Wedding Season: अपनी शादी को लेकर आय के युवा वर्ग की सोच और पैसों को लेकर प्लानिंग बदल रही है। आज की पीढ़ी में 42 फीसदी ने माना कि वह अपनी शादी के लिए स्वयं से पैसा जुटाने की योजना बना रहे हैं। नई रिपोर्ट में 60% महिलाओं ने कहा कि वे अपनी शादियों के लिए स्वयं धन कमाकर खर्च करेंगी। वह अपने माता-पिता पर शादी के खर्चों का बोझ कम करना चाहते हैं। फाइनेंशियल सर्विस प्लेटफॉर्म इंडियालेंड्स ने हाल ही में 'वेडिंग स्पेंड्स रिपोर्ट 2.0' जारी की है। रिपोर्ट में इस समय को सामाजिक मानदंडों में बदलाव और फाइनेंशियल दृष्टिकोण विकसित होने के युग कहा है। यह रिपोर्ट बदलते डायनेमिक के बारे में बता रही है। आज की पीढ़ी अपनी विवाह की जिम्मेदारी स्वयं लेना चाहती है।
रिपोर्ट के मुख्य प्वाइंट्स
रिपोर्ट में ज्यादातर युवा ने कहा कि वह अपनी शादी की फंडिंग स्वयं करना चाहेंगे। ताकि, उनके माता-पिता के कंधों से फाइनेंस का बोझ और दबाव कम हो। CAIT रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी के अनुसार 23 नवंबर से 15 दिसंबर, 2023 के बीच 35 लाख से अधिक शादियां होने के अनुमान लगाया था। सर्वे का उद्देश्य आज के समय में युवाओं की वित्तीय स्थिति और शादियों को लेकर दृष्टिकोण का आकलन करना था। ये सर्वे 1200 लोगों पर अक्टूबर और नवंबर 2023 के बीच किया गया था। इस सर्वे में 25-40 आयु वर्ग के देश के 20 शहरों से लोगों को शामिल किया गया है।
यह देखा गया कि लगभग 5-10 लाख की सालाना आय वाले 73% व्यक्ति अपनी शादी पर 7-10 लाख से अधिक खर्च नहीं कर रहे हैं। सर्वे में कहा गया कि एक औसत मध्यमवर्गीय भारतीय अपनी शादी पर लगभग 15-25 लाख रुपये खर्च करता है। यह दर्शाता है कि आज के समय में लोग बुद्धिमानी से खर्च करने के बारे में सोच समझकर निर्णय ले रहे हैं। वह दूल्हा और दुल्हन जो अपनी शादी के लिए स्वयं पैसा जुटाने की योजना बना रहे हैं, उनमें से 41.2% सेविंग का इस्तेमाल करने की योजना बनाते हैं। 26.1% पर्सनल लोन लेने पर विचार करते हैं। बाकि, 27.7% कोई निर्णय नहीं ले पाए। जिन लोगों ने लोन लेने की बात कही वह सिर्फ एक से 5 लाख रुपये तक का ही लोन लेना चाहते हैं। सर्वे में यह भी कहा गया कि अरेंज्ड (50.4%) और लव मैरिज (49.6%) करना चाहते हैं।
इंडियालेंड्स के संस्थापक और सीईओ गौरव चोपड़ा ने कहा हम आज के युवाओं की मानसिकता में एक बदलाव देख रहे हैं। सेल्फ फंडेड वाली शादियों का चलन वित्तीय स्वतंत्रता और सोचे समझे फैसले के बारे में बताता है। सर्वे में पता चला कि 32.5 फीसदी 3 लाख से कम कमाते हैं, 47.5 फीसदी 3 से 10 लाख के बीच कमाते हैं, 12% 11 से 20 लाख के दायरे में कमाते हैं, और 8% 21 लाख से अधिक कमाते हैं।