साल के अंत या निवेश की प्लानिंग के वक्त अकसर एक सवाल हर निवेशक के मन में उठता है कि आखिर टैक्स बचाने और लंबे समय के लिए अच्छा मुनाफा कमाने के लिए बेहतर विकल्प क्या है, ELSS या PPF? दोनों ही योजनाएं धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक टैक्स छूट देती हैं, लेकिन इनके बीच कई खास अंतर हैं जो आपकी निवेश रणनीति तय कर सकते हैं।
ELSS यानी इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम, एक म्यूचुअल फंड आधारित टैक्स सेविंग प्रोडक्ट है, जिसमें मुख्यत पैसा शेयर मार्केट की कंपनियों में लगता है। यही वजह है कि इसमें रिटर्न की संभावना PPF से काफी ज्यादा रहती है ऐतिहासिक रूप से 11-14% तक का मुनाफा देखने को मिला है। इसका लॉक-इन पीरियड अन्य टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स के मुकाबले सबसे कम, सिर्फ 3 साल का है।
दूसरी ओर Public Provident Fund यानी PPF भारत सरकार द्वारा चलाया गया पुराने जमाने का लोकप्रिय निवेश विकल्प है। इसमें जोखिम ना के बराबर रहती है, ब्याज दर (फिलहाल 7.1%) सरकारी फिक्स होती है, जो हर तिमाही रीसेट हो सकती है। PPF की मैच्योरिटी 15 साल की है, जिसमें लंबी अवधि के लिए निवेशक निश्चिंत रह सकते हैं।
PPF के ब्याज व मैच्योरिटी रकम पर भी टैक्स नहीं लगता यानी पूरी तरह टैक्स फ्री। छठे साल से आंशिक निकासी और तीसरे साल से लोन सुविधा भी उपलब्ध रहती है। यहां सुरक्षा चाहने वालों को सबसे अधिक सुकून मिलता है।
आखिरकार सवाल यही है कि किसे चुनें? अगर आपकी प्राथमिकता ज्यादा रिटर्न और लिक्विडिटी है, और आप निवेश में जोखिम उठा सकते हैं, तो ELSS आपके लिए बेहतर रहेगा। वहीं अगर सुरक्षा, स्थिरता और टैक्स फ्री रिटर्न ही लक्ष्य है, तो PPF सबसे उपयुक्त रहेगा। दोनों स्कीम लंबी अवधि के लिए निवेश करने पर बेहतर नतीजे देती हैं। याद रखें, कोई भी फाइनेंशियल प्लानिंग अपने व्यक्तिगत जोखिम प्रोफाइल और निवेश उद्देश्यों के मुताबिक ही करें।