Gold price today: त्योहारी सीजन के बाद 7% तक गिरा सोना, क्या ये है खरीदारी का सबसे सही मौका?

Gold price today:त्योहारी उछाल के बाद सोने में करीब 7% की गिरावट आई है। एक्सपर्ट इसे स्वाभाविक करेक्शन मान रहे हैं। उनका फेड रेट कट, केंद्रीय बैंकों की खरीद और चांदी की बढ़ती औद्योगिक मांग आने वाले महीनों में कीमतों में फिर मजबूती ला सकती है। जानिए डिटेल।

अपडेटेड Nov 17, 2025 पर 11:36 PM
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World Gold Council के अनुसार, Q3 2025 में केंद्रीय बैंकों ने 220 टन सोना खरीदा।

Gold price today: सोने को हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता है और अनिश्चित दौर में यह बेहतरीन प्रदर्शन करता है। लेकिन इसके साथ कुछ जोखिम भी जुड़े होते हैं, क्योंकि कीमतें लगातार बदलती रहती हैं और सोने में निवेश के अलग-अलग तरीकों में अलग तरह के खतरे होते हैं।

पिछले महीने त्योहारों की डिमांड के चलते सोना ₹1,32,294 प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर तक गया था। लेकिन 17 नवंबर को सुबह 9 बजे MCX पर उस लेवल यह 6.88% गिरकर ₹1,23,180 पर आ गया। पिछले दिन के मुकाबले भी कीमत 0.3% नीचे रही।

Motilal Oswal Financial Services के मानव मोदी कहते हैं कि इस साल सोने की कीमत में पहले ही 60-70% की रैली हो चुकी है, इसलिए कुछ प्रॉफिट बुकिंग और ठंडापन सामान्य है।


अब सवाल यह है कि निवेशक इस गिरावट को कैसे देखें? क्या अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती से सोने-चांदी पर असर पड़ेगा? केंद्रीय बैंक सोने की खरीद क्यों बढ़ा रहे हैं? और चांदी का प्रदर्शन इस साल इतना मजबूत क्यों रहा? आइए समझते हैं।

लंबी अवधि में सोने का रुझान पॉजिटिव

US सरकार के 43 दिन के शटडाउन के बाद फिर से खुलने, संभावित लिक्विडिटी सपोर्ट, केंद्रीय बैंकों की खरीद, ETF इनफ्लो और ग्लोबल अनिश्चितता, ये सभी कारक सोने की कीमतों को मजबूत सहारा दे रहे हैं।

मोदी के मुताबिक, निवेशकों को तेज उछाल पर प्रॉफिट बुक करना चाहिए और गिरावट पर खरीदारी करनी चाहिए, क्योंकि लंबी अवधि में सोने का रुझान मजबूत रहने की संभावना है।

अक्टूबर में Fed ने ब्याज दरें 3.75-4% तक घटाईं। बाजार को लगा कि यह निर्णय राजनीतिक दबाव में लिया गया होगा। लेकिन Fed चेयर पॉवेल ने कहा कि महंगाई का खतरा अब भी ऊंचा है और विकास को लेकर स्पष्टता नहीं है।

जब तक अमेरिकी जॉब मार्केट में कमजोरी नहीं दिखती, Fed पूरी तरह नरम रुख नहीं अपनाएगा। यही वजह है कि दिसंबर में रेट कट की संभावना 90% से घटकर करीब 50% रह गई है।

सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव बढ़ा है और रोजाना बड़े स्विंग दिख रहे हैं, इसलिए निवेशकों को सावधानी से और चरणबद्ध निवेश करना चाहिए। भारत में USD/INR करीब 90 रहने पर ₹1,18,000–₹1,20,000 एक मजबूत सपोर्ट रेंज है। अगर यह कायम रहता है, तो अगले साल कीमतें ₹1,30,000-₹1,37,000 तक जा सकती हैं।

केंद्रीय बैंक सोना क्यों खरीद रहे हैं?

पिछली तिमाही से 28% ज्यादा। RBI ने अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच करीब 600 किलो सोना खरीदकर रिजर्व को 880 टन तक पहुंचाया।

यह दिखाता है कि बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सोना अब भी सबसे भरोसेमंद सुरक्षा है। भले ही शॉर्ट टर्म में उतार-चढ़ाव हो, लेकिन केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीद लंबे समय में कीमतों को स्थिर रखने का आधार बनती है।

चांदी का प्रदर्शन इतना मजबूत क्यों?

चांदी ने इस साल सोने से बेहतर प्रदर्शन किया है। इसकी दोहरी मांग- एक सुरक्षित निवेश और दूसरी औद्योगिक जरूरत की वजह से इसकी कीमतों को मजबूती मिली है।

EV, सोलर पैनल, बैटरी टेक्नोलॉजी और क्लीन-एनर्जी सेक्टर में तेजी से बढ़ती मांग ने चांदी की खपत को बढ़ाया है। सप्लाई का तनाव अभी भी बना हुआ है, लेकिन मांग लगातार बढ़ रही है। इसलिए चांदी में तेजी आगे भी जारी रह सकती है।

Gold और Silver ETF में निवेश जारी रखना चाहिए?

  • भारत में गोल्ड और सिल्वर ETF में निवेश तेजी से बढ़ रहा है।
  • गोल्ड ETF का AUM ₹1 लाख करोड़ के करीब
  • सिल्वर ETF का AUM ₹35 हजार करोड़ के आसपास
  • यह दिखाता है कि निवेशक सोने-चांदी को भरोसेमंद संपत्ति मान रहे हैं।

मोदी कहते हैं कि एक साल या उससे लंबी अवधि के निवेशकों के लिए ETFs बेहद अच्छे विकल्प हैं- साफ, पारदर्शी, लिक्विड और लागत-कुशल। मौजूदा वैश्विक माहौल में पोर्टफोलियो का एक हिस्सा गोल्ड या सिल्वर ETF में रखना समझदारी की रणनीति है।

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