आज के डिजिटल युग में यूपीआई (Unified Payments Interface) ने भारत में भुगतान का तरीका पूरी तरह बदल दिया है। पहले जहां यूपीआई का इस्तेमाल ज्यादातर छोटे-छोटे रोजमर्रा के लेनदेन के लिए होता था, वहीं अब भारत के धनवान और अमीर वर्ग भी बड़ी रकम के भुगतान के लिए यूपीआई को पसंद करने लगे हैं। ज्यादातर लोग अब अपने चमकदार क्रेडिट कार्ड या चेक बुक के बजाय मोबाइल के जरिए यूपीआई से पैसों का ट्रांसफर करना ज्यादा सुविधाजनक समझते हैं।
उज्ज्वल कारण भी हैं इस बदलाव के पीछे। यूपीआई से भुगतान करने पर आप उतना ही पैसा खर्च करते हैं, जितना आपके खाते में होता है, यानी कोई ओवरड्राफ्ट या EMI का झंझट नहीं। इसलिए अमीर लोग फिजूलखर्ची से बचना चाहते हैं तो यूपीआई विकल्प उनके लिए बेहतर साबित हो रहा है।
अमीरों के लिए समय भी कीमती है और यूपीआई बहुत तेज़ी से काम करता है। इसमें न तो सीधे कार्ड स्वाइप करना पड़ता है, न OTP का इंतजार, बस एक QR कोड स्कैन कर मिनटों में बड़ी रकम भेज दी जाती है। अगस्त 2025 में भारत में 24.8 लाख करोड़ रुपये यूपीआई के जरिए ट्रांसफर हुए, जिससे इसकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
रिजर्व बैंक ने यूपीआई की लिमिट 5 लाख रुपये प्रति ट्रांजेक्शन तक बढ़ा दी है, जिससे अब बड़ी रकम के लेन-देन भी सुरक्षित और आसान हो गए हैं। साथ ही, यूपीआई अब मात्र भारत तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह सिंगापुर, UAE, श्रीलंका, फ्रांस, नेपाल, भूटान और मॉरिशस जैसे देशों में भी स्वीकार किया जाता है।
यूपीआई की यह वैश्विक पहुंच उसे विदेशी खरीददारी, व्यवसायिक खर्चों और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन के लिए भी उपयुक्त बनाती है। इसके अतिरिक्त, यूपीआई मनी ट्रांसफर के साथ-साथ खुदरा और बड़े व्यापारी दोनों के लिए फुली डिजिटल समाधान बन चुका है।