Minimum Balance of Bank Account: ज्यादातर बैंक अपने ग्राहकों को बैंक अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस मेंटेंन करने के लिए कहते हैं। ऐसा नहीं करने पर यानी मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर बैंक अक्सर जुर्माना या चार्ज वसूलते हैं। लेकिन तब क्या होता है जब ये जुर्माना लगभग खाली अकाउंट पर लगाया जाता है? क्या तब ये अकाउंट नेगेटिव बैलेंस में चला जाएगा? यहां आपको बता रह हैं कि इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के क्या नियम हैं।
न्यूनतम बैलेंस नहीं मेंटेन करने पर काटा जाता है चार्ज
ज्यादातर बैंक अपने सेविंग अकाउंट को न्यूनतम बैलेंस मेंटेन करने के लिए कहते हैं और इसके लिए वह एक तय अमाउंट भी रखते हैं। उस तय किये गए अमाउंट से कम बैलेंस होने पर बैंक आपके जुर्माना पैसा काटकर चार्ज करता है। सभी बैंकों का लगाए गए जुर्माने का अमाउंट अलग-अलग होता है। ये ब्रांच के एरिया के हिसाब से भी अलग-अलग होता है। शहरी इलाकों की ब्रांच में न्यूनतम बैलेंस नहीं मेंटेंन करने पर ज्यादा पैसा काटा जाता है। जबकि, वही बैंक ग्रामीण इलाके की ब्रांच में कम पैसा काटेगा।
बैंकों को ग्राहकों को SMS, ईमेल या फिजिकल लेटर्स के जरिये न्यूनतम बैलेंस नहीं होने पर जानकारी देनी होगी। नोटिफिकेशन के मुताबिक यदि नोटिश देने के एक महीने के अंदर भी न्यूनतम बैलेंस मेंटेंन नहीं किया जाता है तो जुर्माना लागाया जा सकता है। बैंक ग्राहकों को न्यूनतम बैलेंस को फिर से मेंटेंन करने के लिए समय देता है। ये समय एक महीने से कम नहीं हो सकता। एक महीने के पीरियड के बाद बैंक ग्राहको को बताकर जुर्माना लगा सकता है।
बैंक को भी लेनी होती है इजाजत
जुर्माने लगाने की नीति के लिए बैंकों को अपने बोर्ड से अनुमोदन प्राप्त करना होगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि यह आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुरूप है। बैंक को चार्ज लगाने की अपनी नीति के लिए अपने बोर्ड से अप्रूवल भी लेना होता है। ऐसा इसलिए किया जाता क्योंकि ये आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक होना जरूरी है।
रखना होता है इन नियमों का ध्यान
जुर्माना शुल्क न्यूनतम बैलेंस रखने के लिए जितना पैसा कम है उसके अनुपात में ही लगाया जाता है। इसका मतलब यह है कि चार्ज का कैलकुलेशन एक तय प्रतिशत के आधार पर ही किया जाता है। बैंक इन शुल्कों की वसूली के लिए एक स्लैब भी बनाता है। आरबीआई के देशानिर्देश इस बात पर जोर देते हैं कि दंडात्मक चार्ज उचित होना चाहिए और बैंकिंग सर्विस देने की औसत लागत से अधिक नहीं होना चाहिए। यह जरूरी है कि न्यूनतम बैलेंस न बनाए रखने पर लगने वाला जुर्माना सेविंग अकाउंट को नेगेटिव या माइनस जोन में न पहुंचा दे।