवाती है। अब कठोर कार्रवाई और सख्त नियमों की उम्मीद है ताकि उपभोक्ताओं को पारदर्शिता और न्याय मिले।

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 04, 2025 पर 3:22 PM
E-Commerce कंपनियों के COD चार्ज को लेकर सरकार की सख्ती, ग्राहकों की जेब पर बढ़ रहा अनदेखा बोझ

आजकल ऑनलाइन शॉपिंग में कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) पेमेंट बहुत लोकप्रिय है, पर कुछ ई-कॉमर्स कंपनियां COD ऑर्डर पर अलग से ‘कैश हैंडलिंग चार्ज’ वसूल रही हैं। सरकार ने इसको लेकर शिकायतें मिलने के बाद जांच शुरू कर दी है, क्योंकि ऐसे चार्ज को डार्क पैटर्न यानी “छल या भ्रामक रणनीति” माना जाता है, जिससे ग्राहकों को चुपचाप एक्स्ट्रा भुगतान करना पड़ता है।

क्या होता है COD चार्ज और क्यों लगाया जाता है?

कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) वह तरीका है, जिसमें ग्राहक को ऑर्डर डिलीवरी के समय कैश या डिजिटल माध्यम से भुगतान करना होता है। कंपनियां इस्तेमाल में आसानी और ग्राहकों को भरोसा देने के लिए यह विकल्प देती हैं। लेकिन कूरियर पार्टनर नकदी संभालने और रिस्क मैनेज करने के नाम पर अतिरिक्त चार्ज वसूलता है, जिसे ‘COD चार्ज’ या ‘कैश हैंडलिंग फी’ कहा जाता है। कई बार ये चार्ज शॉपिंग के आखिरी स्टेप में “ड्रिप प्राइसिंग” के तहत छिपाया जाता है, जिससे ग्राहक को या तो पता नहीं चलता या मजबूरन देना पड़ता है।

डार्क पैटर्न कैसे काम करता है?

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