Wedding season: शादियों में बदल रहा खर्च का तरीका, अब दिखावे से ज्यादा वैल्यू पर जोर
Wedding season: इस वेडिंग सीजन में खर्च का पूरा पैटर्न बदल रहा है। अब बजट दिखावे पर नहीं, बल्कि क्वालिटी, यादों और पर्सनलाइजेशन पर लगाया जा रहा है। जानिए कैसे नई पीढ़ी फैशन से लेकर फोटोग्राफी और एक्सपीरियंस डिजाइन तक हर खर्च को नए नजरिए से तय कर रही है।
शादी की फोटोग्राफी में बदलाव सिर्फ खर्च का नहीं, इमोशनल सोच का भी है।
Wedding season: भारत की वेडिंग इकोनमी इस सीजन खर्च करने के तरीके में बड़ा बदलाव दिखा रही है। पहले जहां परिवार शादी में फैशन, ज्वेलरी, फोटोग्राफी या सजावट जैसी चीजों पर बिना सोचे-समझे पैसा खर्च कर देते थे, अब फोकस बदल रहा है। लोग अब हर चीज में बेहतर क्वालिटी, असली काम और पर्सनल टच तलाश रहे हैं। यानी बड़े और भव्य खर्च की जगह यह देखा जा रहा है कि किस चीज की जरूरत है और कौन-सी चीज वास्तव में वैल्यू जोड़ती है।
रिटेलर्स और सर्विस प्रोवाइडर्स भी यही कह रहे हैं कि भले ही शादियां अब पहले से छोटी, सीमित मेहमानों वाली या अधिक क्यूरेटेड हो गई हों, लेकिन लोग उन चीजों पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं जो टिकाऊ, प्रामाणिक और उनकी पर्सनैलिटी को दिखाती हों।
हैंडक्राफ्टेड फैशन की ओर वापसी
इंडियन सिल्क हाउस एजेंसिज के सीईओ दर्शन दुधोरिया बताते हैं कि इस वेडिंग सीजन में टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी हैंडक्राफ्टेड सिल्क और प्रीमियम एथनिक वियर की मांग तेजी से बढ़ी है। यह 52 साल पुराना ब्रांड 62 वीविंग क्लस्टर्स के 15,000 से ज्यादा कारीगरों के साथ काम करता है। इसका कहना है, 'प्रीमियम एथनिक वियर, रिवाइवल वीव्स और सस्टेनेबल फेस्टिव फैशन इस सीजन की मांग तय कर रहे हैं।'
दुधोरिया समझाते हैं कि ब्रांड ने ऐसा मॉडल विकसित किया है जिसमें कारीगरों की आजीविका और उनके काम को बेहतर बाजार तक पहुंचाना, दोनों को बराबर महत्व दिया गया है। यानी फैशन सिर्फ डिजाइन या ट्रेंड तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे कारीगरों की मेहनत और उनके लिए एक स्थायी आय का सिस्टम भी जुड़ा है।
वेडिंग फोटोग्राफी पर बढ़ा खर्च
विंटेज फिल्म्स के फाउंडर्स राकेश बजाज और ज्योति बजाज बताते हैं कि आज के कपल्स फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी को पहले से कहीं ज्यादा गंभीरता से ले रहे हैं। पहले जहां शादी के बजट का सिर्फ 3-4% हिस्सा इस काम पर जाता था, अब कई शहरी शादियों में यह बढ़कर 7-10% तक पहुंच गया है।
कपल्स को अब लगता है कि मल्टी-डे कवरेज, सिनेमैटिक एडिट्स और पर्सनलाइज्ड स्टोरीटेलिंग सिर्फ खर्च नहीं, बल्कि एक तरह का लाइफटाइम इन्वेस्टमेंट है। क्योंकि यादें ही अंत में सबसे ज्यादा बचती हैं। वे यह भी मानते हैं कि कपल्स आज कम खर्च नहीं कर रहे वे बस स्मार्ट तरीके से खर्च कर रहे हैं। यानी खर्च वहीं किया जा रहा है जिसका महत्व लंबे समय तक बना रहता है।
