Health Insurance लेने में ये गलतियां बढ़ा सकती हैं आपके अस्पताल के बिल, ऐसे रहें सावधान

Health Insurance लेते वक्त पालिसी की एक्सक्लूजन और वेटिंग पीरियड को न पढ़ना, नेटवर्क अस्पताल की जांच न करना, अस्पताल में भर्ती होने पर इंश्योरर को समय पर सूचना न देना जैसी गलतियां अस्पताल के बिल को बढ़ा सकती हैं। सही पालिसी चुनकर और नियमों को समझकर ये खर्चे कम किए जा सकते हैं और क्लेम प्रक्रिया भी सुगम होती है।

अपडेटेड Oct 31, 2025 पर 10:37 PM
Story continues below Advertisement

आजकल हेल्थ इंश्योरेंस लेना बहुत जरूरी हो गया है ताकि अस्पताल में इलाज के खर्चों से निपटा जा सके। लेकिन कई लोग ऐसी सामान्य गलतियां कर देते हैं जिनकी वजह से उनका अस्पताल का बिल ज्यादा आ जाता है या उन्हें क्लेम में परेशानी होती है। आइए जानते हैं ऐसी वे पांच प्रमुख गलतियां जिनसे बचकर आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस का सही फायदा उठा सकते हैं।

पालिसी के एक्सक्लूजन (बहिष्करण) को नहीं पढ़ना

कई बार लोग अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पालिसी खरीदते वक्त यह सोचते हैं कि उसमें सबकुछ कवर होगा, लेकिन हर पालिसी में कुछ खास प्रसाधन, इलाज या बीमारियां जैसे डेंटल ट्रीटमेंट, कॉस्मेटिक सर्जरी या कुछ प्री-एक्जिस्टिंग कंडीशंस पर बहिष्कार होता है। यदि आप इन बातों को ध्यान से नहीं पढ़ते या समझते हैं, तो अस्पताल में बिल भरते वक्त आपको झटका लग सकता है। इसलिए पालिसी लेने या रिन्यू करने से पहले इन एक्सक्लूज की पूरी जानकारी जरूर लें।

वेटिंग पीरियड को नजरअंदाज करना


अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस प्लानों में प्री-एक्जिस्टिंग कंडीशनों, प्रेग्नेंसी के इलाज या कुछ बीमारियों के लिए एक वेटिंग पीरियड होता है। अगर इस दौरान आपको अस्पताल जाना पड़े तो इंश्योरर भुगतान नहीं करेगा। खासकर बुजुर्गों के लिए यह बात ज्यादा याद रखने वाली होती है। इसलिए बेहतर है कि बीमारी का इंतजार करने से पहले ही इंश्योरेंस करा लिया जाए।

गैर-नेटवर्क अस्पताल का चयन

अगर आप गैर-नेटवर्क अस्पताल में उपचार कराते हैं, तो आपको खर्च खुद उठाना पड़ सकता है और बाद में रीइंबर्समेंट लेना होगा, जो समय लेने वाला और कभी-कभी पूरा नहीं भी होता। इसलिए हमेशा अपने इंश्योरर की नेटवर्क अस्पताल की लिस्ट की जांच करें और प्लान किए गए इलाज के समय सुनिश्चित करें कि अस्पताल कैशलेस सुविधाएं प्रदान करता हो।

अस्पताल में भर्ती होने पर इंश्योरर को समय पर सूचना न देना

कई बार जरूरत के समय या आपात स्थिति में इंश्योरर को अस्पताल में भर्ती होने की सूचना देन में देरी हो जाती है। इससे क्लेम प्रोसेसिंग में बाधा आती है और दावा रिजेक्ट होने की संभावना बढ़ जाती है। अधिकांश इंश्योरेंस कंपनियां 24 घंटे के अंदर सूचना देने को कहती हैं। इसलिए हेल्पलाइन नंबर और पालिसी नंबर हमेशा अपने पास रखें।

कम कवरेज या एड-ऑन सुविधाओं का न होना

सस्ती पालिसी लेना फायदेमंद लग सकता है, लेकिन इसके कवरेज की सीमा कम होती है, जिससे अस्पताल के भारी बिलों का सामना करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए आवश्यक कवरेज के साथ जैसे रूम रेंट वेवर, नो-क्लेम बोनस, क्रिटिकल इलनेस राइडर समेत अड-ऑन लेते हुए पालिसी लें ताकि अस्पताल खर्च में आर्थिक बोझ न पड़े।

हेल्थ इंश्योरेंस की ये छोटी-छोटी गलतियां आपके अस्पताल के बिल को कई गुना बढ़ा सकती हैं और क्लेम में समस्या भी पैदा कर सकती हैं। इसलिए पालिसी खरीदते या रिन्यू करते वक्त ध्यान से शर्तें पढ़ें, नेटवर्क अस्पताल की जांच करें और वेटिंग पीरियड समझकर सही फैसला लें। सही इंश्योरेंस चुनाव और उसके नियमों का पालन आपको वित्तीय तनाव से बचाने में मदद करेगा।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।