Budh Pradosh Vrat December 2025 Date: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। प्रदोष की तिथि भगवान शिव को समर्पित होती है। इसे भोलेनाथ की कृपा पाने के सबसे सरल मार्ग के तौर पर जाना जाता है। यह व्रत हिंदू कैलेंडर के हर माह में दो बार किया जाता है, एक बाद कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में। पौष माह का पहला प्रदोष आने वाले हफ्ते के बुधवार के दिन किया जाएगा। बुधवार के प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष के नाम से जाना जाता है। पौष का पहला प्रदोष व्रत साल 2025 का अंतिम प्रदोष व्रत भी होगा। इस दिन तीन शुभ संयोग बन रहे हैं। आइए जानें पौष का पहला प्रदोष व्रत कब है और इसका मुहूर्त क्या है?
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की पहली त्रयोदशी तिथि 16 दिसंबर को रात 11 बजकर 57 मिनट से शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन 18 दिसंबर को तड़के 2 बजकर 32 मिनट पर होगा। प्रदोष काल की पूजा मुहूर्त के आधार पर यह व्रत 17 दिसंबर, बुधवार के दिन किया जाएगा। यह बुध प्रदोष व्रत भी कहलाएगा।
बुध प्रदोष का व्रत रखने वाले भक्त 17 दिसंबर की शाम 5 बजकर 27 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट के बीच भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी प्रदोष पूजा
इस बार प्रदोष व्रत की पूजा के समय सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग शाम को 05 बजकर 11 मिनट से शुरू हो रहा है, जो 18 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। वहीं, अमृत सिद्धि योग भी शाम 05:11 बजे से लेकर 18 दिसंबर को सुबह 07:08 बजे तक है। सर्वार्थ सिद्धि योग में की गई पूजा करेंगे सफल सिद्ध होती है। प्रदोष व्रत के दिन सुकर्मा और धृति योग भी बन रहे हैं। इस दिन सुकर्मा योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 2 बजकर 17 मिनट तक रहेगा, उसके बाद से धृति योग बनेगा। व्रत के दिन विशाखा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर शाम 05:11 बजे तक है, उसके बाद से अनुराधा नक्षत्र है।
बुध प्रदोष व्रत पर भद्रा लग रही है। भद्रा त्रयोदशी तिथि में 18 दिसंबर को तड़के 02:32 बजे से लगेगी और सुबह 07:08 बजे तक रहेगी। इस भद्रा का वास स्वर्ग में है, इस वजह से इसका कोई दुष्प्रभाव धरती पर नहीं होगा।