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लगातार पांच कारोबारी सत्रों में वोलैटिलिटी इंडेक्स 22% नीचे आया, जानिए क्या इस समय सही रहेगी गिरावट पर खरीद की रणनीति

एनालिस्ट का मानना है कि मानसून के समय से आने और नॉमर्ल रहने के अनुमानों के चलते चावल, सोयाबीन, दालों के उत्पादन में मजबूती रहने की संभावना है। इससे महंगाई घटेगी

अपडेटेड May 31, 2022 पर 2:55 PM
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रेलिगेयर ब्रोकिंग के सिद्धार्थ भामरे का कहना है कि इस समय निवेशक पिछले हफ्ते की तुलना में बाजार और इकोनॉमी की संभावना को लेकर ज्यादा सुरक्षित महसूस करते नजर आ रहे हैं

स्टॉक मार्केट में वोलैटिलिटी (उतार-चढ़ाव) को मापने वाला इंडेक्स पिछले लगातार 5 कारोबारी सत्रों से गिरावट के मोड में है। ग्लोबल मार्केट से अच्छे संकेत के चलते भारतीय इक्विटी बाजारों में अच्छी तेजी आई है। इसके साथ ही चीन में कोविड के मामलों में गिरावट आने के कारण भी बाजार ने राहत की सांस ली है। यूएस फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में बहुत ज्यादा आक्रामक तरीके से बढ़ोतरी न करने के अनुमान के चलते भी सेंटीमेंट में सुधार आया है।

इंडिया वोलैटिलिटी इंडेक्स (VIX)को आमतौर पर भारतीय इक्विटी बाजार के फियर इंडीकेटर के तौर पर संबोधित किया जाता है। यह पिछले 5 कारोबारी सत्रों में करीब 22 फीसदी गिरा है और 24 मई के 25.63 स्तर के घटकर आज 20 के स्तर पर आ गया है। इस साल इंडिया विक्स में अब तक 24 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। वहीं 24 मई से अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में 3.3 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। जबकि इस साल अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 4.2 फीसदी की गिरावट आई है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल के चंदन तापड़िया का कहना है कि वोलैटिलिटी में गिरावट इस बात का संकेत है कि बाजार में सेंटीमेंट सुधर रहा है। ऐसे में गिरावट में खरीद एक बेहतर रणनीति हो सकती है। गौरतलब है कि शंघाई और बीजिंग में कोरोना के चलते लागू प्रतिबंधों में ढ़िलाई के खबरों के बाद ही ग्लोबल मार्केट में तेजी आती दिखी है। इसके अलावा चीन ने इकोनॉमी को राहत देने के लिए घोषणाओं ने भी बाजार सेंटीमेंट को सपोर्ट दिया है। यूएस फेड की मई के शुरुआत में हुई बैठक की बुधवार को आए मिनट से इन अटकलों को बल मिला है कि इस साल के अंतिम भाग में अमेरिका में ब्याज दरों की बढ़ोतरी रुकती नजर आ सकती है। इससे भी निवेशकों को राहत मिली है।


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घरेलू बाजार की बात करें तो समय से पहले मानसून के आगमन की खबर से निवेशकों का जोश बढ़ा है। एनालिस्ट का मानना है कि मानसून के समय से आने और नॉमर्ल रहने के अनुमानों के चलते चावल, सोयाबीन, दालों के उत्पादन में मजबूती रहने की संभावना है। इससे महंगाई घटेगी।

रेलिगेयर ब्रोकिंग के सिद्धार्थ भामरे का कहना है कि इस समय निवेशक पिछले हफ्ते की तुलना में बाजार और इकोनॉमी की संभावना को लेकर ज्यादा सुरक्षित महसूस करते नजर आ रहे हैं। इससे बाजार में वोलैटिलिटी घटी है। इसके अलावा FII का मूड भी बदलता नजर आ रहा है। कल के कारोबार में एक लंबे अंतराल के बाद FII नेट बायर रहे।

निवेशकों की नजर आज शाम आने वाले भारत की जीडीपी आंकड़ों पर लगी हुई है। इसके अलावा शुक्रवार को आने यूएस नॉन-पेरोल डेटा और 6-8 जून को होने वाली आरबीआई की नीति बैठक पर बाजार की नजर रहेगी। इसके अलावा निवेश कल आने वाले मासिक ऑटो बिक्री आंकड़ों और पीएमआई नंबर को लेकर भी सतर्क हैं।

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