अक्षय तृतीया हिंदू धर्म का एक अत्यंत शुभ और पुण्यदायक पर्व है, जिसे हर साल वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन का ज्योतिषीय महत्व भी विशेष होता है क्योंकि सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में होते हैं, जिससे ये तिथि सर्वसिद्ध मुहूर्त कहलाती है। 'अक्षय' का अर्थ है – जिसका कभी क्षय न हो, यानी जो हमेशा बना रहे। मान्यता है कि इस दिन किया गया हर शुभ कार्य, दान, जप-तप और खरीदारी अनंत फल देने वाला होता है और उसका पुण्य कभी समाप्त नहीं होता।
यही कारण है कि लोग इस दिन सोना, चांदी, धातु के बर्तन जैसी वस्तुएं खरीदते हैं और जरूरतमंदों को दान देते हैं। अक्षय तृतीया न केवल भौतिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि ये आत्मिक उन्नति और पुण्य अर्जन का भी दुर्लभ अवसर मानी जाती है।
धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक घटनाएं
अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव का अवतार हुआ था। यही वो दिन है जब बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलते हैं। वृंदावन में भी साल में केवल इसी दिन श्री बांके बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं, जिससे इस दिन का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन
ये तिथि 'अबूझ मुहूर्त' मानी जाती है, यानी इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए विशेष मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती। विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत, खरीदारी और दान जैसे सभी कार्य इस दिन किए जा सकते हैं।
इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, बुधवार को मनाई जाएगी। तृतीया तिथि 29 अप्रैल शाम 5:31 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल दोपहर 2:12 बजे तक रहेगी। पूजा का श्रेष्ठ समय 30 अप्रैल को सुबह 5:41 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक है।
सोना और अन्य वस्तुओं की खरीदारी का शुभ समय
सोना खरीदना अक्षय तृतीया पर अत्यंत शुभ माना जाता है। 30 अप्रैल को सुबह 5:41 बजे से दोपहर 2:12 बजे तक का समय खरीदारी के लिए सर्वोत्तम है। यदि सोना खरीदना संभव न हो तो मिट्टी, पीतल के बर्तन या पीली सरसों भी खरीद सकते हैं, ये भी शुभ मानी जाती हैं।
अक्षय तृतीया की पूजा विधि
सुबह स्नान करके भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। सफेद फूल अर्पित करें और मंत्रों का जाप करें। पूजा के पश्चात दान का संकल्प लें और जरूरतमंदों की मदद करें।
कौन से कार्य अक्षय पुण्य प्रदान करते हैं?
इस दिन दान करना, जल पिलाना, पेड़-पौधों को पानी देना, किसी की मदद करना, भजन-पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। अपने आचरण को मधुर बनाए रखें और सेवा भाव से दिन बिताएं।
सोने की खरीदारी का सही तरीका
अगर आप सोना खरीदते हैं तो सबसे पहले उसे भगवान को अर्पित करें। यदि सोना न ले सकें तो सोने जैसी वस्तुएं या धातु की चीजें खरीदें। साथ ही किसी निर्धन व्यक्ति को पहले दान दें और फिर स्वर्ण का उपयोग शुरू करें।