EPFO minimum pension: क्या प्राइवेट कर्मचारियों को मिलेगी ₹7500 पेंशन? सरकार ने संसद में दिया जवाब

EPFO minimum pension: EPS-95 पेंशन बढ़ाकर ₹7,500 करने की मांग फिर संसद में उठी, लेकिन सरकार का क्या जवाब आया? फंड की स्थिति क्या कहती है और आगे पेंशन बढ़ने की कितनी उम्मीद है, जानिए सभी सवालों के जवाब।

अपडेटेड Dec 03, 2025 पर 3:01 PM
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सरकार बजटीय सहायता देकर ₹1,000 मासिक न्यूनतम पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करती है।

EPFO minimum pension:  पिछले कई महीनों से खबर आ रही थीं कि सरकार Employees' Pension Scheme 1995 (EPS-95) के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन बढ़ा सकती है। इसे मौजूदा ₹1000 से बढ़ाकर ₹7500 करने की योजना है। अक्टूबर 2025 में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि EPFO की सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। हालांकि, इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी।

अब EPS-95 के पेंशनरों की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की पुरानी मांग पर संसद में सवाल उठा है। शीतकालीन सत्र के दौरान 1 दिसंबर 2025 को सरकार से पूछा गया कि क्या न्यूनतम पेंशन ₹1,000 से बढ़ाकर ₹7,500 करने की योजना है। यह मांग पूरे देश में लाखों पेंशनर कई वर्षों से उठाते रहे हैं।

सरकार से क्या पूछा गया था?


लोकसभा में सांसद बलया मामा सुरेश गोपीनाथ म्हात्रे ने सरकार से 6 सवाल पूछे। क्या पेंशन बढ़ेगी, क्यों नहीं बढ़ रही, DA क्यों नहीं दिया जाता, क्या पेंशनरों की मांगों का अध्ययन हुआ है और क्या योजना को ‘जीने लायक’ बनाने के कदम उठाए जा रहे हैं।

EPS-95 कैसे चलता है?

EPS-95 देश का सबसे बड़ा पेंशन सिस्टम है, जो 80 लाख से ज्यादा पेंशनरों को कवर करता है। यह योजना दो मुख्य स्रोतों से फंड होती है। कर्मचारी की सैलरी पर नियोक्ता का 8.33% योगदान और केंद्र सरकार का 1.16% योगदान (₹15,000 वेतन सीमा तक)। 2014 से लागू न्यूनतम ₹1,000 मासिक पेंशन को पेंशनर आज की महंगाई में बेहद कम मानते हैं।

पेंशनरों की प्रमुख मांगें

पिछले एक दशक में EPS-95 पेंशनरों ने कई बार प्रदर्शन और याचिकाएं दी हैं। उनकी मुख्य मांगें हैं-न्यूनतम पेंशन को ₹7,500-₹9,000 तक बढ़ाना, नियमित DA लागू करना, उच्च पेंशन बहाल करना और योजना में सुधार करके पेंशन को जीवन-यापन लायक बनाना।

सरकार का जवाब

श्रम राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने बताया कि फिलहाल पेंशन बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। इसका मुख्य कारण EPS फंड की वित्तीय स्थिति है।

2019 की आखिरी वैल्यूएशन के मुताबिक EPS फंड में एक्चुरियल डेफिसिट है यानी फंड में भविष्य की पेंशन देनदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। सरकार का कहना है कि इस स्थिति में न्यूनतम पेंशन बढ़ाना फंड पर और दबाव बढ़ाएगा।

कैसे मिलती है न्यूनतम पेंशन

सरकार बजटीय सहायता देकर ₹1,000 मासिक न्यूनतम पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करती है। यह अपने 1.16% योगदान को भी जारी रखती है। हालांकि, सरकार ने DA देने या पेंशन बढ़ाने पर कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई।

DA क्यों नहीं मिलता?

सरकार के मुताबिक EPS एक ‘डिफाइंड कंट्रीब्यूशन’ स्कीम है। यह सरकारी कर्मचारियों की तरह सैलरी-लिंक्ड स्कीमनहीं है। इसलिए DA इसके स्ट्रक्चर का हिस्सा नहीं है। यही वजह है कि पेंशनर DA की बढ़ोतरी से लाभ नहीं पाते, जबकि महंगाई लगातार बढ़ती रहती है।

पेंशनरों की मुश्किल

EPS-95 के अधिकतर लाभार्थी निजी और कम वेतन वाली नौकरियों में काम करते थे। पेंशन ही उनकी मुख्य आय है। महंगाई, मेडिकल खर्च और जीवनयापन की लागत बढ़ने के बाद मौजूदा पेंशन रकम पर्याप्त नहीं मानी जाती। इसके उलट सरकारी कर्मचारियों को DA और नियमित वेतन बढ़ोतरी मिलते हैं। इससे असमानता और स्पष्ट दिखती है।

क्या आगे पेंशन बढ़ सकती है?

एक्सपर्ट का मानना है कि पेंशन तभी बढ़ सकती है जब योजना के फंडिंग मॉडल में बड़े बदलाव किए जाएं। जैसे नियोक्ता योगदान बढ़ाना, सरकार की अतिरिक्त सहायता या EPS के स्ट्रक्चर में सुधार। फिलहाल इन बदलावों के बिना न्यूनतम पेंशन बढ़ाना मुश्किल माना जा रहा है।

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