इंटीमेट वेडिंग्स ने इस बदलाव को और तेज किया है। कम मेहमान, ई-कार्ड्स, मिनिमल डेकोर और एक ही टीम द्वारा फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी जैसे विकल्पों से काफी बचत हो जाती है। नतीजतन, बजट का बड़ा हिस्सा अब फिल्म्स और एडिट्स पर लगाया जा सकता है, जहां कपल्स अपनी असली प्राथमिकता रखते हैं।
फोटोग्राफी अब भावनात्मक निवेश भी बनी
द मूविंग मोमेंट्स के फाउंडर वैभव सिंगवी बताते हैं कि शादी की फोटोग्राफी में बदलाव सिर्फ खर्च का नहीं, इमोशनल सोच का भी है। उनके शब्दों में, 'डेकोर फीका पड़ जाता है, आउटफिट्स पैक हो जाते हैं, लेकिन सेलिब्रेशन की विजुअल नैरेटिव जीवनभर की याद बन जाती है।'
इसी वजह से कपल्स अब क्यूरेटेड पैकेजेज, छोटी टीम और 'कम लेकिन ज्यादा मायने रखने वाली फिल्म्स और हाइलाइट रील्स' चुन रहे हैं। यह ट्रेंड दिखाता है कि कपल्स आज भावनाओं और बजट, दोनों का संतुलन बनाकर चलना चाहते हैं।
एक्सपीरियंस-बेस्ड डिजाइन पर जोर
एन्ग्वेलप के फाउंडर जय शर्मा कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में कपल्स की सोच में एक शांत लेकिन बड़ा बदलाव आया है। अब फोकस सिर्फ सजावट पर नहीं, बल्कि इस बात पर है कि मेहमान कैसे महसूस करें, कैसे चलें और पूरे सेलिब्रेशन से कैसे जुड़ें।
शर्मा का कहना है, 'कपल्स अब thoughtfully designed walk-ins, layered transitions, interactive installations और personal storytelling जैसे एलिमेंट्स पर खर्च कर रहे हैं।' वह बताते हैं कि यह बढ़ता निवेश दिखाता है कि नई जेनरेशन चाहती है कि वेडिंग सिर्फ एक इवेंट नहीं, बल्कि एहसास और यादों का एक पूरा अनुभव बने।
रिटेल में भी दिख रहा है यह बदलाव
नेक्सस सेलेक्ट मॉल्स के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर निशांक जोशी बताते हैं कि इस वेडिंग सीजन में रिटेल सेक्टर में मजबूत फुटफॉल और बढ़ती खरीदारी देखने को मिल रही है।
जोशी के मुताबिक, फैशन, ज्वेलरी, ब्यूटी और डिस्क्रिशनरी कैटेगरीज में मांग इसलिए बढ़ी है क्योंकि उपभोक्ता अब पर्सनलाइज्ड, प्रीमियम और एक्सपीरियंस-लीडेड प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की तलाश कर रहे हैं।
ज्यादा समझदारी से बांटा जा रहा बजट
सभी ट्रेंड्स को साथ जोड़कर देखें तो यह वेडिंग सीजन सिर्फ ज्यादा पैसे खर्च करने का नहीं है, बल्कि पैसे को सही जगह खर्च करने का है। परिवार अब यह सोचकर बजट तय कर रहे हैं कि किस चीज का असली महत्व है- कहां खर्च लंबे समय तक याद रहेगा, किस चीज से पर्सनल वैल्यू जुड़ती है और कौन-सा खर्च वास्तव में मायने रखता है।
यानी पूरा फोकस पर्पज-ड्रिवेन और वैल्यू-बेस्ड एलोकेशन पर है। कपल्स और परिवार अब हर आइटम को उसके प्रभाव, इस्तेमाल और भावनात्मक वजन के हिसाब से देख रहे हैं, न कि सिर्फ परंपरा या दिखावे के आधार पर।