इनकम टैक्स एक्ट (Income Tax Act) के तहत नौकरी करने वाले लोगों को एक खास राहत मिली हुई है। पेंशन पाने वाले लोग भी इसका फायदा उठा सकते हैं। इसे स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) कहा जाता है। इसमें एक निश्चित अमाउंट नौकरी करने वाले व्यक्ति की टैक्सेबल इनकम से घटाने की इजाजत है। इससे व्यक्ति की टैक्सेबल इनकम घट जाती है, जिससे उसकी टैक्स लायबिलिटी भी कम हो जाती है।
किस सेक्शन के तहत मिलती है यह राहत?
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 16 के तहत स्टैंडर्ड डिडक्शन के प्रावधान को शामिल किया गया है। खास बात यह है कि टैक्सपेयर्स की एनुअल इनकम कम हो या ज्यादा उन्हें एक निश्चित अमाउंट ही डिडक्ट करने की इजाजत है। इसलिए कम इनकम वाले टैक्सपेयर्स को इससे काफी राहत मिलती है।
स्टैंडर्ड डिडक्शन की शुरुआत 1974 में हुई थी। लेकिन, बाद में इस प्रावधान को खत्म कर दिया गया था। यूनियन बजट 2018 में इसे फिर से शुरू किया गया था। अब तक स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा सिर्फ उन टैक्सपेयर्स को मिलता था, जो इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम का इस्तेमाल करते थे। इस फाइनेंशियल ईयर से इसका लाभ वैसे टैक्सपेयर्स भी उठा सकते हैं, जो इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल करते हैं। इसका ऐलान 1 फरवरी को पेश बजट में किया गया था।
टैक्सपेयर्स को कितनी राहत मिलती है?
स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए 50,000 रुपये का अमाउंट तय है। इसका फायदा सभी टैक्सपेयर्स और पेंशनर्स उठा सकते हैं। सरकारी और प्राइवेट नौकरी करने वाले टैक्सपेयर्स इसका फायदा उठा सकते हैं। सेल्फ-एंप्लॉयड टैक्सपेयर्स को स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता है। इसी तरह कारोबार करने वाले टैक्सपेयर्स को भी यह राहत नहीं मिलती है।
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग के वक्त स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा किया जा सकता है। अच्छी बात यह है कि दूसरे डिडक्शन से अलग इस डिडक्शन का फायदा उठाने के लिए किसी तरह के डॉक्युमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर आप प्राइवेट नौकरी करते हैं तो आपको कंपनी की तरफ से फॉर्म 16 मिलता होगा। इसे ध्यान से देखने पर आप पाएंगे कि कंपनी ने स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ देने के बाद आपकी टैक्सेबल इनकम तय की होगी।
अगर आपके फॉर्म 16 में स्टैंडर्ड डिडक्शन का उल्लेख नहीं है तो आप इस बारे में फाइनेंस डिपार्टमेंट से पूछ सकते हैं। स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ एंप्लॉयी को देना कंपनी के फाइनेंस डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी है।