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Chaitra Navratri 2025: अष्टमी, नवमी पूजा मुहूर्त, जानें हवन और कन्या पूजन के लिए सही समय

Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर हवन और कन्या पूजन का खास महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन अनुष्ठानों से व्रत का पूर्ण फल मिलता है। जानें पंडित जी से, इस वर्ष अष्टमी और राम नवमी पर हवन के शुभ मुहूर्त और पूजा से मिलने वाले लाभ

अपडेटेड Apr 04, 2025 पर 11:39 AM
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Chaitra Navratri 2025: हवन करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए ताकि शुभ फल प्राप्त हो सके।

नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इन दिनों मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। अष्टमी को मां महागौरी और नवमी को मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन हवन और कन्या पूजन करने से व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। हवन से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सकारात्मकता का संचार होता है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 5 अप्रैल 2025, शनिवार को है, जबकि राम नवमी 6 अप्रैल 2025, रविवार को मनाई जाएगी।

इन दिनों विशेष पूजन, हवन और कन्या भोज का आयोजन किया जाता है। शुभ मुहूर्त में हवन करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। आइए जानते हैं अष्टमी-नवमी के हवन के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इससे मिलने वाले लाभ।

अष्टमी और नवमी तिथि का सही समय


अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार को रात 08:13 बजे होगी और 5 अप्रैल 2025, शनिवार को रात 07:26 बजे समाप्त होगी। अष्टमी तिथि उदयातिथि में 5 अप्रैल को रहेगी, इसलिए इसी दिन महाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। नवमी तिथि 5 अप्रैल 2025, शनिवार को शाम 07:26 बजे शुरू होगी और 6 अप्रैल 2025, रविवार को शाम 07:22 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, नवमी का व्रत और पूजन 6 अप्रैल 2025 को होगा।

अष्टमी पर हवन के शुभ मुहूर्त

हवन करने के लिए शुभ समय का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। अष्टमी तिथि पर हवन के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त इस प्रकार हैं:

ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:35 से 05:21 बजे तक

प्रातः संध्या: प्रातः 04:58 से 06:07 बजे तक

अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:49 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:20 बजे तक

इन शुभ मुहूर्तों में हवन करने से अधिक पुण्य प्राप्त होता है और माता रानी की कृपा बनी रहती है।

राम नवमी पर हवन का शुभ मुहूर्त

राम नवमी पर भी हवन का विशेष महत्व होता है। इस दिन के लिए हवन के शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:34 से 05:20 बजे तक

प्रातः संध्या: प्रातः 04:57 से 06:05 बजे तक

अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:58 से 12:49 बजे तक

विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:20 बजे तक

इन समयों पर हवन करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

अष्टमी और नवमी पर हवन विधि

हवन करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए ताकि शुभ फल प्राप्त हो सके। सबसे पहले हवन कुंड में पवित्र अग्नि प्रज्वलित करें और उसमें घी, गुग्गुल, चंदन, तिल और बेलपत्र अर्पित करें।

हवन के दौरान "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" मंत्र का जाप करें और आहुति दें। कम से कम 11, 21 या 108 बार आहुति देकर माता रानी की कृपा प्राप्त करें। अंत में, हवन की पूर्णाहुति के बाद आरती करें और घर के सभी सदस्यों को हवन में शामिल करें।

अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन 9 कन्याओं और 1 लंगूर (बालक) को आमंत्रित कर उनके पैर धोने का विधान है। उन्हें तिलक कर हलवा-पूड़ी और चने का प्रसाद अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कन्या पूजन से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा, ये नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में भी सहायक होता है।

क्या ध्यान रखें?

हवन और पूजा से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य या पंडित से परामर्श करें।

शुद्धता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।

हवन और कन्या पूजन का आयोजन नवरात्रि के अंतिम दिनों में करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

विधि-विधान से पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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