पत्नी ने छिपाई अपनी ₹1 लाख महीने की सैलरी, हाईकोर्ट ने घटाया मेंटेनेंस अमाउंट, जानिये पूरा मामला

हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें उसने कहा कि अगर पत्नी अपनी इनकम छिपाती है, तो उसे पूरा मेंटेनेंस अमाउंट नहीं दिया जाएगा। यह मामला उस समय सामने आया जब एक पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में अपील की

अपडेटेड Nov 08, 2025 पर 11:25 AM
Story continues below Advertisement
हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें उसने कहा कि अगर पत्नी अपनी इनकम छिपाती है, तो उसे पूरा मेंटेनेंस अमाउंट नहीं दिया जाएगा।

हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें उसने कहा कि अगर पत्नी अपनी इनकम छिपाती है, तो उसे पूरा मेंटेनेंस अमाउंट नहीं दिया जाएगा। यह मामला उस समय सामने आया जब एक पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में अपील की। फैमिली कोर्ट ने पति को पत्नी और बच्चे के लिए 15,000 रुपये मंथली भरण-पोषण देने का आदेश दिया था।

मामला क्या था?

यह केस I.A.No.1 of 2022 से जुड़ा है। पति ने हाईकोर्ट में यह दलील दी कि उसकी पत्नी ने अपनी असली इनकम कोर्ट से छिपाई है। पति के वकील एपी लोगनाथन ने अदालत को बताया कि पत्नी कॉग्निजेंट (Cognizant) कंपनी में जुलाई 2018 से काम कर रही है और दिसंबर 2022 की सैलरी स्लिप के अनुसार उसकी मासिक ग्रॉस सैलरी 1 लाख रुपये से अधिक है, जबकि नेट सैलरी 87,876 रुपये थी।


कोर्ट में क्या कहा गया?

कोर्ट में पति की तरफ से यह भी कहा गया कि पत्नी ने झूठा हलफनामा (affidavit) दिया है और अपनी नौकरी की जानकारी छिपाई है, इसलिए उसे भरण-पोषण का हक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्नी ने यह भी साफ नहीं बताया कि वह यह मेंटेनेंस अपने लिए मांग रही है या सिर्फ बच्चे के लिए।

वहीं, अदालत ने यह माना कि दोनों के बीच पति-पत्नी का रिश्ता और एक 5 साल का बेटा है, इसमें कोई विवाद नहीं है। अदालत ने यह भी माना कि बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी सिर्फ पिता की नहीं, बल्कि मां की भी है।

कोर्ट का फैसला

जस्टिस ने कहा किपत्नी ने अपनी इनकम के बारे में सच्चाई नहीं बताई और अपने हलफनामे में झूठ बोला है। सैलरी स्लिप से साबित होता है कि वह कॉग्निजेंट में काम कर रही थी और हर महीने 1 लाख रुपये से ज्यादा कमा रही थी।

इसी आधार पर मद्रास हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश रिवाइज करते हुए मेंटेनेंस की रकम 15,000 रुपये से घटाकर 10,000 रुपये कर दी। साथ ही कोर्ट ने यह कहा कि अगर पति यह साबित कर दे कि वह पहले से 5,000 रुपये मंथली पेमेंट कर रहा था, तो उस रकम को एडजस्ट किया जा सकता है। पति को बाकी बची रकम 4 हफ्तों के अंदर चुकानी होगी।

कोर्ट ने क्या मैसेज दिया?

अदालत ने कहा कि कानून महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए है, लेकिन इसका गलत फायदा नहीं उठाया जा सकता। अगर कोई महिला आर्थिक रूप से सक्षम है, तो बच्चे की जिम्मेदारी दोनों माता-पिता को बराबर उठानी चाहिए।

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।